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मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश

पहले पूरी दुनिया भारत को एक अलग नजरिये से देखा करती थी। दरअसल, विश्व के अधिकतर देश पहले भारत को एक बाजार के रूप में देखते थे। बाहरी मुल्क के व्यवसायी भारत में अपना तैयार माल लाकर बेचते थे। लेकिन आज तस्वीर पलट चुकी है। भारत आज विश्व का नेतृत्व करने की भूमिका निभा रहा है। जी हां, भारत आज एक निर्माणकर्ता के तौर पर तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है। यह करिश्मा हमें कुछ ही साल के भीतर देखने को मिला है। खासतौर से 2014 के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार के दौरान। जी हां, इस अवधि में ही केंद्र सरकार ने यह बदलाव लाने के कड़े प्रयास किए हैं।

भारत में निवेश का आमंत्रण

केंद्र सरकार ने दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया और ”ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” का न्यौता दिया। इसके बाद बहुत सारी बड़ी कंपनियों ने भारत में इन्वेस्ट किया जिनका नतीजा आज हमारे सामने है। आज ”मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग” में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है। डिजिटल वर्ल्ड में क्रांति लाने वाले सबसे बड़े टूल की चाबी आज भारत के हाथ में है। यानि ”स्मार्टफोन” अब बहुत बड़े स्तर पर देश में ही तैयार किए जा रहे हैं। आज ”मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग” को लेकर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।

देश में 200 से अधिक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स

भारत में अब आए दिन नए-नए स्मार्टफोन लॉन्च किए जा रहे हैं। सबसे कमाल की बात तो यह है कि इनमें अधिकतर कंपनियां ”मेड इन इंडिया” स्मार्टफोन का निर्माण कर रही हैं। मोबाइल निर्माता कंपनियों के लिए भारत हमेशा से ही एक बड़ा बाजार रहा है और यही वजह है कि कंपनियां भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्रीज का सेटअप लेकर पहुंच गई। दूसरा केंद्र सरकार द्वारा मिल रहे प्रोत्साहन ने भी एक निवेशक कंपनियों के लिए अलग माहौल तैयार किया। उसी का नतीजा है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश बन गया है। भारत में अभी तक 200 से भी ज्यादा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स सेटअप हो चुकी है। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

PLI योजना ने मोबाइल फोन के निर्माण में किया एक नए युग का सूत्रपात

माना जाता है कि भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचाने में केंद्र सरकार की उत्पादन से सम्बद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) है। जी हां, पीएलआई योजना ने मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में एक नए युग का सूत्रपात किया है। ज्ञात हो, अक्टूबर, 2020 में इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पीएलआई योजना के तहत 16 पात्र आवेदकों को अपनी मंजूरी दी थी। इसी के आधार पर वैश्विक स्तर के साथ-साथ स्थानीय मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों से प्राप्त आवेदनों के मामले में पीएलआई योजना को बड़ी सफलता मिली है। इससे पीएम मोदी के ”मेक इन इंडिया” और ”आत्मनिर्भर भारत” प्रोग्राम को भी काफी बढ़ावा मिल रहा है।

देश के युवाओं के सामर्थ्य पर भरोसा करती है केंद्र सरकार

केंद्र सरकार देश के युवाओं के सामर्थ्य पर काफी भरोसा करती है। इसलिए इस क्षेत्र में युवाओं को कदम जमाने के मौके भी प्रदान कर रही हैं। सरकार ने मोबाइल निर्माता कंपनियों से देश के युवाओं का स्किल इस्तेमाल का यूज करने पर बल दिया है। इससे देश के युवाओं को रोजगार तो प्राप्त होगा ही साथ ही उनकी आय भी होगी। ऐसे में मोबाइल निर्माता कंपनीज में उन लोगों के लिए अधिक बेहतर स्कोप हैं जिन्हें तकनीकी ज्ञान प्राप्त है। खास तौर से इंजीनियरिंग से जुड़े छात्रों को मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में दिलचस्पी लेते हुए आगे आने चाहिए। यह आने वाले दिनों में इतना बड़ा बाजार होगा कि जिससे देश को बहुत कमाई होगी।

मोबाइल हैंडसेटों का बढ़ा उत्पादन

2014 में केवल दो मोबाइल फैक्टरियों की तुलना में, भारत अब विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक बन गया है। जानकारी के मुताबिक 2018-19 में मोबाइल हैंडसेटों का उत्पादन 29 करोड़ इकाइयों तक पहुंच गया जो 1.70 लाख करोड़ रुपए के बराबर रहा जबकि 2014 में केवल 6 करोड़ इकाइयां थीं जो 19 हजार करोड़ रुपए के बराबर थीं।

