केंद्र सरकार का प्रयास, इस बार ‘वोकल फॉर लोकल’ होली होगी खास
एक जमाना था जब विदेशी उत्पादों का भारतीय बाजारों में बोलबाला था, लेकिन आज इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। हर देशवासी अब ये अनुभव कर रहा है कि ”मेड इन इंडिया” की ताकत बहुत बड़ी है। इसलिए भारतीय ग्राहक हर छोटी से छोटी चीज जो ”मेड इन इंडिया” हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो उसे खरीद रहा है। इस क्रम में अभी देश को और आगे जाना होगा। यह मुहिम हम सभी के प्रयास से ही संभव होगी। जिस प्रकार स्वच्छ भारत अभियान एक जन आंदोलन है ठीक वैसे ही भारत में बनी चीजें खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई गई चीजें खरीदना ”वोकल फोर लोकल” को व्यवहार में लाना है। इससे हमारे देश के अनेकों उत्पादकों की रोजी-रोटी चलती है और देश का पैसे देश में ही रहते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था की उन्नति और तरक्की के काम आता है।
स्थानीय उत्पादकों के जीवन में भी रंग भरे
भारत में त्योहारों के समय बिक्री एकदम बढ़ जाती है। आगामी बड़ा त्योहारों ”होली” है जो कि इस बार 18 मार्च को मनाई जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि इस मौके पर देश में तैयार उत्पादों को बढ़ावा मिले। इससे उन घरों में त्योहारों का रंग बिखरेगा जिन्हें एक उत्पादक के बतौर आपसे ढेरों उम्मीदें हैं। केवल ”होली” के त्योहार पर ही नहीं बल्कि देश में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों के जरिए हम देश को उन्नति के मार्ग पर लेकर जा सकते हैं। बता दें जिस समय होली हमारे आसपास रंग बिखेर रही होती है उसी समय बसंत भी, हमारे चारों और रंग बिखेर रहा होता है। उगादी, पुथंडू, गुड़ी पड़वा, बिहू, नवरेह, पोड़ला, बोईशाख, बैसाखी पूरे देश में उमंग, उत्साह और नई उम्मीद के साथ मनाई जा रही होती है।
प्रत्येक भारतीय को लेना होगा संकल्प
इसके लिए प्रत्येक भारतीय को संकल्प लेना होगा। यही कारण है कि इस बार पीएम मोदी ने भी देशवासियों से ”वोकल फोर लोकल” होली मनाने की अपील की है और आने वाले सभी त्योहारों में देश में तैयार उत्पादों के इस्तेमाल करने पर खासा जोर दिया है। इस त्योहार पर अन्य छोटे व्यवसायों की खुशी के बारे में जरूर सोचें जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सफल बनाने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे हैं। विदेशी उत्पादों के स्थान पर देश के ही छोटे व्यवसाइयों के जरिए तैयार उत्पादों को खरीदकर हम उनकी जिंदगी में भी रंग भर सकते हैं।
पीएम मोदी भी कर चुके देशवासियों से अपील
पीएम मोदी ने इस बार अपने “मन की बात” के 86वें एपिसोड में “होली” पर स्थानीय उत्पादों की खरीद करने की बात कही है। इस दौरान उन्होंने खासतौर से आने वाले ‘होली’ के त्योहार का जिक्र करते हुए कहा कि ‘Vocal for Local’ के साथ यह त्योहार मनाना है। इससे देश के लोकल प्रोडक्ट को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब कुछ दिन बाद आप सब होली की तैयारी में जुट जाएंगे। ऐसे में आप त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदी करें, जिससे आपके आसपास रहने वाले लोगों के जीवन में भी रंग भरे, रंग रहे, उमंग रहे। उन्होंने यह भी कहा था कि हमारा देश जितनी सफलता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है, और, आगे बढ़ रहा है, उससे त्योहारों में जोश भी कई गुना हो गया है। इसी जोश के साथ हमें अपने त्योहार मनाने हैं, और साथ ही, अपनी सावधानी भी बनाए रखनी है।
केंद्र सरकार जन जागरण का कर रही कार्य
”आत्मनिर्भर भारत” के सपने को सच करने के लिए हमें देश में वोकल फॉर लोकल को अपनाना होगा। इसके लिए केंद्र सरकार विभिन्न ऑनलाइन अभियान चला रही है। देशवासियों में ‘वोकल फोर लोकल’का भाव जगाने के लिए केंद्र सरकार ने ‘Be Vocal About Local Pledge’ शपथ कार्यक्रम भी शुरू किया, जिसमें लोकल उत्पाद अपनाने वालों को ऑनलाइन शपथ दिलाई जाती है। सरकार की इस मुहिम का हिस्सा बनने के लिए आपको www.pledge.mygov.in/vocalaboutlocal/ पर विजिट करना होगा। इस प्लेटफॉर्म पर शपथ लेने के पश्चात आपके नाम से एक प्रमाणपत्र भी जारी होगा जिसे आप ऑनलाइन डाउनलोड भी कर सकते हैं। प्रमाणपत्र को आप अपने ईमेल या मोबाइल पर भी भेज सकते हैं।
