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‘कर्तव्य पथ’ के नाम से जाना जाएगा राजपथ, जानें कैसा रहा इतिहास

पीएम मोदी गुरुवार, 8 सितंबर को सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन करेंगे। इसी के साथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले दिल्ली के प्रतिष्ठित ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ किया जाएगा।

सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बड़ी सेंट्रल विस्टा परियोजना का ही हिस्सा है, जिसके तहत एक नया त्रिकोणीय संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और कई अन्य सरकारी कार्यालयों के साथ पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। आइए जानते है तीन किलोमीटर के विस्तार में फैले इस सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के बारे में जिसमें 100 वर्षों के बाद प्रमुख रूप से बदलाव किया जा रहा है।

कैसे पड़ा ‘किंग्सवे’ नाम ?

राजपथ के नाम से चर्चित इस सड़क को ब्रिटिश शासन के दौरान ‘किंग्सवे’ कहा जाता था। इसे 1920 के आसपास एडविन लुटियंस और नई दिल्ली के आर्किटेक्ट हर्बर्ट बेकर द्वारा औपचारिक रूप में बनाया गया था। 1911 में जब ब्रिटिश सरकार ने अपनी राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया तब उन्होंने प्रशासनिक राजधानी के रूप में सेवा करने के लिए नई दिल्ली का निर्माण शुरू किया। लुटियन ने राजधानी क्षेत्र के आसपास केंद्रित एक आधुनिक शाही शहर की अवधारणा तैयार की थी, जिसे उन्होंने ‘किंग्सवे’ नाम दिया। यह नाम लंदन में किंग्सवे के समान था। 1911 के दौरान दिल्ली आए जॉर्ज पंचम के सम्मान में सड़क का नाम किंग्सवे रखा गया था, जहां औपचारिक रूप से राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने के निर्णय की घोषणा हुई थी।

आजादी के बाद बना ‘राजपथ’

भारत की आजादी के बाद इसके नाम सहित परिदृश्य में भी बदलाव किया गया था। सड़क को इसके अंग्रेजी नाम के स्थान पर ‘राजपथ’ का हिंदी नाम दिया गया था। 1980 के दशक में जहां पेड़ों की नई पंक्तियां जोड़ी गई वहीं उत्तर-दक्षिण संपर्क में सुधार के लिए एक नई सड़क किदवई मार्ग का निर्माण किया गया।

‘कर्तव्य पथ’ के रूप में मिलेगा नया नाम

इस साल 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ से संबंधित प्रतीकों को समाप्त करने पर जोर दिया था। आधुनिक भारत की अवधारणा के अनुरूप सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के लिए निर्माण कार्य फरवरी 2021 में शुरू हुआ। नए संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के पुनर्विकास के पहले चरण के रूप में यह दिल्ली में सबसे अधिक बार देखा जाने वाला स्थान और महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण है। ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ से संबंधित प्रतीकों को समाप्त करने के क्रम में राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत हो रहे इस निर्माण में पैदल मार्ग और पुलों के अलावा, एवेन्यू के साथ 10 स्थानों पर एक वेंडिंग क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा।

गणतंत्र दिवस समारोह के लिए, हर साल स्थापित और हटाए जाने वाले अस्थायी ढांचे को बदलने के लिए फोल्डेबल बैठने की व्यवस्था की जाएगी। सरकार ने 608 करोड़ रुपए की सेंट्रल विस्टा एवेन्यू परियोजना के बारे में कहा कि इसका उद्देश्य एवेन्यू को एक ऐसा आइकन बनाना है जो वास्तव में नए भारत के अनुरूप हो।

क्या है सेंट्रल विस्टा परियोजना ?

सेंट्रल विस्टा दिल्ली में 3.2 किलोमीटर की दूरी में फैला है, जिसमें एक नया संसद भवन, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के लिए नया निवास और कार्यालय, नए मंत्रालय भवन और उत्तर और दक्षिण ब्लॉकों को संग्रहालयों में बदलना शामिल है। कुल 13,450 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही इस सेंट्रल विस्टा परियोजना में इस साल नवंबर तक नया संसद भवन तैयार करने की कवायद तेज चल रही है। इसे दो साल से भी कम समय में पूरा करना एक बड़ी उपलब्धि है।

क्यों पड़ी सुधार की जरूरत ?

केंद्र सरकार द्वारा संसद, मंत्रालयों और विभागों के लिए जगह की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ बेहतर सार्वजनिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना का प्रस्ताव किया गया और इसके पुनर्विकास परियोजना की योजना बनाई गई है। इसके निर्माण का प्रमुख कारणों में से एक मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए संसद भवन की अपर्याप्त सुविधाएं और बुनियादी ढांचा को विकसित करना था। केंद्र सरकार के कार्यालय विभिन्न स्थानों पर फैले हुए हैं जो अंतर-विभागीय तालमेल और अनावश्यक यात्रा को प्रभावित करते हैं जिससे भीड़भाड़ और प्रदूषण होता है। इसी जटिल समस्या से निदान के लिए सेंट्रल विस्टा परियोजना को अमल में लाया गया है।