भारत के मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी ये बड़ी कंपनियां

जियाओमी के बाद कई स्मार्टफोन कंपनियों ने भारत के मेड इन इंडिया प्रोजेक्ट का हिस्सा बनते हुए अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की शुरुआत की। वहीं इसमें दुनिया की दिग्गज कंपनी एप्पल भी शामिल है। एप्पल भारत में कुछ आईफोन का निर्माण कर चुकी है। वहीं सेमसंग उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री का सेटअप लगा चुका है।

एप्पल और सैमसंग फोन के वैश्विक बिक्री राजस्व के लगभग 60% पर कब्जा

15,000 रुपए और उससे अधिक की कीमत वाले मोबाइल फोन सेगमेंट के तहत अंतरराष्ट्रीय मोबाइल फोन निर्माता कंपनियां Samsung, फॉक्सकॉन हॉन हाई, राइजिंग स्टार, विस्ट्रॉन और पेगट्रॉन हैं। इनमें से फॉक्सकॉन होन हाई, विस्ट्रॉन और पेगट्रॉन नामक 3 कंपनियां एप्पल आईफोन के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स हैं। एप्पल (37%) और सैमसंग (22%) दोनों मिलकर मोबाइल फोन के वैश्विक बिक्री राजस्व के लगभग 60% कब्जा रखते हैं और पीएलआई योजना से देश में दोनों के विनिर्माण से कई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है।

वहीं घरेलू कंपनियों में मोबाइल फोन सेगमेंट के अंतर्गत, लावा, भगवती (माइक्रोमैक्स), पैडेट इलेक्ट्रॉनिक्स, यूटीएल नियोलिंक्स और ऑप्टिमस इलेक्ट्रॉनिक्स समेत भारतीय कंपनियों को रखा गया है। इन कंपनियों ने भी अपने विनिर्माण कार्यों का महत्वपूर्ण तरीके से विस्तार किया है। मोबाइल फोन उत्पादन में राष्ट्रीय दिग्गज कंपनियों के रूप में ये मोबाइल कंपनियां भी विकसित होने की राह पर है।

अगले 5 वर्षों में भारत की कमाई

अगले 5 वर्षों में, पीएलआई योजना के तहत अनुमोदित कंपनियों की ओर से 10,50,000 करोड़ रुपए यानि 10.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कुल उत्पादन होने की उम्मीद है। कुल उत्पादन में से, 15,000 रुपए और उससे अधिक कीमत वाले मोबाइल फोन सेगमेंट के तहत अनुमोदित कंपनियां 9,00,000 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादन करेंगी। वहीं घरेलू मोबाइल कंपनियों से लगभग 1,25,000 करोड़ रुपए के उत्पादन का प्रस्ताव किया गया। घरेलू मूल्य वर्धन मोबाइल फोन के मामले में मौजूदा 15-20% से 35-40% बढ़ने की उम्मीद है।

पांच साल में लगभग 2 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन

ये मोबाइल कंपनियां अगले पांच साल में लगभग 2 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करेंगी। इसी के साथ प्रत्यक्ष रोजगार के लगभग तीन गुना अधिक अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन भी किया जाएगा। इससे देश की बेरोजगारी की समस्या में भी काफी सुधार आएगा।

15 राज्यों में‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’

”ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” में सुधार राज्य अर्थव्यवस्था की भविष्य की प्रगति तेज करने में समर्थ बनाएंगे। इसलिए भारत सरकार ने मई, 2020 में यह निर्णय लिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में मदद हेतु सुधार करने वाले राज्यों को अतिरिक्त ऋण जुटाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। बीते साल तक ‘कारोबार में सुगमता’ सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 15 हो गई। तीन और राज्य गुजरात, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधारों को पूरा करने की सूचना दी थी।

इन तीन राज्यों को खुले बाजार से 9,905 करोड़ रुपए जुटाने की अनुमति दी गई। इससे पहले, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना ने भी इस सुधार के पूरा होने की सूचना दी गई थी। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सहायता प्रदान करने वाले सुधारों को पूरा करने पर इन 15 राज्यों को 38,088 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण जुटाने की अनुमति दी गई है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए यह कदम 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी अर्जित करने में उल्लेखनीय रूप से योगदान देंगी।