नासमझी में उग्र हो रहा आंदोलन, अग्निपथ को लेकर जल रहा है राज्य
सेना में बहाली के नए नियम प्रावधानों को लेकर पूरे देश में आंदोलन हो रहा है पर बिहार में यह आंदोलन काफी उग्र हो गया हैं। कल उन्मादी छात्रों ने नवादा भाजपा कार्यालय में आग लगाई तथा वहां से भाजपा विधायक अरुना देवी के साथ धक्का-मुक्की की छपरा में भाजपा विधायक डॉ सीएन गुप्ता के आवासीय परिसर में खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी गई तथा घर में तोड़फोड़ की गई।
आज बेतिया में बिहार के उपमुख्यमंत्री रेनू देवी के आवासीय परिसर पर हमला किया गया है। बक्सर मोहनिया छपरा सिधवलिया समस्तीपुर हाजीपुर गया लखीसराय समेत कई स्टेशनों पर ट्रेनों को जलाया गया है।
सेना की बहाली की तैयारी करने वाले छात्र कुछ भी सोचने समझने की स्थिति में नहीं है उन्हें लग रहा है कि 6 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद एक फौज की नौकरी ही थी, जो इमानदारी से मिल जाती थी। उसे भी मोदी सरकार छीन रही है। बिहार में मौके की नजाकत को देखते हुए भाजपा के सहयोगी जदयू ने यू-टर्न मार दिया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने छात्रों के आंदोलन को सही बताते हुए सरकार से बहाली नियमों में फेरबदल करने की अपील की है।
उत्तर बिहार के छपरा सीवान गोपालगंज मोतिहारी बेतिया मुजफ्फरपुर आरा बक्सर गया औरंगाबाद जहानाबाद नवादा ऐसे जिले हैं जहां के युवाओं में सेना में भर्ती होने का सबसे ज्यादा क्रेज है। आप इन जिलों के किसी गांव में चले जाएं आपको दर्जनों युवा सेना में कार्यरत मिलेंगे।
दसवीं की परीक्षा के बाद सेना में शामिल होने वाली युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट होने की जरूरत होती है। ऐसे में ग्रामीण परिवेश के युवा सातवीं आठवीं क्लास से ही सेना में भर्ती होने की तैयारी करने लगते हैं। नए नियम को केंद्र सरकार सही बता रही है पर जिस वक्त यह नियम आया है उस वक्त पूरे देश में रोजगार को लेकर मायूसी छाई हुई है।
पिछले 2 वर्षों से सेना में बहाली रुकी हुई है जो छात्र फिजिकल और रिटर् कंप्लीट कर चुके हैं। उनका बस मेडिकल होना है उन्हें लग रहा है कि वह भी इस नियम के जद में आ गए।
अब 4 साल की नौकरी से कुछ भी नहीं होने वाला। रेलवे बैंकिंग के निजीकरण के बाद लोगों को लग रहा है कि सेना का भी निजीकरण हो रहा है सरकार भ्रम की स्थिति को तोड़ने में नाकाम है। इसी कारण से जन आंदोलन काफी उग्र होता जा रहा है। अगर समय रहते केंद्र और राज्य सरकार मिलकर छात्रों के जनाक्रोश को शांत नहीं कर पाए तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है। भाजपा के मंत्री विधायक और सांसदों के घरों को निशाना बनाने के पीछे एक बड़ी साजिश भी नजर आ रही है जो कि नीति नियम केंद्र सरकार बनाती है। उसमें बिहार के विधायकों का कोई योगदान नहीं होता। असामाजिक और देश विरोधी तत्व इस जनाक्रोश को भुनाने में लगे हैं। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और वीडियो डाले जा रहे हैं बिना किसी जानकारी के ज्ञान बांटा जा रहा है जो और आक्रोश को फैला रहा है। देशहित छात्र हित में केंद्र सरकार को फिलहाल अग्निपथ योजना को विराम दे कर पूर्व से चली आ रही भर्ती योजना को ही कायम रखना चाहिए।