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मरीजों की संजीवनी बनी प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

यह बात कौन नहीं जानता कि आज के समय में इलाज करा पाना कितना महंगा और जटिल हो गया है। इसमें सबसे मोटा खर्च अगर किसी चीज का होता है तो वो है दवाओं पर खर्च। जी हां, देश की अधिकतर आबादी दवा खर्च के बोझ तले ही दबकर रह जाती है और इलाज के अभाव में जीवन बिता देती है। न जाने कितने गरीब परिवार इस खर्च के बोझ में दबकर मारे जाते हैं और न जाने कितने मध्यम परिवार गरीबी रेखा के नीचे पहुंच जाते हैं। लेकिन ऐसे लोगों का उद्धार करने के लिए केंद्र सरकार एक योजना लेकर आई जिसे ”प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना” नाम से जाना जाता है। इस परियोजना ने आज देशवासियों के समक्ष महंगे इलाज का विकल्प बनकर सस्ते इलाज की उम्मीद जगा दी है। इससे आम जनता पर दवाओं का बड़ा बोझ कम हो गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कैसे…

2015 में शुरू हुई योजना

केंद्र सरकार ने गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों को ध्यान में रखते हुए सस्ती दवा मुहैया कराने के लिए साल 2015 में ”प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना” की शुरुआत की थी। इन मेडिकल स्टोर के जरिए केवल जेनेरिक दवा की ही बिक्री की जाती है। जो कंपनी की दवाइयों के मुकाबले 90 फीसदी तक सस्ती होती है। आमतौर पर जेनेरिक दवाएं उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांड नेम नहीं होता है, वह अपने सॉल्ट नेम से बाजार में जानी-पहचानी जाती है। हालांकि कुछ दवाओं के ब्रांड नेम भी होते हैं मगर वह बहुत ही सस्ते होते हैं और यह भी जेनेरिक दवाओं की श्रेणी में ही आते हैं। जेनेरिक दवाएं सस्ती होने के कारण उसके गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े किए जाते हैं, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि, लोगों में जेनेरिक दवाओं से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि यह सस्ती होने के साथ-साथ कारगर भी है। इस प्रकार प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार इन जन औषधि केंद्रों के जरिए देशभर में लाखों गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों को लाभ पहुंचा रही है।

आम नागरिकों को करीब 4,500 करोड़ रुपए की हुई बचत

वित्त वर्ष 2021-22 (31.01.2022 तक) में PMBI ने 751.42 करोड़ रुपए की दवाओं की जन औषधि केंद्रों पर बिक्री की है। जिससे आम नागरिकों के करीब 4,500 करोड़ रुपए की बचत हुई है क्योंकि ये दवाएं बाजार दरों के मुकाबले 50 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक सस्ती हैं। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान पीएमबीजेपी के माध्यम से 433.61 करोड़ रुपये (एमआरपी) की बिक्री हुई थी। इससे देश के सामान्य नागरिकों को लगभग 2,500 करोड़ रुपये की बचत हुई थी, क्योंकि ये दवाएं औसत बाजार मूल्य की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। यह योजना स्थायी और नियमित आय के साथ स्वरोजगार का एक अच्छा स्रोत भी उपलब्ध करा रही है।

2014 से पहले देश में देश में केवल 80 ‘जन औषधि स्टोर’ थे उपलब्ध

दरअसल, ‘जन औषधि योजना’ फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के एक विभाग द्वारा नवंबर 2008 में शुरू की गई थी लेकिन पहले की सरकारों की अनदेखी में इसका विस्तार नहीं किया जा सका और यह केवल नाम मात्र की योजना ही बनकर रह गई। इसका बड़ा सबूत मिलता है 2014 से पहले देश में स्थापित जन औषधि केंद्रों की संख्या से। जी हां, मई 2014 तक, केवल देश के चयनित राज्यों में केवल 80 ‘जन औषधि स्टोर’ उपलब्ध थे। इतने बड़े देश में गिनती के स्टोर खोल देने से किसी का भला नहीं होने वाला था। इसलिए केंद्र में बनी नरेंद्र मोदी की सरकार के नेतृत्व में इस गंभीर समस्या को परखा गया और एक नतीजे पर पहुंच जा सका। इसके तहत देश में योजना को फिर से एक नई शुरुआत दी गई और इस बार इस दोगुनी शक्ति के और सामर्थ्य के साथ शुरू किया गया।

