अनुराग ठाकुर के विरोधियों की भी खुली रह गई हैं आंखे
अनुराग सिंह ठाकुर केंद्रीय राज्य मंत्री हिमाचल प्रदेश से सांसद है ना तो छात्र जीवन में किसी संघ के साथ जुड़े रहे है और ना किसी संगठन के साथ। लेकिन पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल में भाजपा का बीज बोने में अपने अनुभवों से जो मेहनत की थी उसी आंगन में अनुराग ठाकुर पले बड़े है। शायद ऐसा भी बोल सकते है कि राजनीतिक गुण उन्हे विरासत में ही मिले है। जम्मू कश्मीर के DDC चुनावों में भाजपा के विजय परचम का जिम्मा अनुराग ठाकुर के कंधों पर ही था। उनके साथ शहनवाज हुसैन को भाजपा ने जम्मू भेजा था। लेकिन रणनीति चुनाव प्रभारी अनुराग ठाकुर की थी।
भाजपा के घोषणा पत्र में धारा 370 को हटाने का वायदा था। कोई इस बात को नहीं मानता था कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 भी हट सकती थी। लेकिन भाजपा ने हटा तो दी साथ ही साथ यह भी साबित कर दिया कि घाटी इस फैसले के साथ है। मगर जम्मू कश्मीर से कोई बड़ा चेहरा भाजपा के पास नहीं था जो कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सही फायदा उठा कर चुनावों में भाजपा का बिगुल बजा सकता है।
जम्मू कश्मीर में जब से पीडीपी से सरकार टूटी है भाजपा नेतृत्व कमी से जूझ रही थी। लेकिन जैसे धारा 370 हटी और लद्दाख को JK से अलग किया गया तो अमित शाह की रणनीति में हिमाचल के छोकरे अनुराग ठाकुर की एंट्री हो गई।
भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष जब अनुराग ठाकुर हुआ करते थे तो तिरंगा यात्रा निकाल कर पूरे देश में अपना लोहा मनवाया था। इसी यात्रा के कारण उन्हें जेल में डाला गया। अनुराग ठाकुर की हिन्दू छवि को अमित शाह जी ने लद्दाख के चुनावों में चेक कर लिया था । इन चुनावों में अनुराग ठाकुर ने पहली बार लद्दाख के चुनावों में भाजपा का परचम भारी बहुमत से फहराया था। उसी दिन से मोदी जी और अमित शाह जी की नजर में अनुराग को जम्मू कुछ भाजपा के लिए बड़ा कर सकता है।इसी मन से खुला हाथ देना शुरू कर दिया।
अनुराग ठाकुर को रणनीति के तहत ही DDC चुनावों से पहले जम्मू कश्मीर के दौरे पर भेजते रहे। मीडिया गुट भी मोदी और शाह की रणनीति को पढ़ नहीं पाए लेकिन जिस दिन डीडीसी चुनावों का चुनाव प्रभारी अनुराग ठाकुर को लगाया गया केंद्रीय मीडिया ने कई आंकलन करना शुरू किए बल्कि घाटी में चर्चित चेहरा बन रहे अनुराग ठाकुर के विरोधियों की भी आंख खुली की खुली रह गई।
दिलचस्प बात यह है कि इन चुनावों में अनुराग ठाकुर पिछले डेढ़ महीने से जम्मू कश्मीर में ही डटे रहे। मीडिया मैनेजमेंट के मास्टर कहे जाने वाले अनुराग ठाकुर ने अमित शाह ही रणनीति के तहत ही पूरे चुनाव को केंद्रीय मुद्दों, धारा 370 और जम्मू कश्मीर के कुछ परिवारों के पास राजनीति करने का आरोप लगाकर सर गर्म रखा।
टेररिज़्म को ना टूरिज्म को हां रोशनी घोटाला, गुपकार गैंग के खिलाफ, गोली के खिलाफ, ऐसे मुद्दों के ऊपर जम्मू कश्मीर के चुनाव को घुमा दिया । जम्मू में थोड़ी सी जमीन भाजपा के पास थी लेकिन कश्मीर ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भाजपा के कार्यकर्ता ना के बराबर थे। लेकिन यहां भी तीन मुस्लिम भाजपा के खेमे से जीत कर पहली बार आए है।अनुराग ठाकुर की रणनीति के तहत ही राष्ट्रीय युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष को चुनावों में उतार दिया और कश्मीर में जीत भी गया। यह बात किसी के हल्क से ना अभी उतर रही है और ना बाद में उतरेगी कि मुस्लिम बहुल में भाजपा की एंट्री कैसे हो गई ?
नेतृत्व की नई पौध तैयार करने का जिम्मा जो अनुराग ठाकुर के कंधों पर था उसका परिणाम सबसे सामने आ गया है। जम्मू कश्मीर में भाजपा एक मात्र पार्टी बनी है जिसने सबसे अधिक सीटें जीती है। अब अनुराग ठाकुर ने एक ऐसी परीक्षा पास कर ली है जिसमें बैठने से बड़े बड़े डरते है। जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में भाजपा की नीव अपने दम पर तैयार करना कोई छोटी बात नहीं है। हिमाचल में एक तबका ऐसा भी था जो अनुराग ठाकुर के चुनाव प्रभारी बनाए जाने से बोल रहा था क्या दिहाई का आंकड़ा भी नहीं मिलेगा बीजेपी को, अनुराग के पास तो संगठन का अनुभव ही नहीं है, जानबूझ कर अनुराग को इन चुनावों में धकेला, और ना जाने कैसे कैसे तर्क थे। लेकिन डीडीसी चुनावों के परिणामों के बाद जो जनाजा ऐसे कुतर्क गेंग का निकला है उसका कोई अंदाजा नहीं है।
अमित शाह की टीम में अनुराग ठाकुर मजबूत चेहरा बनते जा रहे है। यही वजह है कि मोदी और शाह के भरोसे पर हिमाचली छोकरे ने झंडा बुलंद करना जारी रखा है। हिमाचल के लोगों के लिए बड़ी बात है यहां के नेता राष्ट्रीय राजनीति में देश को नई दिशा देने में भूमिका निभाते रहे है।
संदीप त्यागी
लेखक भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य हैं।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)