सेंसेक्स 180.05 अंकों की बढ़त के साथ 47,153.59 के स्तर पर खुला
नई दिल्ली: आज सप्ताह के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को शेयर बाजार में बढ़त के साथ खुला। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 180.05 अंकों की बढ़त के साथ 47,153.59 के स्तर पर खुला। वहीं निफ्टी की भी शुरुआत हरे निशान के साथ हुई। बैंक, आटो और मेटल शेयरों में बाजार को अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। फिलहाल सेंसेक्स करीब 300 अंक मजबूत है और यह 47284 के स्तर पर ट्रेड कर रहा है। बाजार शुक्रवार को क्रिसमस के मौके पर बंद था। क्रिसमस के चलते शुक्रवार को एशिया, यूरोप और वॉल स्ट्रीट सहित वैश्विक बाजार भी बंद रहे।
गुरुवार को घरेलू शेयर बाजार लगातार तीसरे सत्र में बढ़त के साथ बंद हुए। बैंकिंग, फाइनेंस और फार्मा सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में बिकवाली रही। BSE का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक 529.36 अंक यानी 1.14% के उछाल के साथ 46,973.54 अंक के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह NSE Nifty 148.15 अंक यानी 1.09 फीसद के उछाल के साथ 13,749.25 अंक के स्तर पर बंद हुआ। अधिकतर सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान के साथ बंद हुए। हालांकि, आईटी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली देखने को मिला।
घरेलू शेयर बाजारों में मजबूत शुरुआत और विदेशी मुद्रा प्रवाह जारी रहने से बृहस्पतिवार को अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया शुरुआती कारोबार में 14 पैसे बढ़कर 73.62 रुपये प्रति डालर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का प्रवाह बने रहने और घरेलू शेयर बाजार की तेजी के बीच अंतर बृहस्प़तिवार को अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की तेजी के साथ 73.76 55 पर बंद हुआ।
सर्राफा बाजार में बृहस्प़तिवार को सोना 385 रुपये की तेजी के साथ 49,624 रुपये प्रति दस ग्राम हो गया। इससे पहले बुधवार को सोने का भाव 49,239 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था। चांदी का भाव भी 1,102 रुपये बढ़कर 66,954 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया। इससे पिछले दिन यह 65,852 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ था।
अजीत मेनन, सीईओ, पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने कहा कि आगे साल 2021 के लिहाज से देखें तो अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए कई सकारात्मक चीजें रही हैं। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने कोविड की वजह से असल अर्थव्यवस्था और खासकर छोटे एवं मध्यम कारोबारों को लगे झटके को समझा है। उन्होंने न केवल भारी नकदी को झोंका है, बल्कि यह भी वादा किया है कि निकट भविष्य में वे दरों को कम रखेंगे। इससे जोखिम वाले एसेट की मांग बढ़ेगी और भारत जैसे उभरते बाजारों में वैश्विक निवेशकों का निवेश बढ़ता दिखेगा।