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रोटरी चाणक्या ने दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की

पटना, 19 फरवरी सामाजिक संगठन रोटरी चाणक्या ने आज दीदीजी फाउंडेशन संस्कारशाला में महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल शुरू कर दी है।

रोटरी चाणक्या क्लब की अध्यक्ष अर्चना जैन के नेतृत्व में क्लब के सदस्य पटना के कुरथौल में फुलझड़ी गार्डन स्थित दीदीजी फांउडेशन के संस्कारशाला पहुंचे, जहां उन्होंने महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की। इस क्रम में रोटरी चाणक्या के सदस्यों ने महिलाओं को पापड़ और चिप्स बनाने के तरीके बताये।

महिलाओं का सशक्तिकरण कर उनके विकास के लिए उन्हें रोजगार से जोड़ा जाएगा : अर्चना जैन

इस अवसर पर डा. अर्चना जैन ने बताया, महिलाएं अब केवल रसोईघर तक सीमित नहीं हैं। वे घर में खाली नहीं बैठना चाहती हैं। उन्होंने अपने समय की कद्र करनी शुरू कर दी है। शायद यही वजह है कि घरों में रहने वाली महिलाओं ने भी बहुत से कुटीर उद्योगों से खुद को जोड़ लिया है। आज महिलायें घर बैठे ही पापड़, चिप्स, मोमबत्ती, अगरबत्ती, फूल माला, आदि बनाने का काम कर रही हैं। ऐसे उद्योगों में लगातार महिलाओं की रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा, जागरूकताके अभाव में जहां तहां भटक रही महिलाओं का सशक्तिकरण कर उनके विकास के लिए उन्हें रोजगार से जोड़ा जाएगा। महिलाओं को को प्रशिक्षण देकर उनमें हुनर पैदा किए जाएंगे।

रोटरी चाणक्या के सचिव अभिषेक अपूर्व ने बताया कि महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए समय समय पर इस तरह के आयोजन होने चाहिए जिससे और भी महिला उद्यमियों को मौका मिल सके।

महिलाएं कुटीर उद्योग अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं : डा. नम्रता आनंद

इस अवसर पर दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका, राष्ट्रीय-राजकीय सम्मान से अंलकृत रोटेरियन डा. नम्रता आनंद ने बताया, राष्ट्रपिता गांधीजी ने महिलाओं के उत्थान के लिए उन्हें अपने रचनात्मक कार्यक्रमों में शामिल होने, सूत कातना, चरखा चलाना जैसे रचनात्मक कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात कही थी, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों और देश के विकास और प्रगति में भागीदार बन सकें। महिलाएं कुटीर उद्योग अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकती हैं। महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनने के लिए इस तरह के मंच बहुत जरूरी है। दुनिया में ऐसा कोई भी देश नहीं है जहाँ महिलाओं को हाशिए पर रखकर आर्थिक विकास संभव हुआ हो। महिलाओं को विकास की मुख्यधारा से जोडे़ बिना किसी समाज, राज्य एवं देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारत की कुल आबादी की आधी महिलाओं को सशक्त बनाए बिना सुदृढ़ भारत का सपना पूरा नहीं किया जा सकता है।

इस अवसर पर डा. अर्चना जैन, डा. नम्रता आनंद, अनुराधा सराफ, सरोज टोडी, वर्षा झुनझुनवाला, अभिषेक अपूर्व, आशीष बंका, संदीप चौधरी, नीना मोटानी उपस्थित थी।