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नए भारत का नारा ‘’जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान’

पूरे देश में 15 अगस्त की धूम है। दरअसल आज देश ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए है इसलिए देशवासियों के लिए यह और भी खास है। इसी उपलक्ष में देश ने स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मनाया। इस खास मौके पर देश के हर नागरिक के अंदर एक अलग ही जोश और उत्साह देखने को मिला। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जहां एक तरफ देशभक्ति में सराबोर करोड़ों देशवासी देशभक्ति के जज्बे को सलाम करते दिखे तो वहीं दूसरी और पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ‘जय जवान-जय किसान’ के साथ ‘जय अनुसंधान’का नारा देकर इसे और भी अद्भुत बना दिया। वाकई यह नए भारत का नारा है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी, लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।

पीएम मोदी ने देशवासियों को दी शुभकामनाएं

अपने संबोधन की शुरुआत में आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए पीएम मोदी ने कहा, न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वालों के द्वारा विश्व के हर कोने में हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है। मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आजादी की जंग में गुलामी का पूरा काल खंड संघर्ष में बीता

आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा, आज का यह दिवस ऐतिहासिक दिवस है, एक पुण्य पड़ाव, एन नई राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का यह शुभ अवसर है। आजादी की जंग में गुलामी का पूरा काल खंड संघर्ष में बीता है। हिंदुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं था कोई काल ऐसा नहीं था जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो।
भारत का जन मन आकांक्षी जन मन है

पीएम मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए कहा कि आकांक्षी समाज किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होता है। भारत का जन मन आकांक्षी जन मन है।

उन्होंंने कहा कि देश का हर नागरिक चीजों को बदलना चाहता है। सकारात्मक बदलाव देखना चाहता है। वह अपनी आंखों के सामने बदलाव देखना चाहते हैं। आज का दिवस ऐतिहासिक है। एक पुण्य पड़ाव, नई राह, नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है। उन्होंने कहा कि आइए, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत को सशक्त, समृद्ध बनाने और विश्व गुरु के पथ पर आगे ले जाने का संकल्प लें।

हर महापुरुष को, हर त्यागी को, बलिदानी को नमन करने का अवसर

आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी को, बलिदानी को नमन करने का अवसर है, उनका ऋण स्वीकार करने का अवसर है। पीएम मोदी ने कहा, देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों का, जिन्होंने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का किया जिक्र

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मृति दिवस पर हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया, जिन्होंने हमारे तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। देशवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में देश की जनता ने मुझे जिम्मेदारी दी थी। वे आजादी के बाद पैदा हुए पहले व्यक्ति हैं, जिसे लाल किले से लोगों को संबोधित करने का मौका मिला।

उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास जिन्हें इतिहास में नहीं मिली जगह

पीएम मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनको भुला दिया गया था। आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया।

पूर्व प्रधानमंत्रियों का किया स्मरण

पीएम मोदी ने कहा कि इस खास मौके पर मैं पूर्व प्रधानमंत्रियों लाल बहादुर शास्त्री और अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण करना चाहूंगा। पीएम मोदी ने कहा, “लाल बहादुर शास्त्री ने देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए जय जवान जय किसान का नारा दिया था। बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान को जोड़ा। अब देश की जरूरतों को देखते हुए इसमें नई चीज को जोड़ना आवश्यक है। इसलिए अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान की जरूरत है।”

भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह कर रहा खोखला

पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। सरकार का प्रयास है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लूट का धन लौटाना पड़े। आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के द्वारा आधार, मोबाइल जैसी आधुनिक व्यवस्थाओं का उपयोग करते हुए देश के दो लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाए गए हैं।

भाई-भतीजावाद के संस्थागत हो चुके स्वरूप का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है।”

राष्ट्रमंडल खेलों में देश के खिलाड़ियों को पहले से अधिक पदक मिले

उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में देश के खिलाड़ियों को पहले से अधिक पदक मिले हैं। यह प्रतिभाएं पहले भी भारत में थीं, लेकिन भाई-भतीजावाद के कारण वह नहीं उभर पाईं।

नारी शक्ति व नारी सम्मान पर दिया जोर

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में नारी शक्ति और नारी सम्मान पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने भाषण और आचरण में ऐसा कुछ भी न करें, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नारी शक्ति हमारे समाज के हर क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगले 25 वर्षों में जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की अधिक भागीदारी होगी और देश की बेटियां भारत को ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।

भारत की नारी शक्ति आगे आ रही

आगे उन्होंने कहा कि भारत की नारी शक्ति आगे आ रही है। हम अपनी बेटियों को जितने अधिक अवसर प्रदान देंगे, वे भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी। मैं पिछले कुछ दिनों में कई ऐसी महिलाओं से मिला जिन्होंने प्रेरित किया है।

उन्होंने कहा, “मैं अपना दर्द लाल किले से बताना चाहता हूं। मैं अपने अंदर के इस दर्द को और कहां बांट सकता हूं? अगर मैं देशवासियों के सामने यह नहीं कहता? किसी कारण से हमने अपने अंदर एक विकृति विकसित कर ली है। हमारे भाषण में, हमारे व्यवहार में, शब्दों में महिलाओं का अपमान करते हैं।”

अमृतकाल में पांच प्रतिज्ञा पर शक्ति, संकल्प और सामर्थ्य केंद्रित करना होगा

पीएम मोदी ने आजादी के अमृत काल को राष्ट्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें पांच प्रतिज्ञाओं पर अपनी शक्ति, संकल्प और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। उन्होंने भारत को लोकतंत्र की जननी करार देते हुए कहा कि विविधता ही इसकी ताकत है।

2047 के लिए पांच प्रण

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 के लिए पांच प्रण में विकसित भारत बनाना, दासता के किसी भी निशान को हटाना, विरासत पर गर्व, एकता और अपने कर्तव्यों को पूरा करना शामिल है। उन्होंने युवाओं से देश के विकास के लिए अपने जीवन के अगले 25 वर्ष समर्पित करने का आग्रह करते हुए कहा कि हम पूरी मानवता के विकास की दिशा में काम करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं।

पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा

पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले 25 साल के लिए हमें ‘पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि देश अब बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत। प्रधानमंत्री ने दूसरा प्रण बताते हुए कहा कि किसी भी कोने में मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश है, तो उससे हमें मुक्ति पानी ही होगी। हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने एकता और एकजुटता के अलावा नागरिकों के कर्तव्यों को भी इसमें जोड़ा।

उन्होंने कहा कि अमृत काल का पहला प्रभात समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने का सुनहरा अवसर है। हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है।