INS VIRAAT- कई बार निभाई अहम भूमिका; अब आखिरी सफर पर निकला आईएनएस विराट
भारतीय नौसेना से रिटायर विमानवाहक पोत INS ‘विराट’ मुंबई से अपनी आखिरी यात्रा पर रवाना हो चुका है. इसे गुजरात के भावनगर स्थित अलंग ले जाया जा रहा है, जहां दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड में तोड़ दिया जाएगा. नौसेना में विराट को ‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ भी कहा जाता है. अलंग स्थित श्रीराम ग्रुप ने इस ऐतिहासिक लड़ाकू विमानवाहक पोत को 38.54 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपने नाम किया. यह इकलौता लड़ाकू विमान वाहक पोत है, जिसने ब्रिटेन और भारत की नौसेना में सेवाएं दी हैं. आइए जानते हैं इसके स्वर्णिम सफर के बारे में.
करीब 30 साल भारतीय नौसेना की शान रहे आइएनएस विराट को छह मार्च, 2017 को भारतीय नेवी की सेवा से मुक्त कर दिया गया था. ये जहाज भारत से पहले ब्रिटेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मिस के रूप में 25 साल तक अपनी सेवाएं दे चुका था. इसके बाद 1987 में INS विराट को इंडियन नेवी में शामिल किया गया. विराट सेंटोर श्रेणी का लड़ाकू विमान वाहक पोत है. 226 मीटर लंबे और 49 मीटर चौड़े इस युद्धपोत का वजन 27,800 टन है. 1984 में भारत ने इसे खरीदा और मई 1987 में इसे भारतीय नौसेना में आइएनएस विराट नाम से शामिल किया गया. यहां इसकी आइएनएस विक्रांत के साथ जोड़ी बनी. 1997 में विक्रांत की सेवानिवृत्ति के बाद करीब 20 साल यह अकेले ही भारत की समुद्री सीमाओं का प्रहरी बना रहा.
ये जहाज़ अपने आप में एक छोटे शहर जैसा था. इस पर लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं थीं. हिंदुस्तान के पराक्रम का प्रतीक रहे ‘INS विराट’ पर सी हैरियर लड़ाकू विमान तैनात रहते थे. यह जहाज एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट से भी लैस था. इस पर करीब 15 सौ नौसैनिक हर समय तैनात रहते थे. इसने देश की पूर्वी और पश्चिमी समुद्री सीमा में अपनी सेवा दी. वर्ष 1987 में सेवा में आने के 30 साल बाद यह सेवा से रिटायर हो गया.
इस पोत के रिटायर होने से पहले ही भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रमादित्य के रूप में तीसरा विमानवाहक पोत मिल चुका था. आइएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉड्र्स में दुनिया के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले युद्धपोत के रूप में दर्ज है.