नए दौर की मांग को देखते हुए नया कौशल विकास एवं उद्यमिता पाठ्यक्रम तैयार
किसी भी देश का वास्तविक धन उस देश की जनसंख्या होती है। अगर कोई देश अपनी जनसंख्या को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण मुहैया करवाता है तो निश्चित तौर पर उस देश को प्रगति करने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे में भारत के पास अपार संभावनाएं हैं कि वह अपनी जनसंख्या को बेहतर संसाधन उपलब्ध करवाए ताकि जनसंख्या बोझ न बनकर बल्कि उपयोगी साबित हो। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ साल में अनेक कदम उठाए हैं जिनमें कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करना प्रमुख है। अब इसी कड़ी को और मजबूती प्रदान करने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने युवा शिक्षार्थियों को 21वीं सदी के अनुकूल बनाने के लिए योग्यता कौशल पाठ्यक्रम को नया रूप दिया है।
संशोधित पाठ्यक्रम
संशोधित पाठ्यक्रम को इस तरह से तैयार किया गया है कि आज के युवा तेजी से बदलती दुनिया के साथ तालमेल बिठाने में सक्षम हो। उन्हें प्रशिक्षण के बाद किसी तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। युवा परिवर्तनशील विश्व में रोजगार आसानी से हासिल कर पाए और आत्मविश्वास से भरा हो। इसके अलावा संशोधित पाठ्यक्रम के माध्यम से शिक्षार्थियों को तीन प्रमुख लाभ मिलेंगे जो निम्न हैं:-
सीखने की मानसिकता का निर्माण
पाठ्यक्रम युवाओं को अपने आप सीखने की मानसिकता का निर्माण करवाएगा। यह देखा गया है कि आज के युवा स्मार्टफोन और नए गैजेट्स में अधिक समय बिताते हैं। ऐसे में उनके पास खुद दुनिया के तमाम स्किल्स को सीखने के लिए अपार संभावनाएं हैं, लेकिन सही गाइडेंस और कई बार जानकारियां न होने की वजह से वे इन चीजों को सीखने से वंचित रह जाते हैं ऐसे में अगर यह पाठ्यक्रम स्वत कुछ सीखने की मानसिकता को विकसित करवाएगा तो उम्मीद की जा सकती है कि देश के युवा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर कई स्किल्स सीख जाएंगे।
महामारी के बाद के लिए तैयार होना
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस ने पूरी दुनिया में रोजगार को लेकर सोचने के नजरिए को बदल कर रख दिया है। ऐसे में महामारी के बाद की दुनिया में करियर को लेकर तैयार होना सबसे बड़ी चुनौती है। संशोधित पाठ्यक्रम इसी समस्या को हल करने में सहायता प्रदान करेगा। पाठ्यक्रम को महामारी के बाद की दुनिया में किस तरह की स्किल्स की जरूरत है ? कैसे रोजगार मिल सकते हैं ? इन बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
करियर ऑप्शंस के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना
नए करिकुलम में तीसरी प्रमुख बात जो समाहित की गई है वह है नए करियर ऑप्शंस को लेकर जागरूकता विकसित करना और 21वीं सदी के कौशल से लैस करना। 21वीं सदी के इस दौर में आज के युवाओं से यह उम्मीद की जाती है कि उनके अंदर बहु कौशल हो। जिन युवाओं के पास एक से अधिक कौशल होते हैं उन्हें नियोजक आसानी से रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। इससे न सिर्फ युवाओं की अहमियत बढ़ती है बल्कि उन्हें दूसरों के मुकाबले अधिक तनख्वाह भी दी जाती है।
स्किल इंडिया अभियान
देश के युवाओं का कौशल विकास और प्रशिक्षण कर बेरोजगारी हटाने के लिए केंद्र सरकार ने स्किल इंडिया मिशन, यानि राष्ट्रीय कौशल विकास योजना की शुरुआत 2015 में की थी। इस मिशन के तहत बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रदान कर रोजगार दिलाने का कार्य किया जाता है। स्किल इंडिया मिशन के तहत 4 अन्य योजनाएं राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रिय नीति, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और कौशल ऋण योजना को सम्मिलित किया गया है। इन योजनाओं का एकमात्र उद्देश्य देश के युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण और कौशल विकास कर उन्हें रोजगार मुहैया करवाना है।
स्टार्टअप इंडिया एवं मुद्रा योजना
केंद्र सरकार की संवेदनशीलता का बात से लगाया जा सकता है कि सरकार लगातार युवाओं के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं ला रही है ताकि युवाओं को रोजगार के लिए भटकना न पड़े। संशोधित पाठ्यक्रम से पहले सरकार ने देश के युवाओं के नए आइडियाज को समर्थन देने के लिए स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। इस योजना के तहत युवाओं को स्टार्टअप शुरू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता दी जाती है। इसी तरह रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मुद्रा योजना की शुरुआत की जिसके माध्यम से आज करोड़ों लोगों को रोजगार मिल पा रहा है।
25 लाख बच्चे होंगे लाभान्वित
संशोधित पाठ्यक्रम से 15,600 से अधिक सरकारी और निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के 25 लाख से अधिक बच्चे लाभान्वित होंगे। जाहिर है सरकार द्वारा लगातार युवाओं के उत्थान के लिए उठाए जा रहे कदम सार्थक साबित हो रहे हैं। ऐसे में कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय की ये एक और पहल युवाओं को रोजगार दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है !