देश में तकनीकी शिक्षा की अग्रणी संस्था पीसीटीआई 12 अगस्त को पंजाब में फ़िरोज़पुर ज़िले में होगा पहले सैन्य विरासत गाइडेड टूर का आयोजन
दिल्ली, 4 अगस्त। देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा सेवा थिंक टैंक, यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) और देश में तकनीकी शिक्षा की अग्रणी संस्था पीसीटीआई 12 अगस्त को पंजाब में फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में पहले सैन्य विरासत गाइडेड टूर का आयोजन कर रही है। इस टूर के लिए स्थानीय लॉजिस्टिक सपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीकी मंत्रालय की एसपीवी सीएससी – ई गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड उपलब्ध कराएगी।
उल्लेखनीय है कि देश में सैन्य विरासत पर्यटन की संभावनाओं का पता लगाने और उसको विकसित करने के लिए यूएसआई और पीसीटीआई ने एक एमओयू किया था। इसके तहत सैन्य विरासत महत्व के स्थलों की पहचान करके उसे पर्यटन केंद्र के रूप विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाना और पर्यटकों के लिए गाइडेड टूर का आयोजन करना है।
इस एमओयू के अनुसार यूएसआई पर्यटन स्थल की सम्भावनाओं को तलाशेगी और उसे डॉक्यूमेंट करेगी और पीसीटीआई टूर ऑर्गेनाइज करेगी। सीएससी – एसपीवी अपने सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से स्थानीय सहायता प्रदान करेगी। इसके लिए पीसीटीआई ने सीएससी – ई गवर्नेंस इंडिया लिमिटेड के साथ एक एमओयू किया है।
इस विषय में यूएसआई के सहायक महानिदेशक मेजर जनरल (रिटायर्ड) पी के गोस्वामी ने जानकारी दी। उनके अनुसार, “देशी विदेशी पर्यटकों का एक बड़ा वर्ग देश की सैन्य उपलब्धियों और ऐतिहासिक घटनाओं (युद्ध आदि) को समझना और उसपर गर्व करना चाहते हैं। हमारी सैन्य विरासत पर्यटन उन घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करेगी जिनकी इतिहास, सैन्य मामलों और सांस्कृतिक विरासत में रुचि है। इसके अलावा ये पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को भी आकर्षित करेंगी जिनका इन स्थानों से भावनात्मक लगाव है।”
सीएससी- एसपीवी के प्रबंध निदेशक श्री संजय कुमार राकेश ने के अनुसार “सैन्य धरोहर को समेटे ये स्थल, पर्यटकों को देश के सैन्य इतिहास का पता लगाने, महत्वपूर्ण लड़ाईयों और युद्धों के बारे में जानने और अतीत के वास्तुशिल्प चमत्कारों को देखने का मौका प्रदान करती हैं। देश की एक लंबी और विविध सैन्य विरासत है, जिसमें विभिन्न राजवंश, और साम्राज्य अपने पीछे ऐतिहासिक स्थलों और कलाकृतियों का खजाना छोड़ गए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत में कई युद्ध स्मारक और संग्रहालय हैं जो सैनिकों के बलिदान का सम्मान करने और उनकी कहानियों को प्रदर्शित करने के लिए समर्पित हैं।”
पीसीटीआई के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक मेजर (रिटायर्ड) सुशील गोयल के अनुसार ” इन जगहों पर अभी भी लोग जाते हैं, लेकिन इन्हें संवारने की ज़रूरत है और लोगों को इनके बारे में सटीक जानकारी की ज़रूरत है। इसीलिए ऐतिहासिक स्थलों के उचित संरक्षण और रखरखाव के साथ-साथ प्रभावी विपणन और प्रचार रणनीतियों की भी आवश्यकता है। इसके लिए जगह, घटना और पात्रों की वस्तुनिष्ठ और सटीक जानकारी सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। इसके अलावा पर्यटन इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटकों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण कारक है और हम लोग उसी को लक्ष्य करके तैयारी कर रहे हैं।”
स्क्वॉड्रन लीडर (रिटायर्ड) आरटीएस छिन्ना, निदेशक, यूएसआई के अनुसार “इसके तहत पहली सर्किट के रूप में हुसैनीवाला को चिन्हित किया गया है, जहां 1965 और 1971 के युद्धों में ऐतिहासिक युद्ध हुए थे। वैसे है तो हुसैनीवाला भी एक गांव ही, लेकिन इसका अपना ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व है। देश के महान सपूत और क्रान्तिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी यहीं पंचतत्व में विलीन हुए थे। यहाँ एक राष्ट्रीय शहीद स्मारक है, जो इनके बलिदान की याद दिलाता है, स्मारक में एक ऊंचा टॉवर है जिसमें एक लौ है जो उनके सम्मान में लगातार जलती रहती है। यहीं प्रसिद्ध हुसैनीवाला बॉर्डर रिट्रीट समारोह का स्थल है, जो हर शाम होता है। यह बॉर्डर रिट्रीट भारत और पाकिस्तान के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रतीक है।”
हुसैनीवाला का एक अन्य आकर्षण हुसैनीवाला बैराज है, जो सतलज नदी पर बना एक बांध है। यह न केवल आसपास की कृषि भूमि के लिए सिंचाई के स्रोत के रूप में कार्य करता है बल्कि आगंतुकों के लिए एक सुरम्य दृश्य भी प्रस्तुत करता है। इसके अतिरिक्त, हुसैनीवाला अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, जो इसे शहर के जीवन की हलचल से शांति और विश्राम चाहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। हरे-भरे खेतों से घिरा हुआ ये गांव, पंजाब के ग्रामीण जीवन का अनुभव करने का मौका देता है।