विविध

शिक्षा-सामाजिक क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहराया डा. नम्रता आनंद ने

आज बादलों ने फिर साज़िश की
जहाँ मेरा घर था वहीं बारिश की
अगर फलक को जिद है ,बिजलियाँ गिराने की
तो हमें भी ज़िद है ,वहीं पर आशियाँ बनाने की

पटना, 13 अप्रैल राजकीय-राष्ट्रीय सम्मान से अंलकृत समाज सेविका-शिक्षिका डा. नम्रता आनंद आज के दौर में न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में धूमकेतु की तरह छा गयी हैं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी क्षितिज पर भी सूरज की तरह चमक रही हैं।

बिहार के किशनगंज में तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा और रजनी वर्मा के आंगन में जन्मीं डा. नम्रता आनंद अपने पिता के आदर्शो और कर्तव्यनिष्ठा से बेहद प्रभावित है। डा. नम्रता आनंद की दो बहन स्वाति आनंद और पल्लवी राज हैं, जबकि बड़े भाई विवेक विभूति हैं। नम्रता आनंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहारशरीफ, बांका और सीतामढ़ी से पूरी की। सीतामढ़ी से कमला गर्ल्स हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आंखों में बड़े सपने लिये अपने परिवार के साथ राजधानी पटना आ गयी। आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी से प्रभावित रहने के कारण नम्रता उन्हीं की तरह प्रशासनिक सेवा में काम करना चाहती थी।

जुनूँ है ज़हन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आबे-रवाँ रास्ते तलाश करो
ये इज़्तराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो

महान समाजसेविका मदर टेरेसा के सामाजिक कार्यो से प्रभावित नम्रता आनंद जब महज 13 साल की थी तब उन्होंने अपने मुहल्ला चितकोहड़ा, विष्णुपुरी, कौशल नगर, मुर्गी बगीचा, यारपुर, मीठापुर, एक्सजिविशन रोड, कुरथौल में स्लम के गरीब बच्चों को नि.शुल्क शिक्षा देने का काम शुरू किया और बच्चों में शिक्षा का ज्योत जलाया। अपने पाकेटमनी से वह उन स्लम के बच्चों के लिए कॉपी, किताब, पेंसिल और चॉकलेट्स लेकर जाती थी और पढ़ाती थी। डा. नम्रता आनंद का कहना है कि समाज के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है, इसलिए जरूरी है कि समाज के सभी लोग शिक्षित हो। शिक्षा ही विकास का आधार है। समाज के लोग ध्यान रखें कि वह अपने बेटों ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बराबर शिक्षा दिलवाएं।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की महत्ता सर्वविदित है, स्पष्ट है कि सामाजिक सरोकार से ही समाज की दशा व दिशा बदल सकती है।

उसे गुमाँ है कि मेरी उड़ान कुछ कम है
मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है

नम्रता आनंद ने इस बीच अपनी पढाई जारी रखी। वर्ष 1998 में इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। नम्रता आनंद का मानना था कि सरकारी स्कूल के बच्चों में प्रतिभा की कमीं नही है, यदि उन्हें उचित मंच दिया जाये तो वह प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं। इसी को देखते हुये उन्होंने वर्ष 1999 में बच्चों को लेकर कार्यक्रम करने शुरू किये। इस बीच वर्ष 2001 में नम्रता आनंद ने बी.ए और वर्ष 2004 में उन्होंने एम.ए की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 2004 में नम्रता आनंद ने शादी की, हालांकि इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। आम तौर पर युवती की शादी के बाद उसपर कई तरह की बंदिशे लगा दी जाती है लेकिन डा: नम्रता आनंद के साथ के साथ ऐसा नही हुआ। डा: नम्रता आनंद के ससुर ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। वर्ष 2004 में उन्होंने बी.एड और वर्ष 2005 में एम.एड और वर्ष 2007 -2014 में प्रो. डा. स्वर्गीय किरण कुमार मलतयार के निर्देशन में उन्होंने पी.एच.डी पूरी की और नम्रता आनंद , डा. नम्रता आनंद बन गयी। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि वह अपने नाना भानुंजय सहाय और ज्योतिन मोहन प्रसाद के आदर्शो से भी बेहद प्रभावित हैं।

अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया

कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं। इस बात को साबित कर दिखाया डा. नम्रता आनंद ने। डा. नम्रता आनंद को भारत सरकार के केन्द्रीय चयन समिति ने वर्ष 2004 में राष्ट्रीय विकास और सामाजिक सेवा में किये गये उत्कृष्ठ कार्य के लिये स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी के अवसर पर झारखंड के जमशेदपुर में राष्ट्रीय यूथ अवार्ड सम्मान से सम्मानित किया गया। वर्ष 2006 में नम्रता आनंद के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आया। उनके घर के आंगन में नन्हीं परी निरंतरा हर्षा का जन्म हुआ। वर्ष 2007 में डा. नम्रता आनंद मध्य विद्यालय सिपारा में बतौर शिक्षिका काम करने लगी। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि उनके शैक्षनिक करियर में प्रो. डा. विश्वनाथ प्रसाद का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है।

रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा;
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा

डा. नम्रता आनंद की रूचि शुरूआती दौर से समाजसेवा की रही है। वर्ष 2008 में डा. नम्रता आनंद ने दीदीजी फाउंडेशन की नीवं रखी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया। डा. नम्रता आनंद का मानना है अब जरूरत है महिलाओं को सशक्त बनाने की ,अब हर किसी को जगना होगा, और सबको जगाना होगा ।ब हुत खो लिया नारी ने, अब उसे उसका हक दिलाना होगा स्त्रियों को खुद इसकी शुरुआत करनी होगी स्त्रियों को खुद, स्वयं को आगे बढ़ाना होगा उम्मीद है जल्द हीं हालात बदलेंगे, उम्मीद है अब वक्त करवट लेगा और नहीं रहेगी किसी स्त्री के चेहरे पर शिकन।

डा. नम्रता का मानना है कि यदि देश की बेटियां सुरक्षित होंगी, तभी वह शिक्षा प्राप्त कर पायेंगी। इसलिए वह महिलाओं की सशक्तीकरण की दिशा में हर संभव काम कर रही है। दीदीजी फाउंडेशन के बैनर तले उन्होंने जल जीवन हरियाली, बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ, पर्यावरण, स्वच्छता, तंबाकू विरोधी अभियान, साक्षरता, रक्तदान, पल्स पोलिया प्रतिरक्षण ,कोरोना जागरूकता, महिला सशक्तीकरण , वरिष्ठ नागरिकों की सेवा, ट्रांसजेंडर्स के उत्थान, विकलांग लोगों के पुर्नवास समेत कई सामाजिक कार्य किये जिसके लिये उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली। वर्ष 2010 में डा. नम्रता आनंद के आंगन में दूसरी नन्हीं परी नियति सौम्या का आगमन हुआ। इस बीच डा. नम्रता आनंद ने बिटिया डेयरी फार्म की भी शुरूआत की।

 

अपने मकसद में कामयाबी हासिल करने के लिए ….ताकत से ज्यादा हिम्मत की ज़रूरत होती है

वर्ष 2013 में डा. नम्रता आनंद की योग्यता को देखते हुये उन्हें फुलवारी ब्लॉक का संयोजक बनाया गया, जिसके अंतगर्त उन्हें 15 स्कूल के 2500 बच्चों के सर्वांगीण विकास का अवसर मिला। वर्ष 2018 में डा. नम्रता आनंद ने पहल एक नयीं सोच कार्यक्रम के जरिये कालिदास रंगालय में बच्चों की प्रतिभा को पेश किया, जिसके लिये उन्हें काफी सराहना मिली।वर्ष 2019 में डा. नम्रता आनंद को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की सर्वश्रेष्ठ 20 शिक्षकों में सम्मानित किया। वर्ष 2021 जनवरी में डा. नम्रता आनंद ने कालिदास रंगालय में बाल उड़ृान और राष्ट्रीय सम्मान का आयोजन किया, जिसके तहत देशभर से कई हस्तियों को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया। वर्ष 2021 में डा. नम्रता आनंद अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ संगठन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) से जुड़ गयी। काम के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुये उन्हें जीकेसी बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।

