“पहला पहला प्यार हुआ है पटना में”, जैसी कविताओं से समा बांधा पत्रकार कवियों ने, मौका था पत्रकार कवि सम्मेलन का
2 अप्रैल 2023, इस बार भी पटना में पत्रकारों की महफ़िल सजी थी और लोगबाग उन्हें सुनकर वाह वाह किए जा रहे थें… मौका था पटना के स्कॉलर्स एबोड स्कूल प्रांगण में *बोलो जिंदगी वेलफेयर फाउंडेशन* द्वारा आयोजित पत्रकार कवि सम्मेलन सीजन – 4 का जहां पत्रकार कवियों ने अपनी कविताएं सुना सबका मन मोह लिया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दूरदर्शन बिहार की पूर्व निर्देशिका डॉ रत्ना पुरकायस्थ, विशिष्ठ अतिथि वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रवक्ता निखिल केडी वर्मा, वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव सह बिहार पत्रिका के संपादक
मधुप मणि “पिक्कू”, डॉ. बी. प्रियम, फाउंडर, स्कॉलर्स एबोड स्कूल एवं आयोजक राकेश सिंह सोनू ने कार्यक्रम का श्रीगणेश दीप प्रज्वलित कर किया।
अतिथियों के स्वागत के बाद कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई. पत्रकार कुमार रजत ने सुनाया, “ज़िद ने साजिश बहुत बड़ी की है, घर में दीवार सी खड़ी की है…”
पत्रकार चंदन द्विवेदी ने सुनाया, ” दिल का बेड़ा पार हुआ है पटना में, पहला पहला प्यार हुआ है पटना में।”
पूर्व पत्रकार एवं उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार ने सुनाया,”आदमी ने कहा,मुझे प्रेम है नदी से, सदा के लिए रोक लूंगा इसे अपने पास। बना दिया उसने बांध, मर गई नदी।”
पूर्व पत्रकार एवं असिस्टेंट कमिश्नर, स्टेट टैक्स समीर परिमल ने सुनाया,”आप सबके हो गए हैं बेवफा होने के बाद, मैं किसी का हो न पाया आपका होने के बाद।”
देश प्राण दैनिक के स्थानीय संपादक प्रवीण बागी ने सुनाया, “आना और जाना ये चक्र है नियति का। इंसान आता है रोते हुए पर जाता है रुलाते हुए.”
पत्रकार अमलेंदू अस्थाना ने सुनाया, “हार नहीं अब हार मिले, फूलों का संसार मिले…”
संजीव कुमार मुकेश ने सुनाया, “अलंगों, आरियों, पगडंडियों सा गांव का लड़का…”
रमाकांत चंदन ने सुनाया, “मजहब के नाम पर यहां यों खून खून है, लगता है इस शहर का कोई राहवार नहीं।”
अनिल रश्मि ने सुनाया, “मुझे तलाश है जिसकी वो है तेरी मुस्कान।”
जहां पूरे कार्यक्रम का सफल मंच संचालन किया बोलो जिंदगी टीम की तबस्सुम अली ने तो वहीं कवि सम्मेलन का बेहतरीन संचालन किया संजीव कुमार मुकेश ने और पत्रकार कवि सम्मेलन कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन किया *बोलो जिंदगी* के निदेशक राकेश सिंह सोनू ने. कार्यक्रम को सफल बनाने में टीम की फरहीन ख़ान एवं अनिल कुमार का विशेष योगदान रहा.