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रक्षाबंधन के त्यौहार पर अब दे सकते है अपनी बहन को सोने का गिफ्ट क्योंकि सस्ता हुआ सोना

कोरोना महामारी से सोने के भाव में रिकॉर्ड तेजी जारी है। इसका फायदा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को जबदरस्त मिल रहा है। निवेशकों को सिर्फ 20 दिनों में 12% का रिटर्न मिला है। वहीं, बीते चार साल में करीब 80% का रिटर्न मिला है। इसको ऐसे समझें कि गोल्ड बॉन्ड सीरीज-4 में प्रति ग्राम सोने की कीमत 4,852 रुपये ग्राम तय की गई थी।

रक्षाबंधन पर सस्ता सोना खरीदने का मौका, मोदी सरकार दे रही तोहफा

अगस्त महीने की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने के पहले सोमवार यानी 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार है। मोदी सरकार एक खास स्कीम के तहत सस्ता सोना खरीदने का मौका दे रही है। कहने  का मतलब है की 3 अगस्त से खुलने वाले सीरीज-5 में कीमत 5,334 रुपये प्रति ग्राम तय की गगई है। वहीं, सोने का भाव शुक्रवार 54,538 रुपये प्रति दस ग्राम पहुंच गया है। इस तरह बाजार भाव से सॉवरेन बॉन्ड में सोना एक हजार रुपये से सस्ता मिल रहा है। वहीं, जब पहली बार 2015 में सॉवरेन बॉन्ड शुरू किया गया था तो एक ग्राम सोने की कीमत उस समसय 2682 रुपये तय की गई थी। करीब चार साल बाद अब कीमत दोगुनी से अधिक होने जा रही है। ऐसे में अगर आप पिछली बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेश करने से चूक गए तो फिर मौका मिल रहा है। 3 से 5 अगस्त तक एक बार फिर से निवेश कर सकते हैं। आप कॉमर्शियल बैंक, कुछ चुनिंदा डाकघरों और शेयर बाजारों के माध्यम से बॉन्ड खरीद सकते हैं।  आठ साल का लॉकइन पीरियड: आपको निवेश के पहले यह जानना जरूरी है कि सॉवरेन बॉन्ड में लॉकइन पीरियड कितने साल का है। लॉकइन का मतलब होता है कि उससे पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं। गोल्ड बॉन्ड में  आठ साल का लॉकइन पीरियड है। हालांकि, पांचवे साल से यूनिट्स बेचकर पैस निकाल सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन पर छूट

ऑनलाइन भुगतान करने वालों को 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलेगी, जिससे सोने का भाव 5,284 रुपये प्रति ग्राम होगा। मतलब ये कि आपको अगर 10 ग्राम सोने की खरीदारी करनी है तो 52 हजार 840 रुपये चुकाने होंगे।

निवेश के हिसाब से बेहतर विकल्प

अगर आप सोने में निवेश करना चाहते है तो यह फिजिकल गोल्ड खरीदने से बेहतर है। इसे रखने से लेकर बेचने में कोई समस्या भी नहीं आती है। आप कम रकम से निवेश कर सकते हैं।

निवेश के हिसाब से बेहतर विकल्प

रिजर्व बैंक के अधीन आने वाले इस बॉन्ड की मियाद आठ साल की है। इसमें पांचवें साल के बाद ब्याज भुगतान की तारीख पर बाहर निकलने का विकल्प उपलब्ध है।