भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विस्तार
पिछले 75 वर्षों में भारत विकासपरक यात्रा से गुजरा है, जिसने हमें वैश्विक राष्ट्रों के बीच एक आर्थिक और राजनीतिक पहचान बनाने में मदद की है। भारत के लिए अगले 25 वर्षों के लिए रोडमैप @100, यानि वर्ष 2047 तक जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक व तकनीकी नवाचारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
भारत के लिए इस क्षेत्र में कदम जमाना जरूरी
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वैश्विक एआई बाजार 2022 में 387.45 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2029 में 1,394.30 बिलियन अमरीकी डॉलर होने की उम्मीद है, जो पूर्वानुमान अवधि में 20.1 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। ऐसे में भारत के लिए इस क्षेत्र में कदम जमाना और भी जरूरी हो जाता है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के नाते, भारत के लिए निरंतर विकास के लिए एआई की शक्ति का उपयोग करने के लिए समर्पित रूप से काम करना आवश्यक है। भारत का उद्देश्य आर्थिक समृद्धि, क्षेत्रीय प्रगति और समावेशी विकास के लिए एआई का लाभ उठाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रणनीति सहित एक मजबूत एआई पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है।
कुशल एआई रणनीतियां जो अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करती हैं, व्यवसाय अपनाने का समर्थन करती हैं, और इसके नैतिक उपयोग के लिए मानक विकसित करती हैं, नए भारत की विकास कहानी में एआई इनोवेशन के प्रभावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगी। जुलाई-अगस्त 2020 के दौरान भारतीय एआई मार्केट का साइज ₹45000 करोड़ था।
भारत नवाचार के निरंतर बढ़ते पथ पर
भारत में एआई से संबंधित 2000 से अधिक स्टार्टअप हैं और 90000 से अधिक एआई प्रोफेशनल हैं। फिलहाल भारत 1,200 से अधिक सरकारी वित्त पोषित अनुसंधान संस्थानों, सक्रिय नीति तंत्र, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग के साथ नवाचार अर्थव्यवस्था के युग को लेकर खुद को तैयार कर रहा है। भारत नवाचार के निरंतर बढ़ते पथ पर है और उभरती हुई तकनीकियां जैसे ब्लॉक चेन, नैनो टेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार के केंद्र में हैं और भारत शीर्ष 25 नवोन्मेषी देशों के संघ में शामिल होना चाहता है।
अब विज्ञान-कथा भर नहीं
बता दें एआई अब विज्ञान-कथा भर नहीं रह गया है। हर दिन, बढ़ते विज्ञान का यह नया क्षेत्र एक वास्तविकता बनने के करीब जाता नजर आ रहा है। सिरी, Google Now, रिकमंडेशन इंजन और ड्रोन आज के युग में परिभाषित कर रहे हैं कि कैसे प्रौद्योगिकी अधिक सहभागी और मानवतावादी होती जा रही है।
साल 2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी और साल 2015 कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए एक वाटरशेड वर्ष बना। वाटरशेड यानि तकनीकी युग में आगे बढ़ने के लिए जिसमें समस्त रास्ते एक ही बिंदु यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से होकर गुजरते हैं।
इधर, एआई को शामिल करने वाली Google सॉफ्टवेयर परियोजनाओं की संख्या 2012 में “छिटपुट उपयोग” से बढ़कर अब करीब 2,700 से अधिक हो गई है। एआई डेवलपर्स मशीन लर्निंग का उपयोग मशीनों को स्पष्ट रूप से प्रोग्रामिंग किए बिना अपने स्वयं के अनुभवों से सीखने के लिए सिखाने के लिए करते हैं। एआई मशीन सीखने के साथ बहुत कुछ हासिल करने में हमारी सहायता करने के लिए विभिन्न प्रकार के ढांचे, उपकरण (किट), मॉड्यूल, पुस्तकालय और अन्य संसाधनों को सूचीबद्ध करती हैं।
AI शोध में अभी बहुत सारे रोमांचक काम होना बाकी
AI शोध में अभी बहुत सारे रोमांचक काम होना बाकी हैं। हालांकि ऐसे कई उदाहरण है जो इस क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों के पद चिन्हों को अंकित करते हैं। जैसे कि सिंगापुर में लगभग 9,000 भारतीय कंपनियां पंजीकृत हैं और सिंगापुर से 440 से अधिक कंपनियां भारत में पंजीकृत हैं। सिंगापुर की कंपनियां कई स्मार्ट शहरों, शहरी नियोजन, लॉजिस्टिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भाग ले रही हैं और सिंगापुर कई राज्यों के साथ टाउनशिप के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के लिए काम कर रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एप्लिकेशन का तेजी से बढ़ा उपयोग
