मुस्लिम महिला ने प्रशासन से लगाई जान-माल की सुरक्षा की गुहार, तीन तलाक देकर पति ने किया बेघर
केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक को लेकर बिल लेकर आई, जिसे राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद 19 सितबंर 2018 से लागू किया गया। इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान शामिल है। वहीं मधुबनी जिले के एक मुस्लिम समुदाय की महिला खुद के सुरक्षा की गुहार लगाते हुए कहा कि एक तो उसके पति ने उसे जबरन तलाक दे दिया और अब मौलाना और कुछ दबंग लोग हमें गांव छोड़कर जाने का फरमान सुनाया है। नहीं जाने पर मारपीट पर उतारू हो रहा है और धमकी दे रहा है। इसके लिए हमने साहरघाट पुलिस ने सुरक्षा की गुहार लगाई है।
दरअसल मामला मधुबनी जिला के मधवापुर प्रखंड अंतर्गत साहरघाट थाना क्षेत्र के उतरा गांव का है। जहां एक महिला ने जब अपने पति को खर्च मांगा, तो उसने उसे तीन तलाक दे दिया तीन तलाक से जूझ रही एक महिला ने आरोप लगाया है कि मेरे पति व गांव के धर्म गुरु के साथ कुछ लोगों नें हमारे साथ छल करके तीन बार ‘तलाक’, ‘तलाक’, ‘तलाक’ बोलकर जबरन तालाक दिलवा दिया है। जबकी हम अपने दो बच्चो के साथ घर पर थे, मुझे जबरन घर से बुलाकर तीन तलाक दिलवाया। साथ ही मुझे या मेरे मां-बाप को जानकारी दिये बैगैर स्टाम्प पेपर पर हस्ताक्षर करवा लिया, और अब गांव छोड़कर जाने का फरमान सुना दिया है।
अब हम प्रशासन का सहारा लिए है, ताकी हमारी मदद कर पाए और भरन पोषन व घर बस सके। तालाक के बाद गांव के दबंग लोगो द्वार धमकी भी दिया जा रहा है। हमे पुलिस-प्रशासन मदद करे ताकी हमें सुरक्षा मिल सके। उधर महिला के पति ने महिला पर एक गैर मर्द के साथ सम्बंध रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि हमारा तलाक दिल्ली में हो चुका है, और महिला के कथनानुसार इस्लाम के तहत तीन तलाक लिया है। तीन तलाक के खिलाफ देश मे कानून बनाया गया, ताकि मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नही हो। लेकिन कानून बनने के बाद भी लोगो को कानुन अपने हाथ मे लेकर महिला के जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किये जाने का मामला सामने आया है।
देश में तीन तलाक के खिलाफ कानून बने एक साल हो चुके हैं। इस कानून के तहत तीन तलाक देना अब गैर कानूनी है। इसके लिए सजा और मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। तौर पर तीन तलाक खत्म होने की वजह से पुलिस ने पति के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। बता दे इस्लाम धर्म में तलाक के लिए कई तरीके हैं, जिनमें एहसान, हसन और तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) शामिल हैं।