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हर वर्ष पo राजकुमार शुक्ल की जयंती और पुण्यतिथि पर राजधानी पटना में राजकीय समारोह हो

प० राजकुमार शुक्ल को जातीय घेरे में नहीं बांधा जा सकता।

उनकी विस्मृति एक सांस्कृतिक अपराध है।

पटना: अनुनय – विनय कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को चंपारण लाने और स्वाधीनता का अलख जगाने वाले भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी प ० राजकुमार शुक्ल की 148 वी जयंती पर सामाजिक सांस्कृतिक संस्था प ० राजकुमार शुक्ल स्मारक न्यास के तत्वाधान में आज गांधी स्मारक संग्रहालय परिसर पटना में समारोह पूर्वक मनाई गई l
गांधी स्मारक संग्रहालय परिसर स्थित प ० राजकुमार शुक्ल की प्रतिमा पर प्रो ( डॉ )रामबली सिंह विधान पार्षद ,उप महापौर रेशमी चंद्रवंशी सहित दर्जनों लोगों ने माल्यार्पण किया l इस अवसर पर स्मृति सभा का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर ( डॉ ) सुधा सिन्हा ने की l कार्यक्रम का संचालन कमलनयन श्रीवास्तव ने किया अतिथियों का स्वागत स्व० र्शुक्ल के परनाती सुमित वत्स ने तथा आभार समापन राजेश राज ने किया l
मुख्य अतिथि प्रो ( डॉ )रामबली सिंह विधान पार्षद ने कहा कि राजकुमार शुक्ल के प्रयास से राष्ट्रीय स्वाधीनता की इमारत खड़ी हुई l कालांतर में स्वाधीनता की दिशा इसी से तय हुई l उन्होंने स्व शुक्ल का जीवंत स्मारक बनाने की मांग सरकार से की उन्होंने कहा कि स्व० शुक्ल को इतिहास से काटने की साजिशें की जा रही है जो एक सांस्कृतिक अपराध है l
गांधी स्मारक संग्रहालय के संयुक्त सचिव आसिफ वसी ने प ० शुक्ल को महात्मा गांधी का अनन्य शिष्य बतलाया और कहा कि उनकी स्मृति – रक्षा के लिए कारगर पहल की जानी चाहिए।

क्रिएशन की महासचिव नीलिमा सिन्हा ने कहा कि स्व० शुक्ल के योगदान को विश्वस्तरीय बनाने के लिए उनकी जन्मभूमि सतवरिया ( प ० चंपारण ) में एक संग्रहालय- सह – पुस्तकालय खोलने की मांग सरकार से की l नई दिशा परिवार के सचिव राजेश राज ने प ० शुक्ला के ऐतिहासिक योगदान की चर्चा की और कहां की शुक्ल जी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नीव की ईट है।
न्यास के महासचिव कमलनयन श्रीवास्तव ने शुक्ला जी को भारत रत्न से सम्मानित करने, उनकी जयंती एवं पुण्यतिथि पर राजधानी पटना में राजकीय समारोह आयोजित करने तथा उनकी 150 वी जयंती पर स्मारक डाक टिकट जारी करने की मांग सरकार से की l उन्होंने कहा कि प ० शुक्ल को जातीय घेरे में नहीं बांधा जा सकता l वे राष्ट्र के गौरव है l
उप महापौर रश्मि चंद्रवंशी ने राष्ट्रीय नेताओं को जातीय घेरे में बांधे जाने के चल रहे प्रयासों पर गहरी चिंता प्रकट की और कहा कि शुक्ल जी ने अपने जीवन काल में किसी जाति विशेष के लिए कोई कार्य नहीं किया।
इस अवसर पर प्रो (डॉ)सुधा सिन्हा, नीलिमा सिन्हा, प्रेम कुमार , एस. एम. शर्मा, डॉ आनंद मोहन झा, मधुरेश नारायण , जयप्रकाश अन्नपूर्णा, सुमित वत्स , कमलनयन श्रीवास्तव , राजेश राज ,मोहित कुमार ,ललन प्रसाद शर्मा, आसिफ वसी , भैरव लाल दास आदि ने अपने विचार व्यक्त किए और शुक्ल जी के जीवन को प्रेरक और प्रासंगिक बताया।