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राजेन्द्र बाबू का व्यक्तित्व स्कूल, कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए, BIA के व्याख्यानमाला में कहा हरिवंश ने

गुरुवार को बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (बीआईए) देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद स्मृति व्याख्यान का आयोजन कर डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। आयोजित स्मृति व्याख्यान हरिवंश, उप सभापति, राज्य सभा के द्वारा प्रस्तुत किया गया। व्याख्यान का शीर्षक ‘‘सामयिक परिपेक्ष में देशरत्न डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद के दर्शन की महत्ता’’ था।
अपने व्याख्यान में उन्होंने वर्तमान परिपेक्ष्य में दुनिया की सोच एवं चिन्तन के संबंध में अपनी बातों को रखते हुए कहा कि आज लगभग दुनिया की सोच तथा उसके अनुसार आगे की कार्ययोजना निजी लाभ को ध्यान में रख कर बन रही है। जहाँ नैतिक मूल्य, समाज एवं देश का कल्याण एवं विकास की कोई प्राथमिकता नहीं है। भैतिकतावादी चिन्तन और सोच समाज को विखराब की अंधकारमयी गड्डे की ओर धकेलता जा रहा है। इस परिपेक्ष्य में राजेन्द्र बाबू का विचार एवं चिन्तन ही ऐसा मंत्र दिखता है, जिससे चरित्र निर्माण से लेकर राष्ट्र निर्माण सम्भव हो सकता है। क्योंकि चरित्र ही समाज को बचा सकता है। उन्होंने राजेन्द्र बाबू की व्यक्तित्व, सादगी, देश प्रेम तथा देश निर्माण के उनके सोच और उनके त्याग के कई उदाहरण प्रस्तुत किये।
उनके अनुसार राजेन्द्र बाबू ऋषि परम्परा के अन्तिम नेता थे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजेन्द्र बाबू की किताबें तथा उनका व्यक्तित्व स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में होना चाहिए ताकि चरित्र निर्माण में सहायक हो। उन्होंने राजेन्द्र बाबू की दो चिट्ठीयाँ का इस अवसर पर जिक्र किया जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी तथा चिन्तक श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें लिखी थी और दूसरा राजेन्द्र बाबू ने अपने अग्रज को तथा अपनी पत्नि को लिखा था। चिट्ठी की पंक्ति उनके देश सेवा तथा देश के लिए सर्वस्व निच्छावर करने की चिन्तन को प्रस्तुत करता है जिसकी आज आवश्यकता है।
उन्होंने आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तथा चैट जीपीटी सोच के परिपेक्ष्य में दुनिया में हो रही विकास की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चैट जीपीटी समृद्धि संपदा तथा विकास की ऐसी परिस्थित पैदा करने में सक्षम है, जिसकी परिकल्पना नहीं की गयी है। लेकिन विकास की यह दौर बिना चरित्र के तथा अवसरवादी सोच के साथ आगे बढ़ रही है। यही तकनीकी दुनियां को सर्वनाश के मुह तक ढकेल सकता है। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका में बनाये गये मैनहैटन प्रोजेक्ट की भी चर्चा की।
उन्होंने इस अवसर पर आम आदमी की सरकार तथा राजनीति के प्रति सोच पर भी अपनी बातो को रखा। उन्होंने कहा कि आज यह एक फैशन सा हो गया है कि हम अपनी सभी तरह की कमजोरियों, बुराइयों, असफलता के लिए राजनीति तथा सरकार को दोष देते हैं लेकिन यह भी सच है कि सरकार तथा राजनीति में आने से परहेज भी करते हैं। राजेन्द्र बाबू ने राजनीति का चुनाव इस लिए नहीं किया कि उन्हें सुख समृद्धि पद गरिमा मिले बल्कि इस लिए किया कि राजनीति के माध्यम से समाज को जागृत किया जाय, राष्ट्र निर्माण तथा समाज कल्याण की नीति तैयार की जाय।
इसके पूर्व एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केशरी ने अतिथि वक्ता सहित सबों का स्वागत किया। अपने स्वागत संबोधन में उन्होंने एसोसिएशन के कार्यकलापों की संक्षिप्त विवरण रखी। एसोसिएशन के महासचिव गौरव साह ने कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। मंच का संचालन मनीष कुमार तिवारी ने किया। कार्यक्रम में अध्यक्ष केपीएस केशरी के साथ साथ उपाध्यक्ष आशीष राहेतगी एवं प्रेम नारायण प्रसाद, महासचिव गौरव साह, कोषाध्यक्ष मनीष कुमार, पूर्व अध्यक्ष अरूण अग्रवाल, रामलाल खेतान के साथ बड़ी संख्या में एसोसिएशन के सदस्यगण तथा अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।