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प्रेम की यात्रा में त्याग भी साथ-साथ चलता है मृगतृष्णा

पटना, मौका था विश्वा, पटना द्वारा आयोजित दो दिवसीय नाट्य महोत्सव “विश्वोत्सव 2024” का | विश्वा, पटना एक सांस्कृतिक संस्था है, जो विगत 13 वर्षों से रंगमंचके क्षेत्र में सक्रिय है, संस्था द्वारा,दो दिवसीय नाट्योत्सव “विश्वोत्सव 2024” का आयोजन, कालिदास रंगालय , गांधी मैदान, पटना में होने जा रहा है।कार्यक्रम के पहले दिन, कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि माननीय मेयर सीता साहू जी के द्वारा किया गया।उपस्थित विशिष्ट अतिथियों मे विकाश कुमार, पुनीत तहलनी, सुभाष कृष्णा, डा.नम्रता आनंद, प्रेम कुमार और शशांक शेखर ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।कार्यक्रम के पहले सत्र में नाट्य दल क्रिएशन, पटना के द्वारा नुक्कड़ नाटक “प्रेमियों की वापसी” का मंचन हुआ, जिसके लेखक व्यंग रचनाकार हरिशंकर परसाई एवं निर्देशक उत्तम कुमार हैं।

व्यंग्यात्मक रूप से इस नाटक की कहानी ऐसे दो प्रेमियों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समाज के बंधनों से मुक्त होकर प्रेम करते हैं, लेकिन यहां सामाज द्वारा लगाए जा रहे तमाम बन्धनों के कारण वह सोचते हैं कि मरने के बाद स्वर्ग में मुक्त रूप से प्यार कर सकेंगे। वहां उन्हें कोई नहीं रोकेगा और आत्महत्या कर लेते हैं। स्वर्गलोक में पहुंचने के बाद वहां की स्वतंत्रता भी उन्हें रास नही आती क्योंकि वहां रंजना जो की इस कहानी की नायिका है वह प्रेमेंद्र के साथ आत्महत्या करके वहां जाती है पर वहाँ उसे पूर्व प्रेमी बिनोद को पाकर फिर उसी से प्रेम करने लगती और वह उसी स शादी करना चाहती है, इस बात का पता जब प्रेमेंद्र को चलता है तो वह विधाता के पास जाता है, और पुनः धरती लोक पर जाने की बात कहता है पर ये संभव नही हो पाता है।

विधाता उसे कोई और जीव धारण करने को कहते हैं और बोलते हैं कि बोलो कौन सा जीव बनना चाहते हो पर वह दोनों तय नही कर पाते। इस नाटक में लेखक ने व्यंग्यात्मक रूप से प्रेमी-प्रेमिका की उस मनोदशा को दर्शाया है जिसके दौरान उन्हें प्रेम के अलावा कुछ नहीं दिखता। समाज द्वारा लगाए जा रहे तरह-तरह के बंधन के कारण वह उस समाज को ठुकरा स्वर्ग में प्यार करने की सोचते हैं।नाटक में काम करने वाले कलाकार दीपक कुमार, दिव्या पांडे, शौरभ कुमार, सोमेन मुखर्जी, सैमी, निशा गुप्ता, अतुल कुमार, सुजीत कुमार, प्रशांत कुमार, अवधेश कुमार, सुभम सिंह, विकाश कुमार ने दर्शकों खूब तालियां बटोरी | कार्यक्रम के दूसरे सत्र में नाट्य दल विश्वा, पटना के द्वारा आरती भट्टाचार्य सिंह लिखित नाटक “मृगतृष्णा” का मंचन हुआ, जिसके निर्देशक राजेश राजा हैं। यह नाटक समकालीन स्तिथियों पर आधारित है। रमा जो अपने जीवन में बेरंग होकर भी खुश है ।

अचानक, ‘अविनाश’ जो उसके बचपन का मित्र रहा है। वो मृगतृष्णा बनकर रमा के जीवन में आता है। जिससे रमा को फिर से जीने का अर्थ मिल जाता है । फिर वक़्त की ऐसी बारिश आती है। जो रमा और अविनाश दोनों के रंग को धो डालती है, और छोड़ देती है एक सवाल | यह नाटक जाते-जाते हमे नैतिकता रुढ़िवादी विचार पर पुनः मंथन करने की स्तिथि में छोड़ जाता है । सुश्री विश्वास,रजनीश कुमार,दीपक कुमार,स्वाति जयसवाल,आइशा सिंह राजपूत ,हर्शी जयसवाल ने शानदार अभिनय किया।प्रकाश परिकल्पना,रौशन कुमार, रूप सज्जा जितेन्द्र कुमार जीतू,वस्त्र विन्यास तनु हाश्मी एवं अभिषेक मेहता,पूर्वाभ्यास प्रभारी संदीप कुमार एवं संजीव कुमार,मंच निर्माण सुनील जी ,प्रस्तुति विश्वा, पटना,लेखक आरोती भट्टाचार्य सिंह,पार्श्व ध्वनि संयोजन राहुल आर्यन, परिकल्पना एवं निर्देशन राजेश राजा ने किया।