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भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के दाम तय, राज्य सरकार को 600 तो प्राइवेट अस्पतालो को 1200 में मिलेगी एक डोज

देश में कोरोना वायरस के रोजाना रिकॉर्डतोड़ मामले सामने आ रहे हैं। बीते कई दिनों से डेली तीन लाख से ज्यादा नए मामले सामने आने के बाद देशभर में हड़कंप मचा हुआ है। कोरोना के खिलाफ सरकार वैक्सीनेशन प्रोसेस को भी तेज करने का प्रयास कर रही है। इस बीच, देसी कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने अगले फेज के वैक्सीनेशन प्रोसेस के लिए कोवैक्सीन के दामों का ऐलान कर दिया है। कोवैक्सीन की प्रति डोज के लिए राज्य सरकार और प्राइवेट अस्पतालों को अलग-अलग कीमतें देनी होंगी। राज्य सरकार को जहां एक डोज 600 रुपये में पड़ेगी, वहीं प्राइवेट अस्पतालों को 1200 रुपये प्रति डोज देने होंगे।

देश में अगले फेज का टीकाकरण एक मई से शुरू हो रहा है।

इस चरण में 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगवाई जाएगी। हालांकि, इसके लिए वैक्सीन की दाम अलग-अलग रखे गए हैं। भारत बायोटेक ने वैक्सीन की कीमत की घोषणा करते हुए कहा, ”भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार, हम कोवैक्सीन की कीमत का ऐलान करते हैं। राज्य सरकार के अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति डोज और प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 रुपये प्रति डोज देने होंगे।”

कई राज्य सरकारों ने अगले फेज के लिए फ्री में अपनी जनता को टीका लगाने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश समेत कई राज्य हैं, जहां पर मुफ्त में कोविड का टीका लगाने की घोषणा की जा चुकी है। मालूम हो कि देश में जनवरी में दो वैक्सीन्स- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसके कुछ दिनों बाद से टीकाकरण शुरू कर दिया गया था। सबसे पहले भारत में हेल्थ वर्कर्स को टीका लगाया गया, जिसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर्स का टीकाकरण हुआ। फिर 60 साल से अधिक उम्र वाले और 45 साल से ज्यादा की उम्र वाले वे लोग जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें टीका लगाया गया है। वर्तमान समय में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

इससे पहले, पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने इस सप्ताह की शुरुआत में वैक्सीन की कीमत राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के साथ किसी नए करार के लिए 400 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति खुराक तय की थी। राज्य और केंद्र के लिए अलग-अलग कीमतें होने की वजह से विवाद हो गया था, जिसके बाद एसआईआई ने सफाई पेश की। कंपनी ने कहा कि अब उसे उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक निवेश करने की जरूरत है।