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शहीद जगतपति कुमार की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता :राजीव रंजन प्रसाद

पटना, ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई के क्रम में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहार विधानसभा के सामने अपने छह अन्य साथियों के साथ झंडा फहराने जाते हुए जगतपति कुमार अंग्रेजों की गोलियों से शहीद हो गए थे। शहीद जगतपति कुमार समेत सभी सात शहीदों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी शहादत को पूरा देश सलाम करता है।

श्री प्रसाद ने आज जीकेसी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव पर कायस्थ रत्न रणबांकुरों और अमर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धापूर्वक याद करने के सिलसिले में व्याख्यानमाला में कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सन् 1942 में पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान भारत माता के सात सपूतों ने अपने सीने में अंग्रेजों की गोली खाकर हंसते-हंसते प्राणों की आहुति दे दी थी. इन्हीं सात सपूतों में से एक हैं औरंगाबाद जिले के गांव खरांटी के जगतपति कुमार।

जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा, बिहार के वीर सपूत जगपति कुमार ने हमारे तिरंगे के सम्मान के लिये अपने प्राणों की आहुति दी। उनका यह बलिदान कभी जाया नहीं जाएगा। जगपति कुमार की शहादत को याद करना हम सभी का कर्तव्य है।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि जीकेसी के ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा, पटना में बिहार विधानसभा के सामने शहीद स्मारक आज भी जगपति कुमार की बहादुरी, वीरता तथा आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को बयां कर रहा है।जीकेसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह बिहार-झारखंड के प्रभारी दीपक कुमार अभिषेक ने कहा, शहीद जगपति कुमार ने हमारे देश के लिए अपना खून बहाया है। हर भारतीय उनका कर्जदार है। देश के लिए प्राण न्यौछावर करने से बढ़ कर कुछ नहीं है।

जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा, शहीद जगतपति बचपन से ही क्रांतिकारी थे। हमेशा करो या मरो की बात करते थे। आजादी के लिए महान स्वतंत्रता सेनानियों, अमर शहीदों और देशभक्तों ने अंग्रेजी हुकूमत की अमानवीय यातनाएं सही और बलिदान दिए। जगपति कुमार की कुर्बानी को कभी नहीं भुलाना चाहिए।
शहीद जगतपति कुमार के प्रपौत्र अशोक कुमार, प्रवीण आनंद एवं गौरव आनंद ने जानकारी दी कि खरांटी स्थित इनका पैतृक घर भी खंडहर में तब्दील हो चुका है।

सरकारी लापरवाही की वजह से आज परिवार के सभी घर छोड़कर बाहर चले गए हैं। कोई सरकारी सहायता नही मिली। यहां तक कि शहीद जगत पति की सारी जमीन सरकार ने अपने कब्जे में ले रखी है। लेकिन उनके घर के उद्धार के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। घर के चारों ओर घास-फनूस उगे हैं। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा यह स्थल उपेक्षित और वीरान है। राजकीय सम्मान की दृष्टि से उनकी याद में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सुशील श्रीवास्तव एवं धन्यवाद ज्ञापन धनंजय प्रसाद ने किया, वहीं संचालन शिवानी गौड़ एवं रश्मि सिन्हा ने किया। अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ उपाध्यक्ष नीलेश रंजन एवं महिला संभाग की प्रदेश संयोजक नंदा कुमारी के नेतृत्व में जीकेसी के पदाधिकारियों ने किया। इस अवसर पर देशभक्ति गीतों का कार्यक्रम भी सम्पन्न हुआ।

इस अवसर पर प्रेम कुमार, दीप श्रेष्ठ, अनुराग समरूप, राजेश सिन्हा, संजय सिन्हा, राजेश कुमार, नीलेश रंजन, मुकेश महान, दिवाकर कुमार वर्मा, आशुतोष बज्रेश, अशोक कुमार, प्रवीण कुमार, गौरव आनंद, मीना श्रीवास्तव, नंदा कुमारी, शिवानी गौड़, रश्मि सिन्हा, ज्योति दास, बलिराम, शिखा स्वरूप, सुशांत सिन्हा, पीयूष श्रीवास्तव, रवि सिन्हा, आराधना, रंजन, रंजना कुमारी निशा पराशर प्रसून श्रीवास्तव समेत कई लोग मौजूद थे।