ख़बरराष्ट्रीय

भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 125 रुपये का एक स्‍मारक सिक्‍का जारी किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कल श्रीला भक्तिवेदांत स्‍वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिये 125 रुपये का एक स्‍मारक सिक्‍का जारी किया।

समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि स्‍वामी प्रभुपाद न केवल भगवान कृष्‍ण के महान भक्‍त थे बल्कि जाने-माने देशभक्‍त भी थे। उन्‍होंने कहा कि श्रीला प्रभुपाद ने स्‍वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उन्‍होंने असहयोग आंदोलन के मद्देनजर स्‍कॉटिश कॉलेज से डिप्‍लोमा लेने से इंकार कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कभी हम अन्‍य देशों में किसी स्‍थान पर जाते हैं तो लोग वहां हरे कृष्‍ण कहते हैं तो हमें अपनेपन का एहसास और गर्व होता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का योग का ज्ञान, यहां की स्‍थायी जीवन शैली और आयुर्वेद जैसा विज्ञान विश्‍वभर में फैला हुआ है। उन्‍होंने कहा कि हमारा यह संकल्‍प है कि पूरा विश्‍व इससे लाभान्वित हो। उन्‍होंने कहा कि दासता के दौरान भक्ति ने भारत की आत्‍मा को जीवित रखा। उन्‍होंने यह भी कहा कि आज बुद्धिजीवी मानते हैं कि अगर भक्तिकाल के दौरान सामाजिक क्रांति नहीं हुई होती तो भारत की स्थिति और स्‍वरूप की कल्‍पना करना कठिन होता। प्रधानमंत्री ने कहा कि भक्ति ने आस्‍था, सामाजिक वर्गीकरण और विशेषाधिकार के भेदभाव को हटाकर ईश्‍वर के साथ सृजक को जोड़ा।

मोदी ने कहा कि कठिन समय में चैतन्‍य महाप्रभु जैसे संतों ने समाज को पूजा की भावना के साथ जोड़ा और विश्‍वास को आस्‍था का मंत्र दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय स्‍वामी विवेकानंद, वेद और वेदांत को पश्चिमी देशों में ले गये। उन्‍होंने यह भी कहा कि जब भक्ति योग को विश्‍व तक ले जाने की जिम्‍मेदारी आई तो श्रीला प्रभुपाद और इस्‍कॉन ने यह महान काम किया।

मोदी ने कहा कि इस्‍कॉन ने भक्ति वेदांत को विश्‍व की चेतना के साथ जोड़ने का काम किया। उन्‍होंने कहा कि आज विश्‍व के विभिन्‍न भागों में इस्‍कॉन के सैकड़ों मंदिर हैं और कई गुरूकुल भारतीय संस्‍कृति को जीवित रखे हुए हैं। मोदी ने कहा कि इस्‍कॉन ने विश्‍व को ज्ञान दिया कि भारत के लिए आस्‍था का अर्थ उत्‍साह, उल्‍लास और मानवता में आस्‍था है।

संस्‍कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि श्रीला प्रभुपाद ने सांस्‍कृतिक क्रांति लाई। उनका जीवन समर्पण, पूजा, दृढ़संकल्‍प और साहस की कहानी बताता है।

स्‍वामी प्रभुपाद ने इस्‍कॉन की स्‍थापना की थी जिसे हरे कृष्‍ण मूवमेंट के रूप में भी जाना जाता है। इस्‍कॉन ने श्रीमद् भगवत गीता और अन्‍य वैदिक साहित्‍य का 89 भाषाओं में अनुवाद करके विश्‍वभर में वैदिक साहित्‍य के प्रचार प्रसार में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्‍वामी जी ने एक सौ से अधिक मंदिरों की स्‍थापना की और विश्‍व को भक्ति योग के मार्ग पर चलने की शिक्षा देने के लिए कई पुस्‍तकें लिखीं।

साभार : NewsOnAir