IVF किंग की शानदार कहानी फ़िल्म ‘तुमको मेरी कसम’
खुद को दोहराते नजर आए अभिनेता अनुपम खेर
पटना। एक लंबे अरसे से बॉलीवुड के फिल्ममेकर्स का रुझान सच्ची कहानियों पर आधारित फिल्में बनाने में नजर आ रहा है। रियल लाइफ कैरेक्टर्स पर बेस्ड फिल्में लगातार बनती जा रही हैं। पिछले हफ्ते आई ‘द डिप्लोमैट’ भारतीय राजनयिक जेपी सिंह पर आधारित थी। उससे पहले प्रदर्शित हुई ‘चंदू चैंपियन’, ‘श्रीकांत’, ‘अमर सिंह चमकीला’, स्वातंत्र्य वीर सावरकर’, ‘सैम बहादुर’ और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी अनेकों फिल्में आईं, जो वास्तविक किरदारों पर आधारित रहीं। अब निर्देशक विक्रम भट्ट इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए ‘तुमको मेरी कसम’ लेकर आए हैं, जो IVF तकनीक के अग्रणी डॉक्टर अजय मुर्डिया के जीवन पर आधारित है। अब तक हॉरर फिल्मों के लिए प्रसिद्ध रहे विक्रम इस बार रियल लाइफ ड्रामा के साथ प्रस्तुत हुए हैं।
‘तुमको मेरी कसम’ की कहानी
कहानी की शुरुआत होती है इंदिरा आईवीएफ के फाउंडर डॉक्टर अजय मुर्डिया (अनुपम खेर) के कोर्ट केस से। अजय मुर्डिया पर आरोप है राजीव खोसला (मेहरजान माजदा) की हत्या के प्रयास का। यही से कहानी दो कालखंडों में साथ-साथ चलती है। वर्तमान में अजय मुर्डिया पर राजीव खोसला की हत्या के प्रयास का केस चल रहा है। राजीव खोसला, डॉ. अजय के चपरासी दुर्गेश कुमार का बेटा है। अजय ने ही उसे पाल-पोसकर कंपनी में अहम पद दिया है। कोर्ट में अजय मुर्डिया का केस लड़ती है जानी-मानी लॉयर मीनाक्षी (ईशा देओल), जिसमें उसके दो बेटे उसका साथ देते हैं। कोर्ट में डॉ. अजय खुद को निर्दोष साबित करने के यात्रा में कहानी को अतीत में अस्सी के दशक की प्रेम कहानी में ले जाते हैं। वहां युवा डॉक्टर अजय मुर्डिया (इश्वाक सिंह) पैथोलॉजी की पढ़ाई कर रहा है। वह अपनी टीचर पत्नी इंदिरा (अदा शर्मा) से बहुत प्यार करता है। जब वह देश में पहली बार आईवीएफ तकनीक के जरिए बच्चे पैदा करने की बात करता है, तब उसे संदेह और सामाजिक विरोध का सामना करना पड़ता है, मगर उस वक्त अटल चट्टान की मानिंद उसकी पत्नी इंदिरा उसका साथ देती है। इंदिरा का साथ और अजय की बुद्धिमता आईवीएफ तकनीक के जरिए प्रजनन के क्षेत्र में क्रांति ला देता है। लेकिन इस सफर की सफलता में अजय और इंदिरा को कई कड़े पड़ाव से गुजरना पड़ता है।