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देश के 49वें चीफ जस्टिस बने यू यू ललित, तीन तलाक समेत कई महत्वपूर्ण मामलों पर दे चुके हैं फैसला

देश के नए चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस यूयू ललित ने शपथ ले ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। 26 अगस्त को जस्टिस एनवी रमना के सेवानिवृत्त होने के बाद जस्टिस यूयू ललित को चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। वे देश के 49वें चीफ जस्टिस बने। 10 अगस्त को राष्ट्रपति ने जस्टिस ललित को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया था। चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल 8 नवंबर तक का होगा। यानि वह अगले 75 दिन तक सुप्रीम कोर्ट की अगुवाई करेंगे।

 

2014 में नियुक्त हुए सुप्रीम कोर्ट के जज

जस्टिस उदय उमेश ललित ने जून 1983 से वकालत शुरू की। 1985 तक बाम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के बाद वे जनवरी 1986 में दिल्ली शिफ्ट हो गए। अप्रैल 2004 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया। उन्हें 13 अगस्त, 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था।

 

पिता और दादा भी रह चुके हैं न्यायिक पेशे में

जस्टिस ललित का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर में 9 नवंबर, 1957 को हुआ था। खास बात ये है कि जस्टिस ललित का परिवार भी न्याय के पेशे से जुड़ा हुआ है। इनसे पहले दादा रंगनाथ ललित महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे। जस्टिस ललित के पिता उमेश रंगनाथ ने सोलापुर से वकालत शुरू की और बाद में वे मुंबई हाईकोर्ट के जज बने।

 

जस्टिस उदय उमेश ललित ने देश के कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले सुनाए हैं और तीन तलाक से लेकर इन अहम मामलों पर फैसला भी दे चुके हैं। उनमें से कुछ…

 

–2जी के मामले में वे सीबीआई के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर नियुक्त किए गए।

 

–वह अगस्त 2017 ट्रिपल तलाक बोलने की व्यवस्था को असंवैधानिक करार देने वाली 5 जजों की बेंच के वह सदस्य थे।

 

–हाल ही में अवमानना के मामले भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 4 महीने की सजा और 2 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। जस्टिस ललित फैसला सुनाने वाले 3 जजों की बेंच में शामिल थे।

–जस्टिस ललित 2019 में आम्रपाली के करीब 42,000 फ्लैट खरीदारों को लेकर फैसला सुनाने वाली बेंच में भी रहे, जिसमें कोर्ट ने आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट को अब नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन यानि NBCC को पूरा करने का आदेश दिया। साथ ही धोखाधड़ी करने वाले आम्रपाली ग्रुप की सभी बिल्डिंग कंपनियों का RERA रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया।

–जस्टिस यू यू ललित ने 10 जनवरी 2019 को अयोध्या केस से खुद को अलग कर लिया था। तब उन्होंने कहा था कि अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में यूपी के पूर्व सीएम ण सिंह के लिए वकील के रूप में पेश हो चुके हैं। दरअसल जस्टिस यू यू ललित जज बनने से पहले देश के जानें मानें वकील भी रह चुके हैं।