देशभर में खुले 8,675 औषधि केंद्र

केंद्र सरकार ने 31 जनवरी 2022 तक देशभर में 8,675 जन औषधि केंद्र खोले हैं। देश के सभी 734 जिले इसके दायरे में आ चुके हैं। लोगों को सस्ती दवा देने के लिए 2015 में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलना शुरू किया गया था, जिसके जरिए केंद्र सरकार गांव, तहसील और शहरी क्षेत्रों में जेनरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देना चाहती थी।

बाजार भाव से कहीं ज्यादा कम दाम मे मिलती है दवा

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर बाजार भाव से कहीं ज्यादा कम दाम में दवा मिलती है। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली दवाएं अन्य दवा कंपनी की दवाइयों के मुकाबले 90 फीसदी तक सस्ती होती है। केवल इतना ही नहीं इन केंद्रों पर मिलने वाली दवाएं गुणवत्ता के लिहाज से भी कहीं ज्यादा बेहतर है।

गरीबों के लिए वरदान

जो लोग पैसों के अभाव में बिना दवा के अपना इलाज नहीं करा पाते उनके लिए तो ”प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना” किसी वरदान से कम नहीं है। जी हां, दरअसल, गरीब लोग महंगे इलाज के चलते अपनी बीमारी का इलाज नहीं करा पाते। वहीं मध्यम वर्गीय परिवार कैसे ने कैसे करके बीमारी का ऑपरेशन करा भी लेता है तो दवा खर्च नहीं उठा पाता इसलिए उनके लिए भी इलाज कराना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होता। ऐसे मुश्किल वक्त में ‘प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ ही एकमात्र सहारा नजर आता है।

कैसे होता है संचालन

सरकार की ओर से तीन कैटेगरी में जन औषधि केंद्र खोले जाते हैं। जिसमें पहली कैटेगरी में कोई भी व्यक्ति या फार्मासिस्ट, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशन जन औषधि केंद्र खोल सकता है। दूसरी कैटेगरी में ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल जन औषधि केंद्र खोल सकते हैं। वहीं तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकार की ओर से नामित एजेंसियां जन औषधि केंद्र खोल सकती है। इनके जरिए ही आप तक दवाएं पहुंच पाती है।

जन औषधि केंद्र के लिए कैसे करें अप्लाई

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आपको जन औषधि डॉट जीओवी डॉट इन वेबसाइट पर लॉगिन करना होगा। जहां से एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड करके उसे भरना होगा। इसके बाद जरूरी डॉक्यूमेंट लगाकर इस फॉर्म को ब्यूरो ऑफ फार्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर के नाम से कोरियर या इंडियन पोस्ट के जरिए भेजना होगा।

PMBJP का उद्देश्य

– गुणवत्तापूर्ण दवाएं, उपभोज्य और सर्जिकल आइटम उपलब्ध कराना और गरीबों और मरीजों को सस्ता इलाज मुहैया कराना

– जेनरिक दवाओं को जनता के बीच लोकप्रिय बनाना

– लोगों में इस धारणा को बदलना कि कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं घटिया गुणवत्ता की हैं या उससे कम हैं।

– मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए (जन औषधि) व देशभर की सभी महिलाओं को ‘सुविधा’ सैनिटरी नैपकिन प्रदान करना

– पीएमबीजेपी केंद्रों के जरिए व्यक्तिगत उद्यमियों को शामिल कर रोजगार पैदा करना

मार्च 2025 तक पूरे देश में 10,500 PMBJP केंद्र खोलने का लक्ष्य

PMBJP योजना के तहत केंद्र सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है कि मार्च 2025 तक पूरे देश में 10,500 पीएमबीजेपी केंद्र खोले जाएं। इसके लिए सरकार पुरजोर प्रयास कर रही है। फिलहाल देशभर में अभी तक 8,675 औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।

2019 से हर साल 7 मार्च को मनाया जाता है ”जन औषधि दिवस”

जन औषधि केंद्रों के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी देने के लिए 1 मार्च से 7 मार्च के हफ्ते को जन औषधि सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसके लिए ‘जन औषधि –सेवा भी, रोजगार भी’ का नारा दिया गया है। वहीं सप्ताह के आखिरी दिन यानी 7 मार्च को ”जन औषधि दिवस” के रूप में मनाया जाता है।