पद्मश्री सम्मानित शिवन पासवान और शांति देवी का खादी मॉल पटना में हुआ आगमन
खादी मॉल आकर शांति देवी ने कहा कि महात्मा गांधी ने खादी और चरखा के माध्यम से ग्रामीण आत्मनिर्भरता की ज्योति जलाई, वह ज्योति अभी भी विश्व के सभी विकासशील देशों के लिए अनुकरणीय है।
बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड,पटना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी दिलीप कुमार ने दोनों अतिथिगणों का अंग वस्त्र, फूल और बुके भेंट दे कर अभिवादन किया। शांति देवी ने कहा कि ‘मैं देश-विदेश में अपने बिहार की धरोहर मधुबनी पेंटिंग लेकर लोगों के बीच कई बार गई हूं। चार बार जापान (हासेगावा मिथिला आर्ट इंस्टिट्यूट) गई। उनकी मां मधुबनी पेंटिंग बनाकर अपने घर की दीवारों पर सजाती थी जिससे उन्होंने प्रेरित होकर मधुबनी चित्रकला करना शुरू किया।
उन्होंने आगे कहा कि हम दोनों दंपति अड़तालीस साल से ज्यादा समय से इस कला से जुड़े हुए है। यह तो बिहार की परंपरा है, धरोहर है, जो हमने अपनी दादी-नानी से सीखी है और आज उन धरोहरों की कलाकृति को खादी मॉल में सज्जित देखना गर्व का पल है। वही पद्मश्री शिवन पासवान ने कहा कि मधुबनी पेंटिंग हमारे देश की प्राचीनतम कला है। उन्होंने कहा कि यह कला काफी बारीक है। इस कला के माध्यम से ना सिर्फ़ कलाकारों में कौशल का विकास होता है बल्कि इस कला की लोकप्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ रही है।
खादी मॉल के भ्रमण के दौरान दोनों अतिथिगणों ने बिहार के हस्तशिल्पियों और बुनकरों द्वारा बनाए गए विभिन्न उत्पादों को देखा और उनकी भरपूर सराहना की। उन्होंने कहा कि खादी मॉल में बिहार के हस्तशिल्प, हैंडीक्राफ्ट और ग्राम उद्योगों का विशाल रेंज है जिससे शहरी लोगों को आसानी से गांव की सुभाषित माटी से युक्त प्रोडक्ट प्राप्त हो जाते हैं।