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भारत ने आजाद विदेश नीति से बनाई अलग पहचान

पिछले कुछ सालों में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी जो पहचान बनाई है, उससे सिर्फ एशियाई देशों में ही नहीं बल्कि यूरोपीय और अन्य महाद्वीपों में भी भारत ने अपनी मजबूत स्थिति बनाई है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि हमारे कई पड़ोसी देश मुश्किल के वक्त में न सिर्फ भारत से मदद मांगते हैं बल्कि हमारी विदेश नीति का भी लोहा मानते हैं। हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी भारत की विदेश नीति की तारीफ की। इसके अलावा टू प्लस टू वार्ता के लिए गए अमेरिका गए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर सवालों के जवाब दिए उसने भारत की स्थिति को और मजबूत और तठस्त बना दिया।

विदेश मंत्री ने दिखा दिया कि भारत अब पहले की तरह पिछलग्गू नहीं, डर और भय में आ कर किसी की भी हां में हां मिलाता रहेगा। ये आज का भारत है जो विश्व का नेतृत्व करने तक की क्षमता रखता है।

पड़ोसी देश भी भारत का कायल

दरअसल, कुछ दिन पहले पाक के पूर्व पीएम इमरान खान ने कहा कि किसी भी दूसरे देश की की हिम्मत नहीं कि वो  हिंदुस्तान के खिलाफ कुछ भी कह सके। भारत को कोई आंख नहीं दिखा सकता। इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक कहा कि भारत की विदेश नीति आजाद और अच्छी है। यानि साफ है कि भारत ने दूसरे देशों के साथ जिस तरह से संबंध स्थापित किए हैं, उससे भारत ने कई देशों को प्रभावित किया है।

जब भारत ने दिया जवाब

हालांकि कई मौके पर कुछ देशों ने भारत को घेरने की कोशिश की, लेकिन वहां भी भारत ने अपनी कुशल विदेश नीति और तर्क पर सबकी बोलती बंद कर दी। दरअसल कुछ दिन पहले अमेरिका में टू प्लस टू की वार्ता के लिए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर अमेरिका गए थे। वहां कुछ पत्रकारों में भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर सवाल किया जबकि यूक्रेन और रूस की जंग की वजह से रूस पर कई देशों ने तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। विदेश मंत्री का यह जवाब काफी लोकप्रिय भी हुआ

ऐसे में विदेश मंत्री ने अपना पक्ष रखते हुए सबको शांत कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर आप रूस से ईंधन खरीदने को लेकर भारत पर सवाल खड़े कर रहे हैं, तो मैं आपसे यूरोप पर फोकस करने के लिए कहूंगा। हम बस अपनी जरूरत का ईंधन खरीदते हैं, जो हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बेहद  जरूरी है। लेकिन यूरोप इतने बड़े सौदे सिर्फ एक दोपहर में ही कर लेता है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है, उसे ज्यादा यूरोप आयात महज एक दोपहर तक कर लेता है।