वोकल फोर लोकल को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार देशभर में हुनर हाट का आयोजन कर रही है जहां देशी उत्पादन की मदद से लुप्त हो रही बहुत पुरानी और पुश्तैनी परंपरा को भी जिंदा रखा जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के आह्वाहन ने भारत के स्वदेशी उद्योग में नई जान डाल दी है। देश का हर क्षेत्र, लकड़ी, ब्रास, बांस, शीशे, कपडे, कागज, मिटटी के शानदार उत्पाद बनाने वाले “हुनर के उस्तादों” से भरपूर है। इनके इस शानदार स्वदेशी उत्पादन को मौका-मार्किट मुहैया कराने के लिए “हुनर हाट” प्लेटफार्म तैयार किया गया।
‘वोकल फार लोकल’ को दिया जाए ग्लोबल गुणवत्ता का रूप
इस प्रकार पीएम मोदी का ‘वोकल फोर लोकल’ का आह्वान अब जब धीरे-धीरे देशभर में एक जन आंदोलन का रूप ले रहा है, उसी बीच केंद्र सरकार के प्रयासों से ”वोकल फोर लोकल’ को ग्लोबल गुणवत्ता का रूप दिलाने पर भी खासा जोर दिया जा रहा है। इसके अन्तर्गत देश में तैयार किए जाने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुधार पर जोर दिया जा रहा है। देश के बाहर भारतीय उत्पादों को अपनी पहचान बनाने के लिए विदेशी उत्पादों से बेहतर करना होगा।
भारत ने इस दिशा में भी खासा सुधार किया है। 16 फरवरी 2022 को गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, व्यापारिक गतिविधियों में तकनीकी बाधाओं को दूर करने, उत्पाद सुरक्षा बढ़ाने और उपभोक्ता संरक्षण को सुदृढ़ करने के लिए भारत और जर्मनी के बीच कार्य योजना 2022 पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस आधार पर दोनों देश मोबिलिटी, ऊर्जा, चक्रीय अर्थव्यवस्था, स्मार्ट खेती, कृषि, चिकित्सा उपकरण, डिजिटलीकरण (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, उद्योग 4.0 एवं अन्य नई प्रौद्योगिकी क्षेत्रों), मशीनरी सुरक्षा, चिकित्सा उपकरणों तथा अन्य यंत्र और बाजार की निगरानी के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में सहयोग करने पर सहमत हुए हैं।
गौरतलब हो, वैश्विक गुणवत्ता अवसंरचना सूचकांक (जीक्यूआईआई) अध्ययन में भारत को मानकीकरण में 7वें स्थान पर, प्रत्यायन गतिविधियों के लिए 9वें और मेट्रोलॉजी संबंधी गतिविधियों हेतु 19वें स्थान पर रखा गया है।
ऑर्गेनिक उत्पादों को लेकर विश्व पटल पर गहरी छाप
यही कारण है कि आज भारत के ऑर्गेनिक उत्पादों की पूरी दुनिया में डिमांड हो रही है। भारत के लोकल प्रोडक्ट की बानगी तब दिखी जब खादी और अन्य ग्रामोद्योग उत्पादों सहित स्थानीय वस्तुओं की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई। जी हां, कोविड-19 महामारी के बावजूद खादी के कपड़ों, अगरबत्ती, मोमबत्ती, दीया, शहद, धातु कला उत्पादों, कपास और रेशमी कपड़ों, कृषि उत्पादों और खाद्य पदार्थों सहित लगभग सभी उत्पादों की बिक्री बढ़ी जो कि केंद्र सरकार के आह्वान का ही परिणाम था।
ग्लोबल बेस्ट के रास्ते पर भारत
अब एक बार फिर पीएम मोदी ने ‘जीरो इफेक्ट, जीरो डिफेक्ट’ का मंत्र देते हुए आह्वान किया है कि जो भी ग्लोबल बेस्ट है, वो हम भारत में बनाकर दिखाएं। देश को सबसे अधिक उम्मीद ही हमारी युवा शक्ति से जो हर लक्ष्य को हासिल करने में समर्थ है। ऐसे में देश के युवाओं को आगे आना होगा और भारत को ग्लोबल बेस्ट के रास्ते पर ले जाना होगा।
कोरोना संकट में देश के घर-घर में हुई ‘वोकल फोर लोकल’ की गूंज
कोरोना संकट काल में देश के घर-घर में वोकल फोर लोकल की गूंज ने न केवल हमारे घरेलू उत्पादों और उत्पादकों को नया संबल दिया बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर तेजी से कदम भी बढ़ाया। उस दौरान देश में तमाम उत्पादन क्षेत्रों में व्यापक तेजी देखी गई थी। इनमें कृषि क्षेत्र और स्वास्थ्य क्षेत्र प्रमुख रहे।