PM मोदी ने केदारनाथ में विभिन्न विकास परियोजनाएं राष्ट्र को की समर्पित, कहा- ‘आज का भारत अपनी विरासत को लेकर आश्वस्त’
पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने केदारनाथ में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने आदिगुरु शंकराचार्य समाधि का उद्घाटन किया और आदिगुरु की दिव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया। उन्होंने यहां चल रहे बुनियादी ढांचे के कार्यों की समीक्षा कर उसका निरीक्षण भी किया।
जबकि इससे पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। इस दौरान पूरे देश में 12 ज्योतिर्लिंगों, चार धामों के साथ आस्था के कई स्थानों पर पूजा-अर्चना की गई और समारोह आयोजित किए गए। इन सभी कार्यक्रमों को केदारनाथ धाम के मुख्य कार्यक्रम से जोड़ा गया।
इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, पीएम की कथनी और करनी दोनों में समानता है। आगे जोड़ते हुए वे बोले केदारनाथ धाम का पुनर्निमाण पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
”जय बाबा केदार” के उद्घोष के साथ की शुरुआत
केदारनाथ की धरती से पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत ”जय बाबा केदार” के उद्घोष के साथ की। उन्होंने भारत की महान आध्यात्मिक ऋषि परंपरा का स्मरण करते हुए केदारनाथ धाम आने पर अपनी अवर्णनीय खुशी व्यक्त की।
130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को सैनिकों तक पहुंचाया
नौशेरा में सैनिकों के साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कल दीपावली पर उन्होंने 130 करोड़ भारतीयों की भावनाओं को सैनिकों तक पहुंचाया। आज गोवर्धन पूजा पर मैं सैनिकों और बाबा केदार की दिव्य भूमि पर उपस्थिति हूं।
बाबा केदारनाथ की शरण में आकर होती है ऐसी अनुभूति
इस दौरान उन्होंने बताया कि रामचरित मानस में कहा गया है- ‘अबिगत अकथ अपार, नेति-नेति नित निगम कह’ अर्थात्, कुछ अनुभव इतने अलौकिक, इतने अनंत होते हैं कि उन्हें शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। बाबा केदारनाथ की शरण में आकर मेरी अनुभूति ऐसी ही होती है।
आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा आश्रय, सुविधा केंद्र जैसी नई सुविधाएं यहां के पुजारियों और भक्तों के जीवन को आसान बनाएंगी और उन्हें तीर्थयात्रा के दिव्य अनुभव में पूरी तरह से डूबने की अनुमति देंगी।
पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा केदारनाथ धाम
2013 में केदारनाथ बाढ़ को याद कर भावुक हुए पीएम मोदी ने कहा कि बरसों पहले जो नुकसान यहां हुआ था, वो अकल्पनीय था। जो लोग यहां आते थे, वो सोचते थे कि क्या ये हमारा केदार धाम फिर से उठ खड़ा होगा? लेकिन मेरे भीतर की आवाज कह रही थी की ये पहले से अधिक आन-बान-शान के साथ खड़ा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान केदार की कृपा और आदि शंकराचार्य की प्रेरणा और भुज भूकंप के बाद के प्रबंधन के उनके अनुभव के कारण वे उस कठिन समय में मदद कर सके। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं, पुजारियों, पुजारियों के रावल परिवारों, अधिकारियों और मुख्यमंत्री को धाम में विकास कार्यों को अथक रूप से आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं ड्रोन और अन्य तकनीकों के जरिए काम की निगरानी करते रहे।
विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का परिणाम
इस आदि भूमि पर शाश्वत के साथ आधुनिकता का ये मेल, विकास के ये काम भगवान शंकर की सहज कृपा का ही परिणाम हैं। मैं इन पुनीत प्रयासों के लिए उत्तराखंड सरकार का, मुख्यमंत्री धामी जी का, और इन कामों की जिम्मेदारी उठाने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद करता हूं।
‘शंकर’ का संस्कृत में बताया अर्थ
आदि शंकराचार्य के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘शंकर’ का संस्कृत में अर्थ है- “शं करोति सः शंकरः” यानी, जो कल्याण करे, वही शंकर है। इस व्याकरण को भी आचार्य शंकर ने प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया। उनका पूरा जीवन जितना असाधारण था, उतना ही वो जन-साधारण के कल्याण के लिए समर्पित थे।
शंकराचार्य ने समाज को सत्य से परिचित कराने का किया काम
प्रधानमंत्री ने याद किया कि एक समय था जब अध्यात्म को, धर्म को केवल रूढ़ियों से जोड़कर देखा जाने लगा था। लेकिन, भारतीय दर्शन तो मानव कल्याण की बात करता है, जीवन को पूर्णता के साथ, holistic way में देखता है। आदि शंकराचार्य जी ने समाज को इस सत्य से परिचित कराने का काम किया।
सांस्कृतिक विरासतों को वापस मिल रहा उनका गौरव
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अब हमारी सांस्कृतिक विरासतों को, आस्था के केन्द्रों को उसी गौरव भाव से देखा जा रहा है, जैसा देखा जाना चाहिए। आज अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूरे गौरव के साथ बन रहा है, अयोध्या को उसका गौरव वापस मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा, अभी दो दिन पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव का भव्य आयोजन पूरी दुनिया ने देखा। भारत का प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप कैसा रहा होगा, आज हम इसकी कल्पना कर सकते हैं।
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज का भारत अपनी विरासत को लेकर आश्वस्त है। अब देश अपने लिए बड़े लक्ष्य तय करता है, कठिन समय सीमाएं निर्धारित करता है, तो कुछ लोग कहते हैं कि इतने कम समय में ये सब कैसे होगा! होगा भी या नहीं होगा! तब मैं कहता हूं कि समय के दायरे में बंधकर भयभीत होना अब भारत को मंजूर नहीं है।
स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के योगदान से परिचित होने के किया आह्वान
स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के योगदान के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने देशवासियों को भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्थानों और तीर्थ स्थलों की यात्रा करने और भारत की भावना से परिचित होने के लिए कहा।
21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का
पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का है। उन्होंने बताया कि चारधाम हाईवे को जोड़ने वाले चारधाम रोड प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। भविष्य में यहां केदारनाथ जी तक श्रद्धालु केवल कार के जरिए आकर दर्शन कर सकेंगे, इसके लिए यहां काम शुरू हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि यहां पास में ही पवित्र हेमकुंड साहिब जी भी हैं। हेमकुंड साहिब जी के दर्शन आसान हों, इसके लिए वहां भी रोप-वे बनाने की तैयारी है। उत्तराखंड के लोगों की अपार क्षमता और क्षमताओं में पूर्ण विश्वास को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार उत्तराखंड के विकास के ‘महायज्ञ’ में शामिल है।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड के अनुशासन की हुई प्रशंसा
प्रधानमंत्री ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तराखंड द्वारा दिखाए गए अनुशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जिस तरह का अनुशासन दिखाया, वो भी बहुत सराहनीय है। भौगोलिक कठिनाइयों को पार कर आज उत्तराखंड ने, उत्तराखंड के लोगों ने 100 प्रतिशत सिंगल डोज का लक्ष्य हासिल कर लिया है। ये उत्तराखंड की ताकत है, सामर्थ्य है।