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महिलाएँ भी पुरुष अधिकारियों की तरह 54 साल की उम्र तक दे सकती हैं सेवाएं, भारतीय सशस्त्र सेनाओं में बढ़ी महिलाओं की संख्या

भारतीय सेनाओं में बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महिला अधिकारियों को अधिकारसंपन्न बनाने का रास्ता तेजी से तैयार हो रहा है। दरअसल, तीनों सेनाओं में अब महिला अधिकारियों की संख्या करीब 6 साल में लगभग तीन गुना बढ़ गई है। साफ है कि अब महिलाओं के लिए इस ओर एक स्थिर गति से अधिक रास्ते खोले जा रहे हैं। भारतीय सेना राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिला अधिकारियों सहित सभी कार्मिकों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

वर्तमान में सेना, नौसेना और वायु सेना में 9,118 महिलाएं

वर्तमान में 9,118 महिलाएं सेना, नौसेना और वायु सेना की सेवा कर रही हैं और उन्हें करियर बढ़ाने के अधिक मौके दिए जा रहे हैं। नौसेना और वायुसेना में महिलाएं विमान उड़ा रही हैं तो सेना ने भी आर्मी एविएशन का कोर्स शुरू करके महिला पायलटों के लिए रास्ते खोल दिए हैं।

सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की संख्या 2014-15 में 3,000 के आसपास थी। वर्तमान में सेना, नौसेना और वायु सेना में 9,118 महिलाएं सेवा कर रही हैं, जिसमें चिकित्सा विंग को छोड़कर सेना में 6,807, वायु सेना में 1,607 और नौसेना 704 महिला अधिकारी हैं। अगर औसत के हिसाब से देखा जाए तो सेना में अभी भी महिलाओं की संख्या कम है क्योंकि सेना में 0.56%, वायु सेना में 1.08% और नौसेना में 6.5% महिलाएं हैं।

नौसेना और वायुसेना में महिलाएं उड़ा रही हैं विमान

सरकार ने सेनाओं में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें उन्हें लड़ाकू विमानों, नौसेना के विमानों को उड़ाने और उन्हें विभिन्न शाखाओं में स्थायी कमीशन देने की अनुमति शामिल है। इसी तरह भारतीय वायुसेना के पास 10 महिला फाइटर पायलट हैं, जबकि 111 महिला पायलट परिवहन विमानों और हेलिकॉप्टरों को उड़ा रही हैं। भारतीय वायु सेना में जून, 2016 में तीन महिला फाइटर पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी एवं मोहना सिंह एक साथ शामिल हुईं थीं।

6 साल में सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ने के कई कारण

पिछले 6 सालों के भीतर सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ने के कई कारण हैं। सरकार ने 2019 में गैर अधिकारी संवर्ग में कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस (सीएमपी) में महिलाओं के लिए 1,700 पदों को मंजूरी दी है। इस पर भारतीय सेना ने महिलाओं के पहले बैच का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। 2020 में सशस्त्र बलों (चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग संवर्ग को छोड़कर) में महिला कर्मियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। भारतीय वायुसेना ने 2015 में महिलाओं को लड़ाकू स्ट्रीम में शामिल करने का फैसला किया। इसी तरह 2016 में पहली बार नौसैनिक महिलाओं को समुद्री टोही विमान के पायलट के रूप में शामिल किया गया था। नौसेना ने भी हाल के वर्षों में महिलाओं के लिए और भी रास्ते खोले हैं। पैदल सेना में अभी भी महिलाओं के लिए युद्धपोत, टैंक और लड़ाकू स्थिति में नो-गो जोन हैं, लेकिन 1992 में पहली बार मेडिकल स्ट्रीम के बाहर सशस्त्र बलों में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।

अब सेना में महिलाओं को दिया जा रहा स्थायी कमीशन

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अब सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले साल नवम्बर में गठित भारतीय सेना के चयन आयोग ने स्थायी कमीशन देने के लिए 422 महिला अधिकारियों का चयन किया है। कुल 615 महिलाओं पर विचार किया गया लेकिन 68% महिला अधिकारी ही स्थायी कमीशन के लिए फिट पाई गईं। पांच सदस्यीय बोर्ड में आर्मी मेडिकल कोर की एक महिला ब्रिगेडियर शामिल थीं। स्थायी कमीशन के लिए फिट पाई गईं 422 में से 57 महिला अधिकारियों ने स्थायी कमीशन नहीं लेने का विकल्प चुना है। इसके अलावा स्थायी कमीशन के लिए अयोग्य पाई गईं 68 महिला अधिकारियों को अब पेंशन के साथ सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। इस तरह भारतीय सेना में 297 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।