डा. नम्रता आनंद बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उनका कहना है कि जीवन के लिए हीरे से ज्यादा कीमती हरियाली होती है। इसलिए हरियाली की कीमत पर हमें हीरे नहीं चाहिए।वर्ष 2021 में कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों के लिये मदद के लिये आगे आयी। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों के बीच 75000 से अधिक मास्क, सैनिटाइजर और साबुन का वितरण किया है।

हम अकेले ही चले थे जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

वर्ष 2020 में ही डा. नम्रता आनंद ने कुरथौल के फुलझड़ी गार्डेन में संस्कारशाला की स्थापना की। संस्कारशाला के माध्यम से गरीब और स्लम एरिया के बच्चों का नि.शुल्क शिक्षा, संगीत, सिलाई-बुनाई, पेंटिंग और डांस का प्रशिक्षण दिया जाता है। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि समाजसेवी श्री मिथिलेश सिंह और चुन्नू सिंह ने उन्हें नि:शुल्क संस्कारशाला की व्यवस्था की है जिसके लिये वह उनका आभार प्रकट करती हैं। असहाय वृद्धों के लिए नम्रता आनंद एक वृद्धाश्रम शुरु कर रही हैं। डा: नम्रता आनंद ने बताया कि दीदीजी फाउंडेशन को अभी तक कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि सरकारी सहायता के बिना मैं अपना काम नहीं रोक सकती। समाज सेवा के लिये कोई प्लनिंग नहीं करती। मेरी कोशिश होती है किसी की जरूरत पर मै उपलब्ध रहूं। मैं यही करती हूं और समाज सेवा होती चली जाती है।
लक्ष्य न ओजल होने पाये,कदम मिलाकर चल मंजिल तेरे पग चूमेगी,आज नहीं तो कल ।

26 मार्च 2022 डा. नम्रता आनंद के करियर के लिये एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया। डा. नम्रता आनंद को सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस ने उन्हें महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान से नवाजा। डा. नम्रता आनंद ने महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान दिये जाने पर खुशी जाहिर की और इसके लिये जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन, महादेवी वर्मा सम्मान समिति के अध्यक्ष आनंद सिन्हा और चयन समिति का शुक्रिया अदा किया है।

उन्होंने कहा कि महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान मिलना उनके लिये गौरव की बात है। इसके अलावा डा. नम्रता आनंद नारी रत्न अर्वाड, छात्र रत्न,युवा रत्न, राजीव गांधी समरसता अवार्ड, इंदिरा गांघी समरसता अवार्ड, बेस्ट वालिनटियर अवार्ड, इंटरनेशनल समरसता यूनिटी गोल्ड मेडल, महिला शक्ति शिरोमणि स्वर्ण पदक, इंडो नेपाल समरसता अवार्ड, इंडो नेपाल एकता अवार्ड, इंडो नेपाल समरसता अभिनंदन पत्र, समाज रत्न अवार्ड, दिल्ली गॉड गिफ्टेड अवार्ड, काठमांडु-नेपाल इंटरनेशनल अवार्ड, स्वामी विवेकानंद अवार्ड, कर्मयोगी महिला सम्मान, नेशनल प्राइड अवार्ड, लाल बहादुर शास्त्री सम्मान,सेवा रत्न अवार्ड, कोरोना वारियर अवार्ड समेत कई प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

तोड़ के पिंजरा जाने कब उड़ जाऊँगी मैं ,लाख बिछा दो बंदिशे फिर भी आसमान में जगह बनाऊंगी मैं हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ ,भले ही रूढ़िवादी जंजीरों से बांधे है ,दुनिया ने पैर मेरे फिर भी इसे तोड़ जाऊँगी, मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी जो हालत से हारे ऐसी नहीं मैं लाचारी हूँ हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ डा. नम्रता आनंद के सपने सपने यूं ही पूरे नही हुये , यह उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम है। मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू ज़िन्दगी का इम्तेहान होता है। डरने वालो को मिलता नहीं कुछ ज़िन्दगी में, लड़ने वालो के कदमो में जहां होता है। डा. नम्रता आनंद ने बताया कि वह अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने परिवार के सभी सदस्यों को देती हैं जिन्होंने उन्हें हमेशा सपोर्ट किया है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी निरतंरा हर्षा, नियति सौम्या , माता-पिता ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने को प्रेरित किया।

साक्षात्कार डा. नम्रता आनंद
(प्रेम कुमार)