ख़बरराष्ट्रीय

भारत ने अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण

भारत ने गुरुवार को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का सफल परीक्षण किया। केवल इतना ही नहीं परमाणु मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में 1000 किलोमीटर दूर बड़ी ही सटीकता के साथ अपने नियोजित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाबी भी हासिल की।

सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों में खरी उतरी

प्रशिक्षण लॉन्च में मिसाइल ने सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सफलता के साथ किया सत्यापित। यह सिद्ध हो चुका है कि ये मिसाइलें बहुत ऊंचाई से लक्ष्य को भेदने में सक्षम हैं। इस मिसाइल के सभी ऑपरेशनल और टेक्निकल फीचर्स सफल रहे।

1000 किलोमीटर दूर लगाया सटीक निशाना 

इस संबंध में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि यह मिसाइल बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम है। ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किये गए प्रक्षेपण में मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 ने 1000 किलोमीटर दूर लक्ष्य को निशाना बनाया। यह नियोजित लक्ष्य बंगाल की खाड़ी में रखा गया था, जिसे प्रशिक्षण लॉन्च ने मिसाइल के सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सफलतापूर्वक सत्यापित किया।

अग्नि-1 से अग्नि-5 मिसाइल तक भारत ने बढ़ाई अपनी ताकत

उल्लेखनीय है कि भारत ने कुल 10 साल के फासले में अपनी ताकत अग्नि-1 मिसाइल से अग्नि-5 मिसाइल तक पहुंचा दी है। 2002 में सफल परीक्षण की रेखा पार करने वाली अग्नि-1 मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल थी।

इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। फिर इसके बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें आईं। ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है।

सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-5

चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का भी सफल परीक्षण किया जा चुका है। पांच हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम मिसाइल की नई तकनीकों और उपकरणों को मान्य करने के लिए यह परीक्षण किया गया है। इस परीक्षण ने अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को साबित कर दिया है। सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-5 को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह दागो और भूल जाओ मिसाइल भी कहलाती है, जिसे इंटरसेप्टर मिसाइल के बिना रोका नहीं जा सकता है।