सम्पादकीय

जनता ने उपचुनाव में NDA की जीत सुनिश्चित कर स्मार्ट मीटर और जमीन सर्वे के विपक्षी मुद्दे को नकार दिया

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2024 में जनता ने राष्ट्रीय जनता दल के सियासी विरासत को गिराने और वंशवाद की राजनीति को स्वीकार नहीं करने का काम तो किया ही। बिहार की जनता ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर और जमीन सर्वे के विपक्षी मुद्दे को भी स्वीकार नहीं किया। जबकि, उपचुनाव के तारीख की घोषणा से पहले विपक्षी दलों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर और जमीन सर्वे को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की थी। स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर तो विपक्षी दलों ने प्रेस कांफ्रेंस से लेकर पैदल मार्च और सड़कों पर प्रदर्शन तक कर दिया था। लेकिन चुनाव परिणाम में जिस तरह से यहां की चारों सीटों बेलागंज, तरारी, इमामगंज और रामगढ़ में एनडीए की जीत हुई है। जिसने विपक्षी दलों को यह मंथन करने के लिए मजबूर कर दिया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर बिहार में कोई चुनावी मुद्दा बचा भी है या नहीं। क्योंकि, बिहार में बिजली के दो करोड़ उपभोक्ता हैं, जिनमें से 55 लाख से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं, जो कहीं न कहीं यह साबित करता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के मामले में देश भर में सबसे आगे रहने वाला बिहार इसे पूरी तरह से स्वीकार कर चुका है और सियासी बहकावे में नहीं आने वाला है। क्योंकि, केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को कई सुविधाएं और लाभ दिए जा रहे हैं।

राजद ने किया था विरोध प्रदर्शन और प्रेस कांफ्रेंस

स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर राष्ट्रीय जनता दल से राज्य स्तर पर मोर्चा खोल दिया था। राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तो प्रेस कांफ्रेंस कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने भी प्रेस कांफ्रेंस कर स्मार्ट मीटर मीटर से जनता को हो रहे लाभ और पूराने आंकड़ों के बारे में बताया था। इसके बाद भी राजद ने बीते 01 अक्टूबर को राज्य स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया था।

कांग्रेस पार्टी ने किया था पैदल मार्च

स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जगह- जगह विरोध प्रदर्शन करने साथ सितंबर महीने में पटना से बोधगया तक पैदल मार्च भी निकाला था।

जनता ने साबित किया स्मार्ट प्रीपेड मीटर मुद्दा नहीं

बिहार विधानसभा उपचुनाव परिणाम ने इस मुद्दे को किनारे कर दिया। यहां के बेलागंज की जनता ने राजद के मुस्लिय-यादव समीकरण को तो नकारा ही सुरेंद्र यादव की सियासी विरासत को भी इस बार स्वाकारने से इंकार कर जनता दल यूनाईटेड की मनोरमा देवी पर विश्वास जताया। राजद ने सुरेंद्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को टिकट दिया था। सुरेंद्र यादव पिछले तीन दशक लगातार चुनाव जीत रहे थे।

रामगढ़ विधान सभा

रामगढ़ विधान सभा सीट राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की विरासत मानी जाती थी। यहां 1985 में जगदानंद सिंह ने पहली बार जीतकर विधान सभा पहुंचे थे। फिर यह जीत 1985, 1990, 1995, 2000, 2005 (अक्टूबर) और 2005 (फरवरी) तक कामयाब रही।

यानी लगभग 25 साल जगदानंद सिंह का एक छत्र राज रहा। बीच में राजद के उम्मीदवार अंबिका यादव विधायक बने। लेकिन दोबारा 2020 के विधान सभा चुनाव में जगदानंद सिंह ने अपने बेटे सुधाकर सिंह को उतारा और जीते भी। राज्य सरकार में कृषि मंत्री भी बने। लेकिन जब सुधाकर सिंह 2024 में बक्सर लोकसभा से जीत दर्ज की तो एक बार फिर रामगढ़ विधान सभा किए चुनाव कराना पड़ा. भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह ने राजद के अजीत सिंह को लगभग 1200 वोटों से हराया। 2020 के चुनाव में भाजपा को इस सीट पर तीसरा स्थान मिला था।

इमामगंज में राजद की हार और वोट प्रतिशत दोनों गिरे

इमामगंज विधानसभा सीट पर हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर की उम्मीदवार दीपा मांझी ने जीत हासिल की। दीपा मांझी ने राजद के रौशन मांझी को 5945 वोटों से हराया। वोट प्रतिशत की बात करें राजद को इस बार 28.96 प्रतिशत वोट मिले हैं जबकि 2020 में उसे 36.12 प्रतिशत वोट मिले थे।

तरारी में लेफ्ट को मिली हर करारी

तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की। भाजपा उम्मीदवार विशाल प्रशांत ने सीपीआई माले के राजू यादव को 10 हजार से अधिक वोटों से हराया। 2024 के उपचुनाव में भाजपा को 48.70 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2020 में

उसे सिर्फ 8.19 प्रतिशत वोट ही मिले थे। यानी भाजपा का वोट बैंक लगभग 40 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं, माले को इस बार 42.14 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2020 में उसे 43.53 प्रतिशत वोट मिले थे।

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