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सीवान के जीरादेई में मनाया गया “आजादी का अमृत महोत्सव”, वीर सपूतों को किया गया याद

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के फ़ील्ड आउटरीच ब्यूरो (एफओबी) छपरा द्वारा भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के जन्मस्थल जीरादेई में आज भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर “आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राजेंद्र प्रसाद के पैतृक निवास परिसर में स्थित उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण से हुई।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एवं उद्घाटनकर्ता सीवान की प्रथम महिला सांसद कविता सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाने वाले शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों एवं वीर सपूतों के बारे में वर्तमान पीढ़ी को बताने के उद्देश्य से ही “आजादी का अमृत महोत्सव” का आयोजन किया है।

उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव का आयोजन देश के वीर सपूतों व स्वतंत्रता सेनानियों  का मान-सम्मान बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता के लिए और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के उद्देश्य से भारत विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को लेकर जितना भी चित्रण में किया जाए वह कम है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी के संबोधनों का उल्लेख करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 75 वीं वर्षगांठ का अर्थ 75 वर्षों में हमारी क्या उपलब्धि रही है, उस पर विचार करना है।

हम भारत को ‘एक’ कैसे रख सकते हैं तथा भारत के सपनों को साकार कैसे कर सकते हैं, उस पर विचार करना ही अमृत महोत्सव का उद्देश्य है। महात्मा गांधी जी के प्रथम आंदोलन चंपारण सत्याग्रह को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब गांधी जी चंपारण से जीरादेई आए थे, तो उनके भाषण से प्रभावित होकर डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सीनेटर के पद से त्याग पत्र दे दिया था और आजादी की लड़ाई में खुद को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि सिवान के जीरादेई की धरती देश के महान सपूत और शहीदों की धरती है। उन्होंने यह भी कहा कि हम देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आधी आबादी को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

प्रभावती देवी, राजवंशी देवी, कस्तूरबा गांधी, सरोजनी नायडू, सुभद्रा कुमारी चौहान आदि ने आजादी की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। उनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि महान विभूतियां हमें और हमारी पीढ़ी को प्रेरणा देने का काम करती हैं। उन्होंने राजेंद्र बाबू के वक्तव्य को दोहराते हुए कहा कि “कोई भी गलत मंशा आपको किनारे नहीं लगा सकती है जब तक कि आप खुद गलत नहीं करते हैं”।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं जीरादेई के विधायक अमरजीत कुशवाहा ने डॉ राजेंद्र बाबू की धरती को नमन करते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार की बेहद सराहनीय पहल है, जिसमें देश के आजादी के नायकों को याद कर रहे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि गांधी जी का संदेश था कि जब तक अंतिम व्यक्ति के आंखों से आंसू बहना बंद नहीं होगा, तब तक देश की आजादी बेमानी है।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल 93 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सिंह ने कहा कि मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं जहां आज ‘भारत की आजादी का अमृत महोत्सव‘ मनाया जा रहा है। उन्होंने राजेंद्र प्रसाद की चर्चित पुस्तक डिवाइडेड इंडिया (खंडित भारत) का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के बंटवारे के समय किस तरीके के हालात थे, इसमें उसका बखूबी चित्रण किया गया है। इसे हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब देश आजाद हो रहा था तब गांधीजी आंदोलन पीड़ितों से मिलने बंगाल पहुंचे थे और वे उस वक्त उन्हीं के साथ थे। यह गांधीजी का देश और देशवासियों के प्रति उनकी संवेदना और दर्द को दर्शाता है। उन्होंने सिवान के महाराजगंज में गांधी जी के आगमन का जिक्र करते हुए कहा कि जब गांधी जी यहां आए थे, तब महिलाओं ने देश की आजादी के लिए अपने गहने निकाल कर दे दिए थे।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल जेपी सेनानी महात्मा सिंह ने डॉक्टर राजेंद्र की तीन पुस्तकों- खंडित भारत (भाग 1 एवं 2) तथा आत्मकथा का जिक्र करते हुए कहा कि इस पुस्तक को हमारी नई पीढ़ी को जरूर पढ़ना चाहिए और देश की आजादी से जुड़ी घटनाओं से परिचित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार को जीरादेई में राजेंद्र बाबू मुख्य द्वार का निर्माण कराना चाहिए और साथ ही एक सरकारी कॉलेज की स्थापना भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार बुद्धा सर्किट बना रही है, उसी तरह सीवान स्थित शहीद उमाकांत के गांव से जीरादेई होते हुए पटना तक एक शहीद सर्किट का निर्माण करना चाहिए।

कार्यक्रम के आयोजक एवं फ़ील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य लोगों को देश के आजादी के नायकों को लेकर याद कराना है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बिहार के सीतामढ़ी, मुंगेर सहित कई जिलों में किया जा रहा है। उन्होंने कहा आजादी का अमृत महोत्सव भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाने हेतु भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम की एक श्रृंखला है।

यह महोत्सव जनभागीदारी की भावना के साथ जनउत्सव के रूप में पूरे देश भर में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 12 मार्च 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च के 91 वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव की शुरुआत की गई थी, जिसे 15 अगस्त 2023 तक पूरे देश भर में लगातार आयोजित किया जाता रहेगा।

कार्यक्रम के दौरान चित्रांकन प्रतियोगिता एवं क्रिकेट मैच के सफल प्रतिभागियों को गणमान्य अतिथियों के हाथों पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय सहायक प्रसार पदाधिकारी सर्वजीत सिंह तथा आकाश कुमार ने किया।

इस मौके पर परमसंत रामनारायण दास महाराज, नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा अधिकारी कार्तिक सिंगला, सांसद प्रतिनिधि लालबाबू प्रसाद, लाफिंग बुद्धा नागेश्वर दास, पारस नाथ पाठक, सत्येन्द्र भारती, प्राचार्य कृष्ण कुमार सिंह, प्रफुल्ल चंद वर्मा, कमलवास दुबे, रामेश्वर सिंह, विकास शाही, प्रो संदीप यादव, विनोद श्रीवास्तव, अभिषेक आदि उपस्थित थे ।