सैनिक सेवा अनिवार्य हो- देश के अन्न-धन का लुत्फ लेने वालों को ये अहसास होना भी जरुरी है कि यहाँ का कण-कण कितना कीमती है
अब समय आ गया है कि सरकारी कर्मचारियों और 5 लाख से ऊपर की आय वालों के लिए आर्मी सर्विस अनिवार्य की जाये. ताकि देशभक्ति नारों से निकलकर वास्तविक रंग में आये और सबको पता चले कि कैसे एक फौजी देश की धड़कन है?? जो वतन की मिट्टी के लिए कुर्बान होता है अपना सब कुछ भूलकर. इनकम टैक्स की तर्ज और रिजर्वेशन के आधार पर आर्मी सर्विस के साल निर्धारित किये जाए. हर देशवासी को सीमा सेवा का मौका मिलना ही चाहिए ताकि कोई आंदोलन न करें कि मुझे ये अवसर नहीं मिला. न कोई धरने पर बैठे . ग्रुप ए और बी एवं 12 लाख से ऊपर की आय वाले परिवार के के लिए तो ये इस वतन में रहने की प्रथम शर्त होनी चाहिए.
इससे देश सुरक्षा तो मजबूत होगी ही साथ में सामाजिक समानता का नया दौर भी कुलाचे भरेगा. जल्दी ही आपको गाड़ियों और अन्य वाहनों पर जातिगत टैग कि बजाय एक ही नाम दिखेगा ये मेरा इंडिया. क्या दिन होंगे वो? कल्पना कीजिये. जब सबका दुःख-सुख एक होगा कोई ये नहीं कहेगा कि मुझे ये नहीं मिला, उसे मिल गया और जो धनाढ्य परिवार बरसों से यहां की सम्पदा का रसा -स्वादन कर रहे है, जिनका कोई बेटा सीमा पर सेवा देने नहीं गया,जो झूठे फूल चढ़ाकर वाही-वाही और अखबारों में चित्र छपवा रहे रहे हैं . इंसान को इंसान नहीं समझते उनको भी पता चल जायेगा कि जिस खुली हवा में तुम सांस ले रहे हो वो ऐसे ही तुम तक नहीं पहुंची. उसके लिए किसी माँ के भगतसिंह ने भरी जवानी में अपनी मासूम महबूबा के पवित्र प्यार को कुर्बान करते हुए भारत माँ के प्राणों की रक्षा के लिए फांसी का फंदा चूमा है.
हालंकि भारतीय आर्मी ने आम लोगों को ट्रेनिंग देने का प्लान तैयार किया है। भारतीय सेना एक ऐसे प्रपोजल पर काम कर रही है जिसके मुताबिक आम युवा लोग तीन साल के लिए आर्मी में शामिल हो सकते हैं। इस योजना को टूर ऑफ ड्यूटी का नाम दिया गया है। यह मॉडल पहले से चले आ रहे शॉर्ट सर्विस कमिशन जैसा होगा जिसके तहत वह युवाओं को 10 से 14 साल के आरंभिक कार्यकाल के लिए भर्ती करती है। अगर इस प्रपोजल को मंजूरी मिलती है तो सेना इसे लागू कर सकती है। हालांकि टीओडी मॉडल में अनिवार्य सैनिक सेवा जैसा नियम नहीं होगा। भारतीय सेना के अनुसार अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो यह सिस्टम पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। इसमें सेलेक्शन प्रक्रिया के नियमों को कम नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर भारत सरकार इसे अनिवार्य तौर पर लाती है तो आर्मी क्वॉलिटी से कोई समझौता नहीं होगा. लोग चाव और मन से आर्मी सर्विसेज में जायँगे.
हे मेरे देशवासियों! अब जागिये और देखिये. हम कहाँ जी रहे है? अनुभव कीजिये उस फौजी परिवार का जिस आँगन में अभी-अभी तिरंगे में लिपटकर उनका वीर-सपूत पहुंचा है, सबकी आँखें नम है. एक सन्नाटा है बस. ये सब चित्रण गर आपको रुलाता या अंदर तक झकझौरता नहीं तो तो आपको मेरे देश की मिट्टी में रहने का कोई हक़ नहीं है. आपकी भावनाओं में तिरंगा और आँखों में इस देश की सरहद नहीं तो आप इस देश पर भार है. भारत माँ का कर्ज चुकाएँ और हामी भरिये, देश की सरकार से बोलिये और ट्वीट कीजिये कि आर्मी सर्विस हमारा एक अधिकार है और इसे तुरंत लागू कीजिये.
डॉo सत्यवान सौरभ,
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी,
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार