सम्पादकीय

कब एक साथ दिख जाती कई बीमारियां, रविवासरीय में आज पढ़िए रिव्यू मीटिंग बॉस के साथ

जब से पता चला है कि बिग बॉस ने रिव्यू मीटिंग बुलाई है, ब्लड प्रेशर का पारा अचानक धड़ाम से नीचे गिर पड़ा। रिव्यू मीटिंग की बात पता चली नहीं कि ऐसा लगता है, आप अचानक से बीमार दिखने लगे हो। आप एक साथ कई रोगों से अपने आप को घिरा

मनीष वर्मा,लेखक और विचारक

हुआ महसूस करने लगते हैं। जिसने पहले भी आपको देखा है वो तो आपका चेहरा पहचान भी नहीं पाएगा। आप बहुत दिनों के बीमार दिखने लगते हैं।
काश, कुछ जुगत भिड़ जाए जो रिव्यू मीटिंग से मुक्ति मिल जाए। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस अलग मुंह उठाए सिर पर सवार हो जाता है। मधुमेह की वजह से आपका शूगर लेवल अचानक से ऊपर नीचे होने लगता है। अचानक से आप खुद को दिल का मरीज समझने लगते हैं। दिल की धड़कनें तेज हो जाती है। पर, रिव्यू मीटिंग तो खैर होनी ही है। आप तैयारी शुरू कर देते हैं, पर आप रिव्यू मीटिंग के लिए चाहे कितनी भी तैयारी कर लें, कितना भी सिम्यूलेट (simulate) कर लें, बिग बॉस का एक बाउंसर, जो धीमी गति का बाउंसर भी हो सकता है, आपकी लय बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है। और कहीं बढ़िया लेंथ और लाईन वाली याॅरकर (Yorker) का सामना करना पड़ा, तो फिर भगवान ही मालिक। आप बंगलें झांकते हुए नज़र आने लगते हैं। मैकग्राथ की गेंदों को खेलना शायद उतना मुश्किल नहीं जितना बिग बॉस के सवालों के बौछारों को झेलना। देखिए, अगर बड़े साहब ने ठान लिया है कि आपका इम्तहान याॅरकर (Yorker) एवं गुड लेंथ वाली बाउंसर से लिया जाए, तो हे पार्थ, तूफान के गुज़रने का इंतज़ार करने के सिवाय कोई चारा नहीं है। बिग बॉस के सारे के सारे सवाल ऐसा लगता है मानों तमाम खिलाड़ी तय सीमा के अंदर आपको घेर कर आप पर मनोवैज्ञानिक दवाब बना कर सारे आपको पवेलियन भेजने को तैयार बैठे हैं। अंपायर की उंगली बस उठने भर की देर है।
ऐसा लगता है आप अचानक से डीप डिस्चार्ज में चले गए हैं। अब तक की सारी मेहनत बेकार लग रही है। आपकी क्षमता अचानक से आधी हो गई है।आप घड़ी की ओर बार-बार दृष्टि डाल रहे हैं। शायद, समय जल्द गुजर जाए। पर, पता नहीं उस दिन, दिन बड़ा क्यों हो जाता है। चाय की घूंट कड़वी क्यूं महसूस होने लगती है। समय मानो ठहर सा जाता है। वक्त काटे नहीं कटता है।
पर, अगर मीटिंग के दौरान बॉस ने आपके काम की सराहना कर दी, तो ऐसी फीलिंग होती है मानो कोई जंग जीत लिया हो। अचानक से आपकी क्षमता दूनी हो गई।आप भीड़ से अलग दिखने लगते हैं। एक आध वेतन वृद्धि भी ऐसी फीलिंग नहीं दे पाती है।आप तो अब वाकई हवा में उड़ने लगते हैं।

✒️ मनीश वर्मा ‘मनु’