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देश में वैदिक विद्या को बढ़ावा देने के लिए तेजी से हो रहा काम

देश में वैदिक विद्या को अत्यधिक बढ़ावा देने हेतु वर्तमान में केंद्र सरकार काफी गंभीर है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के आधार पर देश में वैदिक विद्या को बढ़ावा देने के कार्य कर रही है तो वहीं देश में वेद विद्या के नए-नए प्रतिष्ठान खोले जा रहे हैं।

देश में महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या जैसे बनाए जाएंगे पांच और प्रतिष्ठान

जी हां, इसी कड़ी में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को चिन्तामन गणेश रोड स्थित महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान उज्जैन के परिसर में नवनिर्मित यज्ञशाला, ऑडिटोरियम, कम्प्यूटर लैब तथा स्मार्ट कक्षा के भवनों का शुभारम्भ किया। केंद्रीय मंत्री ने इसकी तरह पांच और प्रतिष्ठान पूरे देश में बनाने की घोषणा की।

वैदिक छात्रों को बोर्ड परीक्षा से मिलेगा प्रमाण-पत्र

बुधवार को प्रतिष्ठान परिसर में वैदिक परम्परानुसार 9 कुण्डीय यज्ञशाला में विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन कर नवनिर्मित भवनों का शुभारम्भ किया। इस मौके पर केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता मंत्री तथा महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान के अध्यक्ष केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान के जैसे ही देश में पांच और प्रतिष्ठान बनाए जाएंगे। संस्थान में पढ़ने वाले वैदिक छात्रों को बोर्ड परीक्षा से प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराए जाएंगे।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विभिन्न विषयों के साथ वेद का पठन-पाठन भी

वेदों का देश में व्यापक प्रचार-प्रसार हो, इसका भी प्रयास किया जा रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विभिन्न विषयों के साथ-साथ वेद का पठन-पाठन भी होगा। इस प्रकार की व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा नीति में की गई है। वेद के ज्ञान को आगे बढ़ाया जाएगा।

हमारी जिन्दगी में वेदों से भरी पड़ी

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कई वर्षों के बाद राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 बनाई गई है। हमारे वेद कालजयी हैं। भारत अनमोल देश है। हमारी जिन्दगी में वेदों से भरी पड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत के वेद विद्यार्थी उज्जैन के महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान में एक वार्षिक सम्मेलन आयोजित कर चिन्तन-मनन करें। इस के लिए भारत सरकार आर्थिक बजट उपलब्ध कराएगी। संस्थान परिसर में आधुनिक परिसर बनाए जाने का प्रयास किया जाएगा। वेदशाला में वेदों के अध्ययन के लिए बटुकों के अलावा बेटियों को भी वेद को पढ़ाया जाए। कन्या पूजन सौभाग्य होता है।

सारी विद्याओं का मूल स्रोत हमारे वेद

धर्मों का मूल वेद ही है। विद्या का विकास करना है तो इसमें विवाद न होकर संवाद होना चाहिए। ज्ञान का प्रवाह अनन्त है। भारतीय परम्परा अनुसार काल के अनुसार हमें चलना चाहिए। गुरू-शिष्य परम्परा आज भी हमारे देश में जीवंत है। वेद की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। हम आज भी वैदिक सभ्यता में ही जी रहे हैं। सारी विद्याओं का मूल स्रोत हमारे वेद ही हैं।