जयप्रभा मेदांता हाॅस्पिटल, पटना में शिशु हृदय रोग का सम्पूर्ण इलाज
हाॅस्पिटल के शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. पंकज गुप्ता ने कहा, मरीजों के माता-पिता या परिजनों में जागरूकता की जरूरत
बच्चे को साँस लेने में तकलीफ, दूध पीने में कठिनाई, वजन घटना, बुखार लगे, शरीर नीला पड़े, न्यूमोनिया ठीक न हो तो शिशु हृदय रोग डाॅक्टर से दिखाएं
अब बाल हृदय रोग के लिए अन्य जगहों पर जाने की जरूरत नहीं, पटना के मेदांता हाॅस्पिटल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाकर बच्चे का इलाज कराएं
पटना, 17 जुलाई 2024: जयप्रभा मेदांता सुपरस्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, पटना में अब शिशु हृदय रोग का सम्पूर्ण इलाज संभव हो गया है और अब तक 21 बच्चों को जीवनदान प्राप्त हुआ है। इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, पटना के अनुभवी शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पंकज गुप्ता और कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉ. संजय कुमार। ज्ञात हो कि जन्म लेने वाले प्रत्येक 1000 बच्चों में से आठ में किसी न किसी प्रकार का जन्मजात हृदय दोष होता है। जन्मजात हृदय दोष एक जानलेवा स्थिति है, जो हर साल हजारों लोगों की जान ले लेती है। इसी सन्दर्भ में शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ. पंकज गुप्ता ने कहा है कि अगर बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो, शरीर नीला पड़ने लगे, दूध पीने में तकलीफ हो, सांस तेज चलती हो, बुखार हो, खांसी हो, वनज घट रहा हो, न्यूमोनिया बार-बार हो और ठीक नहीं होता हो तो ऐसी स्थिति में बच्चे को शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर से फौरन दिखाना चाहिए नहीं तो परेशानी लगातार बढ़ती जायेगी। उन्होंने कहा कि एक समय था जब हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का इलाज दिल्ली, मुम्बई जाकर परिजन कराया करते थे, लेकिन अब ऐसे मरीजों की जांच और इलाज की सम्पूर्ण व्यवस्था जयप्रभा मेदांता हाॅस्पिटल, पटना में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अभी तक कई मरीज यहां के इलाज से सम्पूर्ण रूप से ठीक हो चुके हैं। इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता जगाने की जरूरत है ताकि वे समय से विशेषज्ञ डाॅक्टर के पास पहुंचें और सटीक इलाज हो पाये।
डाॅ. गुप्ता ने कहा कि बेवजह लोग अन्यत्र इलाज न कराएं, इससे रोग के बढ़ने का अंदेशा बना रहता है। साथ ही इसका दुष्प्रभाव बच्चे के शरीर पर पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने तीन मामलों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि तीन महीने के एक बच्चे के फेफड़े की नस सिकुड़ी हुई थी। इस कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, शरीर नीला पड़ गया था, दूध पीने में तकलीफ तथा सांस तेज चल रही थी। उसे बैलून विधि से उसकी नस के वल्व को फैला दिया और वह ठीक हो गया।
डाॅ. गुप्ता ने इसी कड़ी में एक और सात साल की बच्ची के बारे में बताया जिसके हृदय से जुड़े नसों के बीच में एक छेद हो गया था जिस से खून का मिश्रण हो जाता था। इसके कारण बच्ची को समस्याओं से जूझना पड़ रहा था। छातानुमा एक मेटल डिवाइस लगाकर इसे बंद कर दिया और बच्ची ठीक हो गयी।
कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि तीन महीने के एक बच्चे के हृदय में कई छेद थे। ऊपर वाले और नीचे वाले दोनों चेम्बरों में कई छेद थे जिसके कारण बच्चे का न्यूमोनिया ठीक नहीं हो रहा था। बिना आॅक्सीजन के वह नहीं रह पा रहा था। इसकी ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ी। यह सर्जरी दो स्टेज में की जाती है। पहले स्टेज में उसकी पल्मोनरी आर्टरी की बाइंडिंग की गयी। दूसरे स्टेज में ओपन हार्ट सर्जरी में उसके हृदय के छेदों को बंद किया गया।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि हृदय दोष के साथ जन्म लेने वाले लगभग 4 में से 1 बच्चे में गंभीर सीएचडी होता है। गंभीर सीएचडी वाले शिशुओं को जीवन के पहले वर्ष में सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ती है। सर्जरी या अन्य प्रक्रियाओं के लिए दिल्ली, मुम्बई या अन्य जगहों पर जाने में इलाज में ज्यादा खर्च आएगा जबकि पटना में इलाज कराने से खर्चे में कम लागत आती है। उन्होंने कहा कि मेदांता पटना का मकसद यह है कि लोग अपने राज्य में उपलब्ध जांच और इलाज की सुविधा किफायती दर में कराकर बच्चे को वही इलाज दे पायेंगे जो देश के अन्य राज्य में उपलब्ध हैं।
मेदांता हार्ट इंस्टिट्यूट के निदेशक डा. प्रमोद कुमार ने कहा कि इंडियन पीडियाट्रिक्स जर्नल के अनुसार भारत में जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा होने वाले बच्चों की अनुमानित संख्या प्रतिवर्ष 200,000 से अधिक है। यह पाया गया है कि इस स्थिति के साथ पैदा होने वाले अधिकांश बच्चे भारत के अधिक आबादी वाले राज्यों जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश से होते हैं। इन शिशुओं को वह देखभाल नहीं मिलती जिसके वे हकदार हैं। हमारे हाॅस्पिटल में शिशु हृदय रोग की जांच और इलाज के लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं ताकि बिहार के लोगों को देश के अन्य जगहों पर जाकर इलाज कराने की जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा कि हमलोग यहां के लोगों को इलाज के लिए हर सुविधा उपलब्ध कराने को कटिबद्ध हैं।
जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशिलिटी हाॅस्पिटल, पटना के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. रवि शंकर सिंह ने बताया कि सामाजिक जिम्मेदारी के तहत मेदांता फाउंडेशन, रोटरी क्लब और बिहार सरकार ने काफी मदद की है और निर्धन मरीजों को इसका लाभ मिला है तथा गंभीर हृदय रोग से पीड़ित बच्चे यहाँ से सर्जरी करवाने के बाद ठीक होकर जा रहे हैं इससे सभी बहुत खुश हैं। इस क्रम में सेवाओं का विस्तार करते हुए हम सुनिश्चित कर रहे है कि सही इलाज सही समय पर सभी तक पहुचें।