शुरूआती स्तनपान बढाता है शिशुओं में कोरोना प्रतिरोधक क्षमता
शिशु के जन्म से एक घंटे के भीतर स्तनपान जरुरी
• स्तनपान कराने से नहीं होता शिशुओं में कोरोना का खतरा
• जन्म के पहले 2 घंटों तक शिशु होते हैं अधिक सक्रिय
• शुरूआती स्तनपान से शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास
अररिया : नवजात शिशुओं को जन्म लेने के एक घण्टे के भीतर स्तनपान कराना जरूरी होता है. शिशु जन्म से पहले से ही प्राकृतिक रूप से स्तनपान करने में सक्षम होते हैं. इसलिए जन्म के शुरुआती 1 घण्टे के अंदर उन्हें स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है. इससे शिशुओं में सक्रिय रूप से स्तनपान करने की क्षमता का विकास होता है. कोरोना संक्रमण के कारण बहुत से लोग ऐसा नहीं कराना चाहते जो बिल्कुल गलत है. शुरुआत के स्तनपान से ही शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. इसलिए इस संक्रमण के दौर में भी जरूरी साफ सफाई का ध्यान रखते हुए शिशु को पहले 1 घण्टे में स्तनपान जरूर कराना चाहिए.
भ्रांतियों पर न करें यकीन
लोगों में यह भ्रांतियां चल रही है कि कोरोना संक्रमण के समय नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने से उन्हें भी कोरोना फैल सकता है. बहुत से लोग इसे गम्भीरता से लेकर शिशु को स्तनपान कराने से रोकते हैं. यह बिल्कुल गलत है. स्तनपान कराने से कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं होता है. डॉक्टरों का कहना है कि स्तनपान से कोरोना संक्रामण का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है. यहां तक कि अगर कोई महिला कोरोना संक्रमित भी है तब भी वह जरूरी किट व मॉस्क का उपयोग कर अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है. स्तनपान कराने से पहले एवं उसके बाद मां को अच्छी तरह से अपने हाथ धो लेने चाहिए. स्तनपान के दौरान साफ कपड़ों के साथ-साथ आसपास की सफाई का ध्यान रखना जरूरी है.
शुरूआती स्तनपान से शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता का होता है विकास
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराधा सिन्हा ने बताया कि शुरूआती समय में मां को एक चम्मच से अधिक दूध नहीं बनता है. यह दूध गाढ़ा एवं पीला होता है, जिसे क्लोसट्रूम कहते हैं. इसके सेवन करने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है. कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझकर शिशु को पिलाने से मना करते हैं. इसके अलावा शुरूआती समय में कम दूध बनने के कारण कुछ लोग यह भी मानने लगते हैं कि माँ का दूध नहीं बन रहा है. इसलिए बच्चे को बाहर का दूध पिलाने की सलाह देते हैं. जबकि ऐसा करना बिल्कुल गलत है. उन्होंने बताया बच्चे के लिए यही गाढ़ा पीला दूध बहुत जरुरी होता है एवं माँ का शुरूआती समय में कम दूध बनना भी एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही है.
नियमित स्तनपान कराने से शिशुओं को मिलता है फायदा
जन्म लेने से 6 माह तक नवजात शिशुओं को केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए. इससे शिशुओं को बहुत से फायदे होते हैं. नियमित स्तनपान कराने से बच्चों में निमोनिया व डायरिया जैसी गम्भीर रोगों के होने की सम्भावना कम होती है. लेंसेट रिपोर्ट 2016 के अनुसार सम्पूर्ण स्तनपान से शिशुओं में 54 प्रतिशत डायरिया के मामलों में कमी आती है. लेंसेट 2008 की रिपोर्ट से पता चलता है कि 6 माह तक नियमित स्तनपान नहीं करने वाले बच्चों में 6 माह तक केवल स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में 14 गुणा अधिक मृत्यु की सम्भावना होती है. नियमित स्तनपान कराने से शिशुओं के बाल मृत्यु दर में भी कमी होती है. स्तनपान शिशुओं को श्वसन संक्रमण सम्बधी होने वाले खतरों से भी बचाव करने में सहायक होता है. इसलिए बच्चों को पहले 6 माह सिर्फ और सिर्फ मां का स्तनपान ही करना चाहिए.