सम्पादकीय

अमेरिका में कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप की जीत तय करेगी वैश्विक शांति की दिशा और कूटनीति

आज पूरा विश्व वैश्विक-युद्ध की आशंका से ग्रस्त है और विगत 2 वर्षों से ज्यादा समय से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध एवं इसराइल हमास युद्ध में फिलिस्तीन तथा इसराइल के लगभग 40 से 50 हजार निर्दोष सैनिक और नागरिक मारे जा चुके हैं। पूरा विश्व वैश्विक युद्ध की कगार पर बैठा हुआ है। यदि रूस ईरान या अन्य एक देश भी परमाणु हथियार इस्तेमाल करता है तो भारी वैश्विक

संजीव ठाकुर

विनाश की संभावना बलवती हो जाएगी। ऐसे में अमेरिका में नए राष्ट्रपति के चयन पर सारी बात निर्भर करती है। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति ही वैश्विक शांति और अशांति की दशा तथा दिशा तय करेंगे। भारत के बाद अमेरिका दूसरा बड़ा प्रजातांत्रिक देश है प्रजातंत्र,लोकतंत्र में सदैव निष्पक्ष चुनाव बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैंl अमेरिका में इस बार राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में संपन्न होनें जा रहे है सबसे बड़े बलशाली,शक्तिशाली देश को अगला राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति मिल जाएगाl

रिपब्लिकन पार्टी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वर्तमान राष्ट्रपति जो बाईडेन ने डोनाल्ड ट्रंप को पराजित सत्ता हासिल की थी पर इस बार जो बाईडेन मैदान में जरूर थे किन्तु चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप से चुनावी बहस के दौरान अपने खराब प्रदर्शन के कारण उनके स्थान पर डेमोक्रेटिक पार्टी की ही उम्मीदवार वर्तमान की पूर्व उपराष्ट्रपति भारतीय मूल की कमला हैरिस को उनके स्वास्थ्यगत कारणों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार घोषित किया है । चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में डोनाल्ड ट्रंप आगे चल रहे थे पर कमला हैरिस के राष्ट्रपति की उम्मीदवारी की घोषणा से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के कई राज्यों में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस से पीछे हो गए हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले अमेरिका के उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ है और अमेरिका में किए गए सर्वे के हिसाब से डोनाल्ड ट्रंप कमला हैरिस से कुछ प्रतिशत पीछे चल रहे हैं। एसोसिएट प्रेस के एसोसिएट ऑफ पब्लिक अफेयर्स रिसर्च के अनुसार अमेरिका के वयस्क मतदाताओं लगभग 48% की पसंद कमला हैरिस बताई जाती हैं। कमला हैरिस के शुरुआत के चुनावी प्रचार में कम प्रतिशत पसंद की उम्मीदवार थी। इसके बाद राष्ट्रपति जो बाईडेन के चुनावी मैदान से हटने के बाद कमला हैरिस ने अपनी लोकप्रियता में अपनी मेहनत और मशक्कत से काफी बढत हासिल की है,उन्होंने लोकप्रियता में वर्तमान तथा पूर्व राष्ट्रपति दोनों को काफी पीछे छोड़ दिया है।

जो बाईडेन को 39% अमेरिकी मतदाता पसंद करते थे किंतु अब स्थिति बदल गई है कमला हैरिस की उम्मीदवारी घोषित होते ही कमला हैरिस अब 41 से 43% मतदाताओं की पहली पसंद बताई जा रही हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस को भारतीय मूल के मतदाताओं का पूरा समर्थन तो मिलेगा ही साथ में उनका पूरा डेमोक्रेटिक दल इस चुनाव में कमर कस के उनके साथ ऐसे कार्यक्रमों में शिरकत करने की योजना बना रहा है जहां ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं की भीड़ एकत्र होगी, ऐसे में खेल के मैदानों को भी प्रचार का हिस्सा बनाया जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने कई कार्यक्रमों में कमला हैरिस पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर मतदाताओं को नाराज भी कर लिया है और उनके साथ चुनाव प्रचार करने वाले सलाहकारों ने भी डोनाल्ड ट्रंप को इन सबसे बचने की सलाह दी है किंतु डोनाल्ड ट्रंप आम सभाओं में अपने आप को कमला हैरिस पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से रोक नहीं पाते हैं। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार तेजी पकड़ता जा रहा है डोनाल्ड ट्रंप धीरे-धीरे पीछे होते जा रहे हैं। यह तो तय है कि कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप के जीतने से रूस यूक्रेन युद्ध इजराइल हमास फिलिस्तीन युद्ध की दिशा और दशा तय होगी। जाहिर तौर पर कमला हैरिस यदि जीतती हैं तो उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व निर्धारित नीतियों पर ही चलना होगा और उन नीतियों को अमल करते हुए वह यूक्रेन को रूस के विरुद्ध युद्ध में मदद जारी रखेगी, अमेरिका अब तक यूक्रेन को अब तक $ 9 लाख की मदद कर चुका है एवं जो बाईडेन ने आगे भी मदद करने का आश्वासन दिया है।

