Budget 2022: जानें कैसे और कब बदलीं दशकों पुरानी बजट की परंपराएं
आज एक फरवरी है। आज का यह दिन पूरे भारत के लिए बेहद अहम समझा जाता है। दरअसल, इस दिन केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश किया जाता है। आमतौर पर पहले बजट फरवरी महीने की आखिरी तारीख में पेश किया जाता था, लेकिन केंद्र में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद संसद में बजट पेश किए जाने की तारीख में बदलाव किया गया और इसे 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। बजट पेश किए जाने का यह दिन दशकों पुरानी बजट परंपराओं को बदलते हुए तय किया गया। केवल इतना ही नहीं पीएम मोदी के कार्यकाल में बजट से जुड़ी दशकों पुरानी कई परंपराओं को बदला गया है। इस बीच आपको थोड़ा बजट इतिहास के बारे में जानना भी जरूरी है। केंद्र सरकार ने बजट से जुड़ी परंपराओं में क्या-क्या बदलाव किया है, आइए जानते हैं…
आम बजट की बदली तारीख
साल 2014 में केंद्र में पीएम मोदी की सरकार आने से पहले तक बजट आमतौर पर फरवरी महीने की आखिरी तारीख यानि 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस परंपरा को बदला और आम बजट पेश करने की तारीख फरवरी के अंत के बजाय शुरुआत से कर दी गई। यानि बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा। यह बजट परंपराओं में एक बड़ा बदलाव था।
रेल बजट का आम बजट में विलय
पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने दशकों से चली आ रही रेल बजट की परंपरा को भी साल 2016 में बदलने का काम किया। 2016 से पहले तक रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पहले अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2016 में इसे बदलते हुए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ मिलाकर पेश किया।
लाल ब्रीफकेस की टूटी परंपरा
बजट इतिहास की परंपराओं को देखें तो वर्ष 1947 से देश का आम बजट संसद में पेश करने हेतु एक लाल रंग के ब्रीफकेस में लाया जाता था। केंद्र सरकार ने साल 2019 में इस परंपरा में भी बदलाव किया। उसके बाद से लाल ब्रीफकेस के बजाय बजट लाल कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में लाया जाने लगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव पर कहा था कि देश का बजट दरअसल देश का बही-खाता होता है, इसलिए उन्होंने बजट के स्वरूप में बदलाव किया है।
टैबलेट में समा गया बजट
वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते देश में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बहुत तेजी के साथ बढ़ा। इसके साथ ही बजट भी इससे अछूता नहीं रहा। इस क्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट 2021-22 को संसद में एक टैबलेट के जरिए पेश किया। इस प्रकार बजट टैब ने पारंपरिक बही खाते की जगह ले ली। हालांकि यह टैबलेट बही खाते के समान लाल रंग के कपड़े में ही नजर आया। इसके ऊपर भारत सरकार का चिह्न लगा था।
आया यूनियन बजट मोबाइल एप
पहली बार 2021 में डिजिटल बजट पेश किया गया था। इससे पहले बजट की छपाई होती थी। एक अभूतपूर्व पहल के तहत, केंद्रीय बजट 2021-22 को पेपरलेस रूप में वितरित किया गया। केंद्र सरकार द्वारा इस तरह का कदम पहली बार उठाया गया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद सदस्यों और आम लोगों को आसानी से और तेजी से बजट से संबंधित अपडेट मिल सके, इसके लिए “यूनियन बजट मोबाइल एप” लॉन्च किया। यह भी केंद्र सरकार द्वारा बजट परंपराओं में किया गया एक बड़ा बदलाव था। मोबाइल एप के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (आमतौर पर इसे बजट के रूप में जाना जाता है), अनुदान की मांग (डीजी), वित्त विधेयक इत्यादि दस्तावेज उपलब्ध होंगे जो कि संविधान के अनुसार तय किए गए हैं। बता दें एप में डाउनलोडिंग, प्रिंटिंग, सर्च, जूम इन और आउट, बाई डायरेक्शनल स्क्रॉलिंग, कंटेंट और एक्सटर्नल लिंक की तालिका आदि के साथ उपयोगकर्ताओं के अनुकूल इंटरफेस उपलब्ध हैं। एप अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में उपलब्ध है। साथ ही यह एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है।
हर साल होने वाला हलवा समारोह
इस बार बजट की तैयारी से पहले आयोजित किया जाने वाला हलवा समारोह भी नहीं हुआ। दरअसल, हलवा समारोह का काफी पुराना इतिहास रहा है। इस समारोह के साथ ही बजट की छपाई का कार्य शुरू होता था। नॉर्थ ब्लॉक में हर साल बजट से पहले होने वाले इस समारोह में वित्त मंत्री समेत मंत्रालय के अधिकारी हिस्सा लेते थे। इस बार कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए हलवा सेरेमनी का आयोजन नहीं किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बदला था समय पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने भी बजट से जुड़ी एक पुरानी परंपरा को बदला था। वर्ष 1999 से पहले सभी बजट शाम के पांच बजे पेश किए जाते थे, लेकिन तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1999 में यह परंपरा तोड़ते हुए पहली बार आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया। तब से बजट लोकसभा में सुबह 11 बजे ही पेश हो रहा है।