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निजी क्षेत्र और नागरिक समाज, शिक्षा में बदलाव के लिए ‘निपुण भारत मिशन’ के समर्थन में आगे आए

40 लाख बच्चों को ‘लिफ्टएड’ के माध्यम से बेहतर बुनियादी शिक्षा का अवसर

मुंबई, 24 जनवरी 2024: अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर निजी क्षेत्र और नागरिक समाज ने मिलकर भारत में 5 साल में करीब 40 लाख बच्चों के जीवन को छूने के लिए ‘लिफ़्टएड’ नाम से एक पहल की है। इस पहल के तहत फ़ाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी (एफ़एलएन) यानी बुनियादी साक्षरता और संख्या-परिचय जैसी आधारभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ‘लिफ़्टएड’ में शामिल संस्थान भारत के शिक्षातंत्र को मजबूत करने, युवाओं की क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ लाखों लोगों के जीवन में सुधार लाने का काम कर रहे हैं।

भारत सरकार का मूलभूत साक्षरता और संख्याओं के सीखने-सिखाने पर खासा ज़ोर है। 2021 में सरकार ने ‘निपुण भारत मिशन’ की शुरूआत की, जिसका लक्ष्य 2026-27 तक 4-10 साल की आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को मूलभूत साक्षरता देना और संख्याओं से परिचित कराना है। सरकार मानती है कि निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के सहयोग से इन लक्ष्यों को गुणात्मक रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ‘लिफ़्टएड’ के लिए करीब 166 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा किया जा रहा है। साथ ही शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी इस पहल में साथ जोड़ा गया है।

एटलेशियन फ़ाउंडेशन, ब्रिजेज़ आउटकम्स पार्टनरशिप्स, ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, मैत्री ट्रस्ट, द माइकल एंड सुसन डेल फाउंडेशन, रिलायंस फाउंडेशन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, यूबीएस ऑप्टिमस फाउंडेशन और यूएस एड जैसे संस्थापक भागीदार ‘लिफ़्टएड’ का संचालन करेंगे। ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट इस प्रोग्राम का लीडर है। सेंट्रल स्क्वेयर फ़ाउंडेशन और डैलबर्ग एडवाइज़र्स इसके डिज़ाइन और तकनीकी पार्टनर हैं।

ऐसा माना जाता है कि फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (एफ़एलएन) यानी मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान से बच्चा कक्षा तीन के अंत तक बुनियादी पाठ पढ़ने, उसे समझने और बुनियादी गणितीय समस्याओं को हल करने में सक्षम हो जाता है। इसी आधारशिला के दम पर बच्चे का पूरा जीवन आकार लेता है। अगले 5 वर्षों में ‘लिफ़्टएड’ इस अवधारणा को और मज़बूत करेगा। ‘लिफ़्टएड’ ज़मीनी स्तर पर (ऑन-ग्राउंड) काम करने के साथ साथ उन घरों के दरवाजों पर भी दस्तक देगा, जहां इसकी सबसे ज़्यादा जरूरत है।

हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘लिफ़्टएड’ के ऑन-ग्राउंड एजुकेशन पार्टनर – राज्य सरकारों और स्कूलों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। ताकि उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके और सार्वजनिक स्कूल के कक्षा 1-3 तक के बच्चों की मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान (एफ़एलएन) का स्तर बढ़ाने में मदद की जा सके। बड़े पैमाने पर बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए, शिक्षा को प्रभावित करने वाले हितधारकों के साथ काम करना महत्वपूर्ण है। कैवल्य एजुकेशन फाउंडेशन, लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन, पीपल, और प्रथम एजुकेशन फ़ाउंडेशन जैसे शिक्षा भागीदार, सिस्टम को बदलने में लगे हैं। इस प्रकार, प्रशिक्षण ब्लॉक और ज़िला अधिकारी, स्कूल प्रिंसिपल और शिक्षक ‘लिफ़्टएड’ के माध्यम से अधिक से अधिक जीवनों पर सकारात्मक प्रभाव डालने में मददगार हो सकते हैं, क्योंकि प्रत्येक प्रशिक्षित व्यक्ति, छात्रों के कई बैचो तक पहुंचकर अपनी छाप छोड़ सकता है।

साथ ही ‘लिफ़्टएड’ ने भारत में कम आय वाले परिवारों के छात्रों के एफ़एलएन में सुधार के लिए डिजिटल समाधान विकसित करने के लिए एक एडटेक एक्सेलेरेटर भी लॉन्च किया है। आठ इनोवेटिव पार्टनर – अमीरा लर्निंग, चिम्पल, ईआय माइंडस्पार्क, प्रथम एजुकेशन फ़ाउंडेशन, रॉकेट लर्निंग, सेसमी वर्कशॉप, थिंकज़ोन और टॉप पेरेंट – को एक कठोर चयन प्रक्रिया के बाद एडटेक एक्सेलेरेटर का हिस्सा बनने के लिए चुना गया है। वे उच्च-गुणवत्ता और प्रासंगिक समाधान विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एक्सेलेरेटर के माध्यम से उनको मेंटरशिप, क्षमता निर्माण कार्यशालाओं और फंडिंग के रूप में लगातार समर्थन दिया जा है।

‘लिफ़्टएड’ को परिणाम-आधारित वित्तपोषण के सिद्धांत पर डिज़ाइन किया गया है। इसका फ़ोकस सहयोग, पैमाना, नवाचार और मापने योग्य परिणामों पर है। बच्चों में परिवर्तनकारी बदलाव इसके केंद्र में है।