नीतीश कुमार व्यवहारिक समाजवाद के प्रतीक हैं: प्रो. रामवचन राय
पटना, 16 फरवरी। आज जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना में ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक का हुआ लोकार्पण-सह-परिचर्चा संपन्न हुआ। इस परिचर्चा में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक नरेंद्र पाठक ने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर पर इस पुस्तक की रचना में कई शोधार्थियों, बुद्धिजीवियों, समाजवादियों और लेखकों के विचार को समाहित किया गया है। कोई भी पुस्तक समाज का आईना होता है तथा आने वाले पीढ़ी के लिए एक दस्तावेज होता है।
आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय, आर्थिक, लैंगिक न्याय का जो संतुलन बनाया उसका परिणाम बिहार निरंतर विकास कर रहा है। इस पुस्तक को तैयार करने के दरम्यान अनेक बुद्धिजीवियों ने अपने-अपने विचार रखे हैं उसको इस पुस्तक में सम्मान दिया गया है। इस पुस्तक में शामिल किए गए आलेख कर्पूरी जी की कृतियों और उनके मूल्यों को स्थापित करने में मिल का पत्थर साबित होगी।
पूर्व विधायक एवं लोक नायक जय प्रकाश नारायण द्वारा स्थापित अवार्ड संस्था, नई दिल्ली के महासचिव दुर्गा प्रसाद सिंह ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बन पाया। आगे उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी सामान्य जीवन जीने वाले विशिष्ट व्यक्ति थे। हमने कभी सुना था झोपड़ी के लाल जब कर्पूरी जी के घर पहुंचा तो देखकर दंग रह गया। वे झोपड़ी में ही रहा करते थे। उनकी एक बात और मुझे याद है कि जब भी उनके आवास पर लोग मिलने के लिए जाते थे, जो सबसे पीछे बैठे होते थे उस आदमी को पहले बुलाकर उनकी बातों को सुना करते थे।
जनता दल (यू) के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ के द्वारा जनमानस के लिए जो सार्थक कदम उठाए गए वास्तव में वे आज भी प्रासंगिक है। कर्पूरी ठाकुर एक व्यक्ति नहीं विचार हैं। उनका जीवन ही एक संदेश है। उन्होंने समाजवाद की धारा पकड़कर खुद को समाज के लिए सौंप दिया। समाज में बदलाव की बुनियाद रखने वाले कर्पूरी ठाकुर हमेशा समाज के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। कर्पूरी जी के कई सपनों को बिहार के विकास पुरुष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरा कर रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान ने कहा कि शोध है तो बोध है और बोध है तो प्रतिरोध दूर होता है। नॉलेज क्रियेशन पर काम किए जाने की जरूरत है। बिहार नॉलेज की इंडस्ट्री है।
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कर्पूरी संग्रहालय को शोध संस्थान की तरह संचालित करने की मांग की और कहा कि समाज में जो वैचारिक भेद है उन्हें दूर किया जाना चाहिए।
लोकार्पण-सह-परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बिहार विधान सभा के उप सभापति प्रो. रामवचन राय ने कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैं इतना ही कहूंगा कि ‘लोकतंत्र के कबीर भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर’ पुस्तक नई पीढ़ी के लिए उत्कृष्ट साबित होगी। इसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। पुस्तक हर इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है। संवाद लोकतंत्र की पहचान होती है। इससे ज्ञान की समृद्धि होती है।
पेरियार-अम्बेदकर-लोहिया विचार मंच के अध्यक्ष डॉ. बिनोद पाल एवं उनके साथियों द्वारा मंच की तरफ से अतिथियों का स्वागत किया गया।
इस कार्यक्रम में शोधार्थी डॉ. कुमार परवेज, राम कुमार निराला, संतोष यादव, प्रो. वीरेन्द्र झा, किशोरी दास, पर्यावरणविद् गोपाल कृष्ण, साहित्यकार सुनील पाठक ने भी अपने विचारों को रखा।
मंच का संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने करते हुए कर्पूरी ठाकुर जी की कृतियों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में डॉ. मधुबाला, सलाहकार समिति जदयू बिहार के पूर्व सदस्य दीपक निषाद, इंदिरा रमण उपाध्याय, अरुण नारायण, धीरज सिंह, भैरव लाल दास, डॉ. दिलीप पाल, ललन भगत, प्रो. शशिकार प्रसाद, चन्द्रशेखर, विजय कुमार चौधरी सहित कई बुद्धिजीवी, साहित्यकार एवं पत्रकार उपस्थित रहे।