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जातीय जनगणना की मांग को लेकर तेजस्वी ने 33 नेताओं को लिखा पत्र

पटना। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सामाजिक, आर्थिक और जातीय जनगणना की माँग को लेकर देश की विभिन्न पार्टियों के 33 वरिष्ठ नेताओं को केंद्र सरकार के उदासीन एवं नकारात्मक रवैये तथा सबकी सांझा आशंकाओं और जिम्मेदारियों के संदर्भ में पत्र लिखा है। जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए। जातीय जनगणना नहीं कराने के खिलाफ सत्ताधारी दल के पास एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।
नेताओं को लिखे पत्र में कहा कि मैं आपको सामाजिक.आर्थिक और जाति जनगणना की चल रही मांग और केंद्र में सत्तारूढ़ दल की उदासीनता के संदर्भ में हमारी साझा चिंता के बारे में लिख रहा हूं।  वंचित वर्गों के विशाल बहुमत के लिए गंभीर चिंता की बात यह है कि 23 सितंबर 2021 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा प्रस्तुत किया कि 2021 में जाति जनगणना व्यावहारिक नहीं होगी इस प्रकार पूरे भारत से सामूहिक मांग को रोक दिया।  जाति हमारे सामाजिक आर्थिक जीवन में इतनी भेदभावपूर्ण भूमिका निभाती है और विशेषाधिकारों को केवल कुछ ही हाथों में सीमित करती है।
हमारी आबादी के पचास प्रतिशत से अधिक के लिए कोई विश्वसनीय और व्यापक डेटा उपलब्ध नहीं है। जाति जनगणना के महत्व पर हाल ही में काफ ी बहस और चर्चा हुई है। जाति जनगणना की वांछनीयता के खिलाफ  एक भी तर्कसंगत कारण नहीं है।  समाज और अर्थव्यवस्था के विद्वानों के बीच एक व्यापक समझौता इस बात पर प्रकाश डालता है कि भारत भर में राज्य सरकारों के साथ साथ केंद्र सरकार द्वारा विकास के हस्तक्षेप की भविष्य की दिशाएँ विश्वसनीय डेटा द्वारा प्रमाणित वास्तव में मौजूदा वास्तविकताओं पर आधारित होनी चाहिए। महामारी के कारण दशकीय जनगणना में देरी हुई है।
अभ्यास शुरू होने से पहले हमें केंद्र सरकार से 2021 की विलंबित जनगणना में जाति जनगणना को भी शामिल करने का आग्रह करना चाहिए। भारत की जनगणना को विशेषज्ञों की मदद से 2011 में पहली सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करने के तरीके में खामियों और अंतराल पर विचार करना चाहिए।  यह सुनिश्चित करेगा कि त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया जिसने भारत की जनगणना के अनुसार डेटा को बेकार कर दिया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जाति आधारित जनगणना की मांग को राष्ट्र निर्माण में एक आवश्यक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।  एक बार आयोजित की गई जाति जनगणना वास्तव में उन गंभीर चिंताओं को सामने लाएगी जिन पर भारत जैसे देश को तत्परता के साथ ध्यान देना चाहिए।
श्वेता / पटना