महामारी से लड़ने में पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन बनाएगा देश को सक्षम
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन पर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में यह मिशन देश को किसी भी महामारी से लड़ने में सक्षम बनाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन पर अगले 5 वर्षों में 64,000 करोड़ खर्च किए जाएंगे। इसमें लक्ष्य है कि ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी लेबोरेटरी हो। इस योजना में अगले 5 साल में एक जिले में औसतन 90-100 करोड़ का खर्च किया जाएगा।
157 नए मेडिकल कॉलेजों को दी मंजूरी
वार्ता के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी ने 157 नए मेडिकल कालेजों को मंजूरी दी है। मेडिकल छात्रों के लिए सीटें लगभग दोगुनी हो गई हैं। हमने लोगों को किफायती इलाज सुनिश्चित करने के लिए समग्र दृष्टिकोण के साथ काम किया है। इसके अलावा प्राथमिक स्तर पर कैंसर, मधुमेह और जांच जैसी बीमारियों के इलाज के लिए हमने 1,50,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है, जिनमें से करीब 79,000 से अधिक का उद्घाटन हो चुका है।
कोवैक्सीन के विषय पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की एक प्रणाली है, जिसमें एक तकनीकी समिति है जिसने कोवैक्सीन को मंजूरी दे दी है, जबकि दूसरी समिति की आज बैठक हो रही है। कोवैक्सीन को आज की बैठक के आधार पर मंजूरी दी जाएगी। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट एवाई 4.2 को लेकर उन्होंने कहा कि की एक टीम इस नए संस्करण की जांच कर रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीमों पर विभिन्न प्रकारों के अध्ययन और विश्लेषण का जिम्मा है।
क्या है पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन?
जानकारी के लिए बता दें कि पीएम मोदी ने बीते सोमवार, 25 अक्टूबर को ‘पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन’ योजना की शुरुआत की थी। पीएम ने इसे पूरे देश में स्वास्थ्य के मूलभूत ढांचे को ताकत देने और भविष्य में महामारियों से बचाव की उच्चस्तरीय तैयारी का हिस्सा करार दिया था। इस योजना के तहत हर जिले में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगा। इसके साथ बढ़े हुए निवेश के जरिए संपूर्ण क्षमता को विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार 5 वर्षों के दौरान 64,180 करोड़ रुपये खर्च करेगी।