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‘इस्सयोग भवन’ में मनाया गया महात्मा सुशील का स्मृति-पर्व

पटना, २४ फ़रवरी। संसार में आए सभी प्राणियों को कोई न कोई कष्ट अवश्य रहता है। सभी अपने कर्मों को भोगने आते हैं। जैसा करते हैं, वैसा ही भोगते हैं। ‘इस्सयोग’ की साधना, उन्हीं कर्मों को काट कर बुरे कर्म-भोग से रक्षा करती है। प्रत्येक इस्सयोगी साधक को परती दिन प्रातःकाल कमसेकम एक घंटे की साधना अवश्य करनी चाहिए।

यह बातें शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में, गोलारोड स्थित एम एस एम बी ‘इस्सयोग भवन’ में आयोजित, इस्सयोग के संस्थापक और ब्रह्मलीन सदगुरुदेव के महानिर्वाण की स्मृति में प्रत्येक मास होने वाले स्मृति-पर्व में अपना आशीष प्रदान करती हुईं, संस्था की अध्यक्ष एवं सदगुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने कहा कि प्रत्येक इस्सयोगी साधक-साधिका के साथ एक ‘शक्ति’ सदैव बनी रहती है।
यह जानकारी देते हुए, संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे, सदगुरु के ‘आह्वान की साधना’ के साथ आज का उत्सव आरंभ हुआ। सूक्ष्म-साधना के पश्चात एक घंटे का अखंड-संकीर्तन सपन्न हुआ। रजनीश शांडिल्य, मालती देवी, नितिन साहू, सतीश चौरसिया, रेनु सिंहा, संतोष कुमार, निभा गुप्ता, कौशल्या देवी, श्वेता कुमारी, निर्मला कुमारी, पुनीता देवी, अमितजी, सुजित कुमार आदि इस्सयोगियों ने अपने श्रद्धा-उद्गार भी व्यक्त किए।

इस अवसर पर, संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, छोटे भैया संदीप गुप्ता, नीना दूबे गुप्ता, सरोज गुटगुटिया, शिवम् झा, काव्या सिंह झा, लक्ष्मी प्रसाद साहू, माया साहू, श्रीप्रकाश सिंह, किरण झा, किरण प्रसाद, गीता देवी, बीरेन्द्र राय, गायत्री प्रदीप, कपिलेश्वर मण्डल, राजेश वर्णवाल, गायत्री कृष्ण मोहन राय, दुष्यंत यादव, प्रभात चंद्र झा, रविकान्त मूलचंद, पीयूष कुमार, मुकेश कुमार तथा मंजू देवी समेत बड़ी संख्या में इस्सयोगी साधक-साधिकाओं की उपस्थिति रही। दिन के महा-प्रसाद के साथ स्मृति-पर्व का समापन हुआ।