अब तो केवल स्मार्ट शहर ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, स्मार्ट घर, वित्त, रक्षा, परिवहन, लॉजिस्टिक्स, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, सर्विलांस आदि जैसे सभी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग एप्लिकेशन का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। विभिन्न सरकारी संगठन भी सार्वजनिक सेवाओं और ई-गवर्नेंस सेवा प्रदान करने के लिए एआई/एमएल प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
भारत में शिक्षा का पुनर्निर्माण कर रहा एआई
एआई ग्रामीण भारत में अपना रास्ता बना रहा है। एआई ग्रामीण बच्चों के लिए प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगे की शिक्षा तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर रहा हैं। कोविड-19 महामारी के बाद से, डिजिटल लर्निंग शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। हालांकि, भारत में गांवों और छोटे शहरों में कई छात्र इंटरनेट कनेक्शन, कंप्यूटर या यहां तक कि मोबाइल फोन की उपलब्धता की कमी के कारण विपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं। वहीं जो शिक्षक प्रौद्योगिकी में पारंगत नहीं थे, वे ग्रामीण भारत में डिजिटल शिक्षा में वृद्धि के सामने आने वाले मुद्दों में कैसे योगदान कर पाते। साथ ही, चूंकि भारत कई स्थानीय भाषाओं वाला देश है, ऐसे में अंग्रेजी में निर्देश विद्यार्थियों की समझ के स्तर को प्रभावित कर रहे थे। वहीं लैंगिक असमानता के मुद्दे भी हैं क्योंकि भारत के ग्रामीण हिस्सों में महिला आबादी के बीच ऑनलाइन सीखने की पहुंच और भी कम है।
इस परिदृश्य में, भारत में बीते कुछ साल में काफी काम किया गया। ग्रामीण बच्चों के लिए प्रौद्योगिकी के माध्यम से आगे की शिक्षा तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त किया गया। इसमें सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और संस्थानों के सहयोग से बहुत प्रोत्साहन मिला। देश में कोरोना महामारी के दौरान जब बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे तो उन्हें मोबाइल, लेपटॉप और टैबलेट-आधारित अनुकूली शिक्षा से आगे बढ़ने को कहा गया। छात्रों और शिक्षकों को शुरुआती तौर पर इसे अपनाने में थोड़ी मुश्किलें जरूर आई लेकिन फिर धीरे-धीरे पढ़ाई का एक नया रास्ता तैयार कर लिया गया। अब ग्रामीण भारत में संवादी एआई की मदद से इस लक्ष्य की पूर्ति की जा रही है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि एआई के उपयोग से शिक्षा की खाई को पाटने का कार्य किया जा सकता है। एआई के साथ इंटर ट्विनिंग अकादमिक संसाधन उपयोगकर्ताओं को उनके अनुकूलन के आधार पर सामग्री वितरित की जा सकती है। यह तकनीक हर छात्र के लिए सीखने की गति को समायोजित कर रही है।
राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल
ज्ञात हो, इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के प्रयासों से 30 मई 2020 को भारत के ”राष्ट्रीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पोर्टल” – www.ai.gov.in का शुभारंभ किया गया था। इस पोर्टल को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय और आईटी उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय का राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन और आईटी उद्योग का नैसकॉम संयुक्त रूप से मिलकर इस पोर्टल का संचालन कर रहा है। यह पोर्टल भारत में एआई से संबंधित विकास के लिए एक स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करता है। भारत में एआई से संबंधित लेखों, स्टार्ट-अप, एआई में निवेश फंडों, संसाधनों, कंपनियों और शैक्षिक संस्थानों जैसे संसाधनों को साझा करता है। इसके द्वारा पोर्टल पर दस्तावेजों, केस स्टडी, अनुसंधान रिपोर्ट आदि को भी साझा किया जाता है। इसमें एआई से संबंधित शिक्षा और नई नौकरी की भूमिकाओं के बारे में एक संभाग है।
‘रिस्पॉन्सिबल एआई फॉर यूथ’,
‘रिस्पॉन्सिबल एआई फॉर यूथ’, युवाओं को एआई के लिए तैयार होने और उनके कौशल-गैप को कम करने में मदद करके युवाओं को सशक्त बनाएगा, जबकि युवाओं को सार्थक रूप से प्रभावी सामाजिक समाधान बनने के लिए सक्षम बनाएगा। यह कार्यक्रम सरकारी स्कूलों के छात्रों को पूरे देश तक पहुंच बनाने और उन्हें समावेशी रूप से कुशल कार्यबल का हिस्सा बनने का अवसर प्रदान करने के लिए बनाया गया है। इस प्रकार एआई भारत के आने वाले कल को तय करेगा।