रामनवमी 2021: जाने क्यों मनाते है रामनवमी
रामनवमी हिंदू धर्म का एक पारंपरिक एवं धार्मिक त्यौहार है जीसे चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के 9वें दिन मनाया जाता है। रामनवमी को चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी भी कहा जाता है। पुरे भारत में हिन्दू इसे 9 दिन तक बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।
रामनवमी का इतिहास
इस पावन उत्सव का इतिहास रामायण से जुड़ा है। रामायण के अनुसार रामनवमी के पावन अवसर पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था। श्री राम अयोध्या के महान राजा दशरथ के पुत्र थे। दशरथ त्रेता युग में महान साम्राज्य अयोध्या के सम्राट थे। राजा दशरथ का राज्य बहुत ही सुख समृद्धि था। परंतु उन्हें संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी।
इस दुविधा का उपाय खोजने के लिए राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ से संतान सुख का रास्ता पूछा। ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ का सुझाव दिया।
राजा दशरथ ने तुरंत ही ऋषि वशिष्ठ के सुझाव का पालन किया एवं महर्षि श्ऋष्यस्रिंग को यज्ञ करने के लिए आमंत्रित किया। यज्ञ पश्चात यज्ञनेश्वर ने राजा दशरथ को प्रकट होकर एक खीर से भरा कटोरा दिया और उसे उनकी पत्नियां कौशल्या सुमित्रा और कैकई को खिलाने के लिए कहा।
फल स्वरूप राजा की तीनों पत्नियों ने योग्य एवं कुशल पुत्रों को जन्म दिया। माता कौशल्या को पुत्र के रूप में श्री राम की प्राप्ति हुई । कैकई ने भारत और सुमित्रा ने दो पुत्र लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।
श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे। उनका जन्म अधर्म पर धर्म की विजय के लिए हुआ था।
प्रभु श्री राम ने दुष्ट रावण का वध किया था एवं धरती को अधर्म से मुक्ति दिलाई थी। श्री राम की इस जीत के बाद अयोध्या वासियों ने उनका जन्मदिन बहुत ही धूमधाम से मनाना शुरू कर दिया और इस प्रकार रामनवमी के त्यौहार का जन्म हुआ।
सारी दुनिया के हिंदू इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा और आस्था से मनाते हैं एवं उनका मानना है कि इससे जीवन में खुशियां आती है।
हिंदू धर्म में क्या है रामनवमी का महत्व
हिंदू धर्म में इनका बहुत ही विशेष महत्व है। इसी दिन विष्णु जी के सातवें अवतार श्रीराम ने धरती पर जन्म लिया था एवं असुरों का संहार करके धरती को पाप मुक्त किया था। धार्मिक जानकारों का कहना है कि रामनवमी की पूजा करने से जीवन से बुरी शक्तियां दूर होती हैं एवं दिव्य शक्तियां मिलती है।
इस दिन को बहुत ही पवित्र माना जाता है एवं यह भी कहा जाता है कि रामनवमी का व्रत करने से जीवन के पाप दूर हो जाते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत सवेरे सूर्य देव को पानी चढ़ा कर की जाती है।
श्री राम की पूजा की जाती हैं एवं उनके सर्वोच्च शक्ति का आशीर्वाद मांगा जाता है। सूर्य देव को पानी चढ़ाने के पीछे की परंपरा की वजह बताई जाती है कि सूर्य देव श्री राम के पूर्वज थे।
भारत के अलग अलग प्रांत में कैसै मनाई जाती है रामनवमी
पूजा-पाठ के साथ-साथ कई जगह पर रामलीला का भी आयोजन होता है। इससे सभी लोगों में सकारात्मकता बढ़ती है और धार्मिक मेल मिलाप भी बढ़ता है।
दक्षिण भारत में इस दिन को श्री राम और माता सीता के विवाह के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय इसे कल्याणोत्सव के नाम से जानते हैं। उस दिन वे लोग भगवान राम और सीता की सुंदर मूर्तियों की शोभायात्रा निकालते हैं एवं जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
महाराष्ट्र में यह त्यौहार चैत्र नवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है एवं आंध्र प्रदेश तमिलनाडु कर्नाटक में इसे वसंतोसवा के नाम से जाना जाता है।
लोग अपने घर में स्वादिष्ट भोजन मिठाइयां एवं प्रसाद बनाते हैं और हवन के साथ भक्ति संगीत,मंत्र जाप का भी उच्चारण करते हैं।
कई राम भक्त 9 दिन का उपवास रखते हैं रामायण महा कथा का उच्चारण करते हैं।