लगता है चुनावी साल है……. मास्टर स्ट्रोक सरकार का
लगता है चुनाव आ रहा है। जी हाँ जब सरकार कुछ लुभावने फैसले लेने लगे तो समझिये चुनाव नजदीक है। ऐसा हीं माहौल कुछ आ चला है बिहार में।
इस बार का स्वतंत्रता दिवस निकाय शिक्षकों और पंचायत शिक्षकों के लिए ख़ास बन गया। पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे इन शिक्षकों को लगता है कि चुनाव के पहले राहत मिल हीं गयी।
15 अगस्त को गांधी मैदान से बोलते हुए सूबे के मुखिया ने इस चुनावी साल में कई लंबित मामलों पर अपना पूरा ध्यान दे हीं दिया। वर्षों इन्तजार कर रहे नियोजित शिक्षकों को घोषणा के तीन दिन के अन्दर हीं कैबिनेट से पास भी करा लिया।
मुख्यमंत्री ने शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पंचायत और नगर निकाय शिक्षकों की नई सेवा शर्त शीघ्र लागू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों की बेहतर सेवा शर्त के लिए नई नियमावली बनाई जा रही है। इसे शीघ्र लागू किया जाएगा। इन शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि का भी लाभ दिया जाएगा। घोषणा के बाद उम्मीद की जा रही थी कि जल्द हीं सरकार इस पर निर्णय ले लेगी, पर इतनी जल्दी लेगी इसकी उम्मीद नहीं थी।
हालांकि इस बात की पूरी उम्मीद थी कि चुनावी साल में नीतीश सरकार से नाराज राज्य के करीब पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों को मनाने के लिए मुख्यमंत्री कुछ जरुर करेंगे। जानकार ये मानकर चल रहे थें कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सीएम जरूर कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं और हुआ भी ठीक ऐसा ही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नियमावली तैयार की जा रही है। लेकिन सीएम के द्वारा नई सेवा शर्त लागू करने और ईपीएफ देने की भी घोषणा भी की गयी है। इसलिए ये तय माना जा रहा है कि नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्तों की नई नियमावली को अंतिम रूप दिया जा चुका है। मंगलवार को कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह साबित भी हो गया।
आपको याद दिला दें कि ये वही शिक्षक जो मुख्यमंत्री की सभाओं में काले झंडे और मुर्दाबाद के नारे लगाते थें, इन्हें सस्पेंड करने से लेकर जेल भेजने तक की धमकी सरकार की तरफ से दी गयी थी। इनकी मांगों को अवैध बताया जाता था। एक बार तो सरकार ने इनके वेतन को भी रोकने का आदेश दिया गया था।
एक तरह से देखा जाये तो मुख्यमंत्री ने अपनी चुनावी घोषणा आरम्भ कर दी है। उन्होंने अपने संबोधन में नयी नियुक्तियों की भी घोषणा की। नीतीश कुमार ने कहा कि ग्राम पंचायतों में नए स्थापित उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 33 हजार 916 शिक्षकों की नियुक्ति का विज्ञापन शीघ्र जारी होगा।
उन्होंने यह भी घोषणा किया कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग को 4000 विश्वविद्यालय-कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक माह के अंदर अधियाचना भेज दी जाएगी। इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनी नियमावली में आवश्यक संशोधन भी किया जाएगा।
बहुत दिनों से लंबित मांगों में मुख्यमंत्री ने बिहार में 4997 नर्सों और 4000 चिकित्सकों की नियुक्ति शीघ्र की भी घोषणा की।
सीएम की घोषणा से स्पष्ट है कि चुनावी साल में नीतीश कुमार कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थें। उनकी नजर पौने चार लाख वैसे वोटरों पर थी जो पूरी तरह से अभी तक उनके विरोधी हैं। ये वैसे शिक्षक थें जो नीतीश कुमार की सभा में काले झंडे और मुर्दाबाद के नारे लगाने से भी परहेज नहीं करते थें। बिहार में कई जगहों पर इनका आन्दोलन सीधा मुख्यमंत्री की सभा में विरोध स्वरुप होता है।
पिछले कई सालों से नियोजित शिक्षकों की मांगो को अवैध और गैर कानूनी बताने वाली, जेल में डालने की धमकी देने वाली सरकार इस चुनावी साल में इन मांगों को कैसे वैध और क़ानूनी बताएगी ये तो आने वाला वक्त बतायेगा।
पर एक बात तो तय है कि लॉकडाउन, गरीबी, भुखमरी से परेशान जनता को जब तारीख और दिन भी याद नहीं रह रहा है उस वक़्त ये जरूर याद आ गया होगा कि राज्य में चुनाव आ रहा है।
मधुप मणि “पिक्कू”
ग्रुप एडिटर, रेस मीडिया