निश्चित तौर पर कमला हैरिस भी जो बाईडेन की नीतियों पर अमल करेंगीं, यदि पूर्व राष्ट्रपति की नीतियों पर नहीं भी चलेगी तो भी यूक्रेन की मदद करना उनकी बड़ी जिम्मेदारी और मजबूरी होगी। दूसरी तरफ इसराइल हमास युद्ध में हमास, फिलिस्तीन, ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन हिजबुल्ला एवं हमास के समर्थन में खड़े खाड़ी के देशों के विरुद्ध इसराइल को खुला समर्थन देना होगा। यह बात अलग है कि अभी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन 9वीं बार इसराइल हमास युद्ध के बीच इसराइल गाजा युद्ध की समाप्ति और बंधकों की रिहाई संबंधी समझौता वार्ता आगे बढ़ाने के लिए पहुंचे हैं। हालांकि इजरायल की एजेंसी के अनुसार हमास की हठधर्मिता के कारण हर बार समझौता असफल होने का कारण बताया जा रहा है। ईरान की धमकियों के बाद अमेरिका सीधे-सीधे इसराइल तथा हमास, ईरान,इराक,कतर तथा मिश्र से यह उम्मीद जताई है यूद्ध विराम के लिए में ये लोग समझौते के लिए राजी हो सकते हैं। दूसरी तरफ यदि डोनाल्ड ट्रंप अगले राष्ट्रपति होंगे तो यही परिदृश्य काफी बदला हुआ नजर आएगा। डोनाल्ड ट्रंप रूस के साथ अच्छे संबंधों की दुहाई देकर रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने का प्रयास करेंगे।इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप भी इसराइल हमास युद्ध में बड़े मध्यस्थ की भूमिका निभाने की स्थिति में रहेंगे। वैसे डोनाल्ड ट्रंप की पिछले कार्यकाल की यह नीति रही है कि वे सदैव युद्ध के विरुद्ध शांति के पक्षधर रहे हैं। इसी दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड तथा यूक्रेन की दो दिवसीय यात्रा पर जाने वाले हैं संभवत प्रधानमंत्री मोदी रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए बीच का रास्ता निकाल कर समझौते की बात भी कर सकते हैं। खैर परिणाम तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन यह तो तय है कि अमेरिका में चुनाव वैश्विक राजनीति में बहुत गहरा प्रभाव रखते हैं और नए राष्ट्रपति के चुनाव के बाद ही पूरे परिदृश्य में वैश्विक बदलाव नजर आएगा।

संजीव ठाकुर,लेखक, चिंतक, स्तंभकार

कविता,

संजीव-नी।
शब्दों का अपना संसारl
नई सदी के शब्द
आते-आते हवा में
आए थे कुछ शब्द
अप्रवासी पंछियों की तरह
पर शायद ओझल हो गए।

बसंत के आते ही
किसी गहरी सोच की तलाश में
किसी मसीहा की राह तकते
तार-तार हवा में या
फिर
संपूर्ण ब्रह्म में
शब्दों का विलुप्त होना
कोई नई घटना नहीं है
नई सदी में ऐसा
यदा-कदा होता ही रहता है।

सभी शब्द मिलकर
एक जाल बुनते हैं
और खुद ही उलझ जाते हैं
या टूट कर बिखर जाते हैं
और विचारों में खो जाते हैं
या फिर अनंत या आदि
में बिखर जाते हैं।

कुछ न बन पाने की
उलझन एक घटना होती है,
शब्दों की आपस में
बातचीत ना होना
एक दूसरे में उलझ जाना
एक एक त्रासदी होती है,

और गहरी व्यथा होती है
शब्द होते हुए भी
कविता का ना लिखा जाना,
कहानी का अधूरा होना,
जिंदगी के साथ साथ
अधूरी कविता और कहानी,

संजीव ठाकुर, रायपुर छत्तीसगढ़

 

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं)