ब्यूरोक्रेसी द्वारा विधायिका की उपेक्षा दुर्भाग्यपूर्ण- विजय कुमार सिन्हा
विधायी कार्यो को धरातल पर उतारने में सरकार संवेदनहीन,
प्रशासनिक कार्यो पर विधायी नियंत्रण की अवधारणा हो रही है समूल नष्ट,
पटना 17 जून 2023
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि राजकार्य में नौकरशाहों द्वारा विधायिका की उपेक्षा किया जाना दर्भाग्यपूर्ण है।
श्री सिन्हा कहा कि संसदीय प्रणाली में जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य के रूप में विधान सभा में बैठते हैं और राजकार्य हेतु आवश्यक विधायी प्रक्रियाओं में हिस्सा लेते हैं। प्रश्न, ध्यानाकर्षण, निवेदन, याचिका विशेष बहस आदि के जरिये ये जनहित के मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हैं। लेकिन विभागों में बैठ़े नौकरशाह इनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं और इनकी मांग अनसूनी हो जाती है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार विधायी प्रक्रियाओं के द्वारा सदन में नियम-कानून तो बनाती है लेकिन उसे धरातल पर उतारने में संवेदहीन प्रतीत होती है। विधयेक पारित करा कर अधिनियम बनाये जाते है लेकिन उसे हूबहू लागू नहीं किया जाता है। कानून रहने के बावजूद कार्यपालिका के लोग मनमानी करते हैं और नियम कानून की अवहेलना करते हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि संविधान ने कार्यपालिका पर विधायिका का नियंत्रण की अवधारणा कायम किया है परंतु अब सरकार द्वारा इसे समूल नष्ट किया जा रहा है। विधायको के प्रश्न के उत्तर अस्पष्ट दिए जाते हैं। समिति की बैठकों में सरकारी पदाधिकारी सहयोग नहीं करते हैं और उदासीन रहते हैं। विधानसभा सचिवालय द्वारा बार-बार पत्र देने के बावजूद ये ना तो प्रतिवेदन भेजते हैं ना ही प्रधान सचिव स्तर के पदाधिकारी बैठक में आते हैं। नियमनुसार संसदीय कार्य विभाग को पत्र भेजकर मामला उठाया जाता है लेकिन उनके द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
श्री सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि लोकतंत्र को बचाने हेतु विधायिका को नौकरशाही द्वारा अपमानित होने से रोका जाय।पूर्व में सदन में जो भी मामले उठाये गये है सरकार उसका कार्यान्वयन कराये।विषेशाधिकार समिति की वराबर बैठक हो।प्रोटोकाल समिति को जीवित किया जाय जिससे विधायकों के हितों की रक्षा हो।