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जद(यू0) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मजाक का विषय बनाने का लगाया आरोप 

पटना: जद(यू0) मुख्य प्रवक्ता और विधानपार्षद और श्री नीरज कुमार, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सह विधानपार्षद श्री रवींद्र प्रसाद सिंह, विधानपार्षद श्री संजय कुमार सिंह उर्फ ‘‘गांधीजी’’ और मुख्यालय प्रभारी श्री चंदन कुमार सिंह ने संयुक्त तौर पर मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान पार्टी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मजाक का विषय बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय का खंडहर विश्व के नेताओं को दिखाया तो लगे हाथ उन्हें आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की तरफ से बनाए गए नए नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस को भी दिखाना चाहिए और विश्व नेताओं को बताना चाहिए।

पार्टी नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री को विश्व नेताओं को यह भी बताना चाहिए था कि हमने एक बार फिर से नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कर ली है तो ये ज्यादा न्यायसंगत होता। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस की तस्वीर विश्व के नेताओं को इसलिए नहीं दिखाई कारण कि, उन्हें आदरणीय श्री नीतीश कुमार की शख्सियत से डर लगता है। पार्टी नेताओं ने कहा कि चूंकि नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की थी इसलिए बिहार सरकार के कामों को स्वीकार करना प्रधानमंत्री को मंजूर नहीं।

जद(यू0) नेताओं ने कहा कि दरअसल बीजेपी की मंशा हमेशा से बिहार को नीचा दिखाने और अपमानित करने की रही है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक विरासत बिहार के पास है, लेकिन चीन उसे हथियाने की कोशिश कर रहा है और भारत सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। उन्होंने कहा कि जिस नालंदा विश्वविद्याल के पुनरुद्धार के लिए 18 देशों के नेताओं ने हरी झंडी दी थी आज उन देशों ने केंद्र सरकार के नालंदा विश्वविद्यालय के कामों में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते अपने हाथ खींच लिए।

बीजेपी पर आरोप लगाते हुए तीनों नेताओं ने कहा कि जिस मकसद से नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार की आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने कोशिश की थी उस मकसद को बीजेपी ने अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप से बर्बाद करने का काम किया है। पार्टी नेताओं ने आरोप लगाया कि नालंदा विश्वविद्यालय में जहां इतिहास, बुद्धिस्ट स्टडी, फिलोसॉफी और कंपेरेटिव रिलीजन की पढ़ाई बंद कर दी गई वहीं केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते अंग्रेजी, संस्कृत और भारतीय दर्शनशास्त्र के विषय को सिलेबस में जोड़ दिया गया।
इस दौरान पार्टी ने बीजेपी से कुछ अहम सवाल भी पूछेः
 बीजेपी यह बताए कि ऐतिहासिक धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय को राजनीति में घसीटने की कोशिश क्यों की गई।
 आखिर क्या कारण है कि 13 सालों से नालंदा विश्वविद्यालय का चल रहा निर्माण कार्य अबतक पूरा नहीं हो पाया?
 आखिर क्या कारण रहा कि जिस नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार को लेकर चीन की सरकार मदद दे रही थी उसने मदद देना बंद कर दिया और खुद का नालंदा विश्वविद्यालय बना लिया?
 अगर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर इतने गंभीर हैं तो फिर चीन ने अपने देश में नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण कैसे कर लिया?
 क्या यह सही नहीं है कि अपने राजनीतिक फायदे के लिए केंद्र सरकार ने तत्कालीन कुलपति अमर्त्य सेन पर निराधार आरोप लगाए और उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया?
 क्या ये सही नहीं है कि जिन विषयों की पढ़ाई नालंदा विश्वविद्यालय में होनी चाहिए थी, केंद्र सरकार ने अपने अनुचित हस्तक्षेप से उसे बंद करा दिया और मनमाने तरीके से दूसरे कोर्स की पढ़ाई की इजाजत दी?
 क्या ये सही नहीं है कि केंद्र सरकार की राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते इस विश्वविद्यालय के उद्धार में लगे देशों ने दान देना बंद कर दिया?
 जिन आरोपों के आधार पर नालंदा विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति सिंगापुर के जॉर्ज यो ने अपना पद छोड़ा क्या वो सही नहीं है? क्या यह सही नहीं है कि केंद्र सरकार नालंदा विश्वविद्यालय के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है?
 क्या ये सही नहीं है कि केंद्र के अनुचित हस्तक्षेप के चलते विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों ने अपनी नौकरी छोड़ दी?
 क्या ये सही नहीं है राम माधव के ट्वीट के बाद नालंद विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले एक पाठ्यक्रम को बंद कर दिया और इस विषय को पढ़ाने वाले प्रोफेसर को नौकरी छोड़नी पड़ी?
आखिर क्या कारण है कि केंद्र सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों में बदलाव कर दिया?