रितु ने बिहार और भारतीय संस्कृति को कैनवास पर उकेर कर बनाई अपनी पहचान
कहते हैं कि मन में कुछ ठान लो और सपनों के पीछे भागों तो आपको सहायक मिल ही जाते हैं और आपके सपने पूरे हो जाते हैं। इस बात को साबित किया है पटना की रितु कुमार ने जिन्होंने आज न केवल अपना सपना पूरा किया बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।
पटना में जन्मी और पली-बढ़ी रितु का सपना बचपन से ही दिखने लगा था। अमेरिका के डल्लास में रह रही बिहार की रितु कुमार बताती हैं कि मैं एक स्व-प्रशिक्षित कलाकार हूं, जिसका जन्म और पालन पोषण पटना में हुआ। मैंने बचपन से पेंटिंग शुरू की, रंग पेंसिल और पानी के रंगों के साथ शुरू हुई कला यात्रा अब एक पहचान बन चुकी है।
शादी के बाद अपने पति नीरज कुमार के साथ अमेरिका आई और एक बार फिर से पेंटिंग शुरू की। शुरूआत में अधिकांश पेंटिंग खुद व करीबी दोस्तों के लिए की। उनकी कलात्मकता और गुणवत्ता देख कर उनके कुछ मित्रों ने खुद का स्टूडियो बनाने और व्यवसायिक होने का सुझाव दिया। इसके साथ ही स्टूडियो रितु हैंडमेडआट्र्स का जन्म हुआ और फिर तो यात्रा शुरू हो गई। आज दुनिया के कई जगहों पर ऋतु का काम उनकी पहचान बन गया है। रितु बताती हैं कि अपने काम से अपनी मिट्टी को दुनिया में कई जगहों पर फैलाने का जो काम करके सुकून और संतुष्टि मिलती है वह अनमोल है।
रितु बताती है कि इस पूरे काम में उनका मूलमंत्र है-आप जो करते हैं, उसका आनंद लें। मार्केटिंग की चुनौतियों को पार करने में ग्राहक संतुष्टि पर अधिक पर ध्यान केंद्रित करें। इससे व्यावसायिक सफलता मिलेगी।
संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी और अपने माता-पिता को अपनी प्रेरणा मानने वाली रितु बताती हैं कि बचपन में पिता ने ही राह दिखाया और फिर जो यात्रा शुरू हुई वह अब तक अनवरत जारी है। पिता कृष्ण पांडे और मां अन्नपूर्णा पांडे का बहुत समर्थन मिला। वह खुद पर्यावरण विज्ञान में परास्नातक हैं।
आज रितु की पेंटिंग कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है। विभिन्न शैलियों में उनकी 1000 से अधिक पेंटिंग्स कई घरों, रेस्तरां और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान की दीवारों की शोभा बढ़ा रही है और अब तो पति नीरज भी सहयोग कर रहे हैं।
रितु बताती है कि वह कस्टम पेंटिंग भी करती हैं। उनकी अधिकांश पेंटिंग कस्टम हैं। इस विधा के लिए ही स्टुडियो की जरूरत पड़ी। उनकी पसंद और सब्जेक्ट पर काम करना पड़ता है। भारतीय संस्कृति और धर्म-अध्यात्म का पेंटिंग पर प्रभाव है। अनुभव व अवलोकन से पेंटिंग में निखार आता है। तकनीक जैसे इम्पैस्टो, फ्लुइड आर्ट, टेक्सचरिंग इत्यादि से उन्होंने कई अलग-अलग शैलियों सार, समकालीन, लैंडस्केप और भारतीय जातीय और उनकी आधुनिक व्याख्याओं को चित्रित किया है। अपनी पेंटिंग में रितु भगवान बुद्ध के जीवन, भगवान राम और कृष्ण की लीलाओं को उकेरती हैं। इसके अलावा वह भारतीय संस्कृति और बिहार की कलाओं को भी अपनी कृतियों में भावपूर्ण तरीके से उकेरती हैं।