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जानिए क्या है हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन, कैसे कम करेगा कार्बन उत्सर्जन

वित्त वर्ष 2021 – 22 में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बजट में वृद्धि की गई है। इस वर्ष बजट में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की शुरुआत करने की घोषणा की गई है। देश का ऊर्जा क्षेत्र, आज न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए, कार्बन उत्सर्जन कम करने की दृष्टि से भी आवश्यक है। आज भी भारी मात्रा में ऊर्जा उत्पादन, तापीय उर्जा संयंत्र से होते हैं, जो पूरी तरह से कोयले के उपयोग पर निर्भर हैं। इसीलिए वित्तमंत्री ने हाल ही में प्रस्‍तुत बजट में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की।

क्या होगा हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन में-

हरित ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, भारत हाइड्रोजन संयंत्र लगाने की योजना बना रहा है। नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमितेश सिन्हा कहते हैं कि, यह संयंत्र हरित ऊर्जा स्रोतों से चलेंगे और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता का कम करेंगे। ये संयंत्र ग्रिड स्केल स्टोरेज समाधान उपलब्ध कराएंगे और अमोनिया उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का काम करेंगे।

यह है हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का उद्देश्य-

उन्‍होंने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य, हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में अधिकाधिक प्रयोग करना और इसे बढ़ावा देना है। हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिये रूपरेखा को अगले दो महीने में तैयार हो जाने की उम्मीद है। यह मिशन अल्पावधि (4 वर्ष) के लिए विशिष्ट रणनीति और दीर्घकालिक (10 वर्ष तथा उससे अधिक) के लिए विशेष सिद्धांतों को सामने रखेगा। इसका उद्देश्य मूल्यवर्धन श्रृंखला में हाइड्रोजन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करना है।

विद्युत मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के बजट में हुई वृद्धि-

• बजट में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) के लिए 1,000 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।

• भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) के लिये 1,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की गई है।

• उच्च क्षमता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के निर्माण सहित 13 क्षेत्रों में और आत्मनिर्भर भारत के लिए विनिर्माण के क्षेत्र में दुनिया में अग्रणी केंद्र बनने के उद्देश्य से पीएलआई योजनाओं की घोषणा की गई है।

• मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के साथ उपयुक्त प्रोत्साहन तथा सुविधा के माध्यम से विनिर्माण का समर्थन करने के लिए एक रूपरेखा विकसित की जाएगी।

• उच्च क्षमता के सौर पीवी मॉड्यूल के लिए 4,500 करोड़ रुपये दिए गए हैं। योजना का क्रियान्वयन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय करेगा।